Contents
अभिप्रेरणा की परिभाषा (Definition of Motivation)
विभिन्न विद्वानों ने अभिप्रेरणा की निम्न विभिन्न परिभाषाएं दी हैं जो अभिप्रेरणा की अवधारणा को स्पष्ट करने में सहायक होंगी ।
(1) स्टेनले बेंस के अनुसार, “अभिप्रेरणा से आशय किसी ऐसी भावना या इच्छा से है जो एक व्यक्ति की इच्छाशक्ति को ऐसा बना देती है जिससे वह कार्यरत हो जाने को प्रेरित हो जाता है।”
(2) माइकल जे. जूसियस के अनुसार, “अभिप्रेरणा किसी व्यक्ति से वांछित कार्य कराने के लिए उसे प्रोत्साहित करने की एक क्रिया है, यह उसमें वांछित प्रतिक्रिया पैदा करने के लिए सही बटन दबाना मात्र है। “
(3) जूसियस एवं श्लेंडर के अनुसार, “अभिप्रेरणा प्रोत्साहन देने तथा प्रत्युत्तर प्राप्त करने की विधि है।”
(4) थॉमस डब्ल्यू. हैरल के अनुसार, “अभिप्रेरणा मानसिक तनाव की ऐसी स्थिति है जो प्रेरकों द्वारा शान्त की जा सकती है। “
(5) बेडियन तथा ग्लूक के अनुसार, “अभिप्रेरणा से आशय निष्पादन की इच्छाशक्ति से है, यह उस व्यवहार से सम्बन्ध रखती है जो विशिष्ट परिणामों की ओर निर्देशित होता है। “
(6) मोंडी, होल्मस एवं फ्लिप्पो के अनुसार, “अभिप्रेरणा एक व्यक्ति को प्रभावित या प्रेरित करने की एक प्रक्रिया है जिससे कि वह वांछित लक्ष्य प्राप्ति के लिए कार्यरत हो जाए ।”
(7) कूण्ट्ज एवं ओ’ डोनेल के अनुसार, “अभिप्रेरणा एक सामान्य शब्दावली है जो प्रेरणाओं, इच्छाओं, आवश्यकताओं, सद्भावनाओं तथा इसी प्रकार की शक्तियों के सम्पूर्ण वर्ग पर लागू होती है।”
अभिप्रेरणा की प्रकृति या विशेषताएं (NATURE OR CHARACTERISTICS OF MOTIVATION)
(1) अभिप्रेरणा एक प्रक्रिया है (Motivation is a Process)- प्रत्येक व्यक्ति की कुछ आवश्यकताएं होती हैं, उन आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर ही प्रबन्धक कुछ प्रेरक (incentives) प्रदान करता है जो श्रमिक को अधिक कार्य करने के लिए अभिप्रेरित करते हैं और उन प्रेरकों के द्वारा के श्रमिक अपनी आवश्यकताओं की पूर्ति करने में समर्थ हो जाता है। उदाहरण के लिए, नए शादीशुदा श्रमिक की भौतिक आवश्यकताओं (भोजन, वस्त्र, मकान) में वृद्धि होती है, जिनकी पूर्ति के लिए उसे धन की आवश्यकता होती है, अतः ऐसे श्रमिक को अधिक मजदूरी का प्रेरक दिया जा सकता है जिससे वह अधिक कार्य करने के लिए अभिप्रेरित होगा और बढ़ी हुई मजदूरी के रूप में प्राप्त अतिरिक्त धन से अपनी भौतिक आवश्यकताओं की संतुष्टि करने का प्रयास करेगा। इस प्रकार अभिप्रेरणा की प्रक्रिया निम्न रूप में दृष्टिगत होती है:
→ आवश्यकताएं → प्रेरक →अभिप्रेरणा →आवश्यकताओं की सन्तुष्टि →
(2) अभिप्रेरणा इच्छाशक्ति जगाती है (Motivation creats will Power)- अभिप्रेरणा एक श्रमिक में कार्य के प्रति निष्ठा अर्थात् पूरी कार्यक्षमता के साथ कार्य करने की इच्छा उत्पन्न करती है।
