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रोकड़ प्रवाह विवरण तैयार करने की विधि (Procedure of Preparing Cash Flow Statement)
रोकड़ प्रवाह विवरण कोष प्रवाह विवरण कैसे तैयार किया जाता है। दोनों में मुख्य अन्तर यह है कि कोष प्रवाह विवरण में उन सभी लेन-देनों को शामिल किया जाता है, जो किसी न किसी तरह से कार्यशील पूँजी को प्रभावित करते हैं एवं उसमें परिवर्तन लाते हैं, दूसरी ओर रोकड़ प्रवाह विवरण में केवल उन्हीं लेन-देनों को शामिल किया जाता है जो रोकड़ को प्रभावित करते हैं। यहाँ कोष का अर्थ संकीर्ण रूप से रोकड़ में लिया जाता है। इस विवरण से रोकड़ के विभिन्न स्रोतों एवं रोकड़ के विभिन्न प्रयोगों को दर्शाया जाता है।
परम्परागत तरीके से रोकड़ प्रवाह विवरण प्राप्ति एवं भुगतान खाते जैसा बनाया जाता था। इसमें नाम पक्ष में प्रारम्भिक रोकड़ एवं प्राप्तियों को दिखाया जाता था एवं जमा पक्ष में भुगतानों एवं अन्तिम रोकड़ को दिखाया जाता था। संचालन क्रियाओं के कारण उत्पन्न या खत्म (Cost) रोकड़ को भी निकाला जाता था, परन्तु परम्परागत विधि में कई त्रुटियाँ थीं। एक तो इसका कोई निर्धारित स्वरूप नहीं था एवं फर्म अपनी सुविधानुसार इसे तैयार करते थे। इसके अलावा बनाने की विधि भी अलग-अलग थी। कुछ फर्म इसे कार्यशील पूँजी के आधार पर बनाते थे, तो कुछ रोकड़ आधार पर। अलग-अलग क्रियाओं से कितनी रोकड़ का सृजन हो रहा है अथवा कितनी रोकड़ की हानि हो रही है, इस बात का पता नहीं लगता था। वास्तव में विवरण ऐसा होना चाहिए, जिससे इसकी व्यवहार करने वाला आसानी से पूर्ण समीक्षा कर सके।
उपरोक्त कारणों से इन्स्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउण्टेन्ट्स ऑफ इण्डिया ने लेखांकन मानक 3(AS-3) में मार्च 1997 में संशोधन किया एवं अप्रैल 2001 से इसे कुछ विशेष संस्थाओं के लिए अनिवार्य कर दिया, जो निम्न हैं-
(क) जिस संस्था के समता अंश या ऋणपत्र भारतवर्ष के किसी मान्यता प्राप्त स्कन्ध विपणि में सूचीबद्ध हैं अथवा वे संस्थायें जो समता अंशों या ऋणपत्रों को निर्गमित कर रही हैं, जिन्हें भारतवर्ष के किसी मान्यता प्राप्त स्कन्ध विपणि में सूचीबद्ध किया जायेगा।
(ख) वे सभी संस्थायें, जिनकी लेखांकन अवधि की सकल बिक्री 50 करोड़ से अधिक है। वर्तमान अध्याय में सभी उदाहरण एवं प्रश्न AS-3 (Revised) पर आधारित हैं। AS-3 (संशोधन) के अनुसार रोकड़ तीन क्रियाओं से उत्पन्न होती है या खत्म होती है। दूसरे शब्दों में, यह संशोधित मानक रोकड़ या रोकड़ समतुल्य (Cash or cash equivalents) के विभिन्न स्रोतों एवं उनके प्रयोगों की व्याख्या करता है।
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