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वित्तीय विश्लेषण की विभिन्न विधियाँ | Various Techniques of Financial Analysis in Hindi

वित्तीय विश्लेषण की विभिन्न विधियाँ | Various Techniques of Financial Analysis in Hindi
वित्तीय विश्लेषण की विभिन्न विधियाँ | Various Techniques of Financial Analysis in Hindi

वित्तीय विश्लेषण की विभिन्न विधियाँ (Various Techniques of Financial Analysis)

वित्तीय विवरणों के विश्लेषण व निर्वचन की मुख्य तकनीकें निम्नलिखित है:

(1) अनुपात विश्लेषण (Ratio Analysis)- वित्तीय विवरणों में जो व्यावसायिक तथ्य दिये हुए होते है उनका निरपेक्ष एवं व्यक्तिगत रूप से कोई महत्व नहीं होती। वे आपस में एक- दूसरे से घनिष्ठ रूप से सम्बन्धित होते है। अतः उनके आधार पर कोई भी उचित निष्कर्ष उस समय तक नहीं निकाला जा सकता जब तक कि विभिन्न मदों के मध्य कोई सम्बन्ध स्थापित न किया जाये। दो या दो से अधिक मदों के मध्य एक तर्कयुक्त व नियमबद्ध पद्धति के आधार पर गणितीय सम्बन्ध स्थापित करना ही अनुपात कहलाता है। इस सम्बन्ध को अनुपात के रूप में, दर के रूप में या प्रतिशत के रूप में व्यक्त किया जा सकता है।

अनुपात विश्लेषण अनेक उद्देश्य की पूर्ति करता है। प्रबन्ध के आधारभूत कार्यों जैसे नियोजन संगठन, अभिप्रेरण, समन्वय, नियन्त्रण संवहन एवं पूर्वानुमान के कार्य में सहायता पहुँचाना ही अनुपात विश्लेषण का मुख्य उद्देश्य होता है। अनुपात विश्लेषण की तकनीक में निम्न को शामिल किया जाता है:

(i) अनुपातों का निर्वचन,

(ii) लेखांकन अनुपातों का निर्धारण

(iii) निकाले गये अनुपातों की प्रमाणित अनुपातों से तुलना

(iv) अनुपातों की गणना

(v) अनुपातों के आधार पर प्रक्षेपित विवरण तैयार करना, आदि।

(2) प्रवृत्ति विश्लेषण (Trend Analysis)- वित्तीय विवरणों के विश्लेषण में प्रवृत्ति विश्लेषण भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह विधि गिलमैन द्वारा प्रतिपादित की गयी थी। सामान्य प्रवृत्ति एक साधारण रूख या रवैया को कहते है। इसके अन्तर्गत लाभ हानि खाते या चिट्टे के किसी भी मद के सम्बन्ध में उसकी प्रवृत्ति ज्ञात की जाती है। तीन चार वर्षों के अन्तर्गत उस मद में परिवर्तन हुये हैं अर्थात उसमें कमी हुई है या वृद्धि, इसे प्रवृत्ति विश्लेषण के द्वारा ज्ञात किया जा सकता है। यदि 4-5 वर्षों की बिक्री को एक स्थान पर रखा जाये तो इसे देखकर सरलता से यह ज्ञात किया जा सकता है कि उसमें कमी हुई है या वृद्धि । इसी के आधार पर विक्रय पूर्वानुमान लगाये जा सकते हैं। व्यावसायिक घटनाओं के पूर्वानुमान में यह विधि अत्यन्त उपयोगी सिद्ध हुई है। प्रवृति विश्लेषण निम्न रीतियों से निकाला जा सकता है-

(i) प्रवृत्ति प्रतिशत (Trend Percentage),

(ii) प्रवृत्ति अनुपात (Trend Ratio),

(iii) बिन्दु रेखीय व चित्रमय प्रदर्शन (Graphic and Diagramatic Representation)

(3) तुलनात्मक विवरण (Comparative Statement)- इस पद्धति के अर्न्तगत पूर्व के कई वर्षो के तुलनात्मक लाभ-हानि खाता, आर्थिक चिट्ठा, उत्पादन लागत विवरण विक्रय विवरण आदि तैयार किया जाते हैं तथा इन तुलनामक विवरणों के आधार पर ही निष्कर्ष निकाले जाते हैं परन्तु इसमें यह ध्यान रखना होगा कि जिन वर्षों के तुलनात्मक विवरण बनाये जा रहे हैं, उनमें ऑकड़ो के एकत्रीकरण व प्रस्तुतीकरण की विधियों समान हो अन्यथा निष्कर्ष भ्रमात्मक हो सकते हैं। इन तुलनात्मक विवरणों में वित्तीय ऑकड़ो एवं सूचनाओं को निम्न प्रकार दिखाया जा सकता है:-

(i) निरपेक्ष अंको (मुद्रा मूल्य) के रूप में,

(ii) निरपेक्ष अंको में वृद्धि या कमी के रूप में,

(iii) निरपेक्ष अंको में हुई वृद्धि या कमी के प्रतिशत के रूप में,

(iv) समान आकार वाले विवरणों के रूप में

वित्तीय विवरणों को तुलनात्मक रूप में प्रस्तुत करके दो वित्तीय अवधियों में हुये परिवर्तनो की जानकारी तथा वित्तीय स्थिति एवं संचालन के परिणामों की दिशा ज्ञात की जा सकती है।

(4) कोष प्रवाह विवरण (Fund Flow Statement)- कोष प्रवाह विवरण उपक्रम की कार्यशील पूँजी में हुए परिवर्तन को दर्शाया है। यह दो विधियों पर तैयार किये गये आर्थिक चिट्ठे में हुए परिवर्तनों को प्रकट करता है। इससे न केवल वित्तीय स्थिति की सुद्धृता के विषय में ज्ञान प्राप्त होता है, बल्कि प्रबन्ध की वित्तीय नीतियों के सफल क्रियान्वयन के विषय में भी जानकारी मिलती है। यह प्रबन्ध की कार्यक्षमता को भी दर्शाता है। यह उन जटिल प्रश्नों का भी सहज उत्तर प्रदान करता है, जिसे वित्तीय विवरणों से प्राप्त नहीं किया जा सकता है। यह संस्था की प्रगति के मूल्यांकन में, उसकी वित्तीय आवश्यकताओं तथा अनुकूलतम वित्तीय प्रबन्धन में भी सहायता देता है।

(5) रोकड़ प्रवाह विवरण (Cash Flow Statement) – यह रोकड़ प्रवाह का एक विवरण है और व्यावसायिक संस्था के अन्दर व बाहर रोकड़ के प्रवाह को दर्शाता है। रोकड़ आगम रोकड़ के साधन के रूप में और रोकड़ बर्हिगमन रोकड़ के प्रयोग के रूप में माना जाता है। यह विवरण उन कारणों पर भी प्रकाश डालता है जिनके कारण रोकड़ का आगमन व बर्हिगमन होता है। इस प्रकार रोकड़ प्रवाह विवरण एक ऐसा विवरण है, जिसे दो आर्थिक चिट्ठों की तिथियों के मध्य रोकड़ स्थिति में हुए परिवर्तन व उनके कारणों पर प्रकाश डालने के लिए तैयार किया जाता है। रोकड़ प्रवाह विवरण संस्था के अल्पकालीन वित्तीय परिवर्तनों की जाँच की एक तकनीक है। यह संस्था की वित्तीय नीतियों और वर्तमान रोकड़ स्थिति के मूल्यांकन में सहायक होता हैं।

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Anjali Yadav

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