(3) अभिप्रेरणा लक्ष्य प्राप्ति की ओर निर्देशित करती है। (Motivation Directs towards Goal Achievement)– विभिन्न प्रकार के प्रेरक प्रदान करके श्रमिक को लक्ष्य प्राप्ति की ओर प्रयास करने की दिशा में अभिप्रेरित किया जाता है।
(4) अभिप्रेरणा प्रेरकों की प्रतिक्रिया है (Motivation is a Reaction to Stimulus)- किसी श्रमिक या कर्मचारी के लिए जब प्रबन्धक द्वारा कुछ प्रेरकों (Incentives) की घोषणा की जाती है तो उसके फलस्वरूप श्रमिकों में अधिक कार्य करने के रूप में जो प्रतिक्रिया होती है, वही अभिप्रेरणा कही जाती है।
(5) अभिप्रेरणा मानसिक तनाव से सम्बन्ध रखती है (Motivation is Related to Tension)- अभिप्रेरणा उस समय उत्पन्न होती है जब एक व्यक्ति अपनी कुछ आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए मानसिक तनाव की स्थिति में होता है और उस समय उसे उन आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु कुछ प्रेरक प्रदान कर दिए जाते हैं।
(6) अभिप्रेरणा का क्षेत्र व्यापक है (Motivation has a Wide Scope)- प्रो. कूण्ट्ज और ओ’ डोनेल के अनुसार अभिप्रेरणा के अन्तर्गत प्रेरणाएं, इच्छाएं, आवश्यकताएं, सद्भावनाएं आदि शक्तियां सम्मिलित की जाती हैं।
अभिप्रेरणा के उद्देश्य एवं महत्व (OBJECTIVES AND IMPORTANCE OF MOTIVATION)
भारत जैसे श्रम प्रधान राष्ट्र में अभिप्रेरणा का विशिष्ट महत्व है। किसी भी उपक्रम में श्रम उत्पादकता बढ़ाने के दो मार्ग है- (1) टेक्नोलॉजीकल विकास व मशीनीकरण, तथा (2) श्रम अभिप्रेरणा, परन्तु इनमें भी श्रम अभिप्रेरणा ही अधिक महत्वपूर्ण है, क्योंकि एक उद्योग या उपक्रम में उच्च टेक्नोलॉजी तथा आधुनिक मशीनों का उचित प्रयोग भी श्रम अभिप्रेरणा पर निर्भर करता है। यदि उपक्रम में श्रम असंतोष है तो आधुनिक मशीनें अकेले अच्छा उत्पादन नहीं कर सकेंगी। इसीलिए वर्तमान में औद्योगिक उपक्रमों में घटकों का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। श्रमिक एवं कर्मचारियों को उचित मात्रा में अभिप्रेरित करने के निम्न लाभ कहे जा सकते हैं:
(1) उच्च मनोबल (High Morale)- अभिप्रेरणा तथा मनोबल सहसम्बन्धित हैं। विभिन्न प्रकार के प्रेरकों द्वारा श्रमिकों का मनोबल ऊंचा उठता है और वे उपक्रम के लिए उत्तम श्रम- शक्ति के रूप में सिद्ध होते हैं।
(2) उच्च उत्पादकता (High Productivity)- विभिन्न प्रेरकों द्वारा श्रमिक कार्य के लिए अभिप्रेरित होते हैं, उनका मनोबल ऊंचा उठता है जिससे उनकी कार्यक्षमता में सुधार होता है। और उत्पादकता में वृद्धि होती है।
(3) श्रम अनुपस्थिति एवं बदली में कमी (Reduction in Labour absenteeism and Turnover)- जब विभिन्न प्रेरकों द्वारा श्रमिकों की विभिन्न आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहती है और उसे कार्य के लिए यथोचित अभिप्रेरणा मिलती रहती है तो वह न तो ऐसे उपक्रम को छोड़कर जाना चाहता है और न कार्य पर अनुपस्थित रहना चाहता है। ऐसी श्रम-शक्ति उपक्रम के लिए एक सम्पत्ति है।
(4) अच्छे औद्योगिक सम्बन्ध (Good Industrial Relations) – अभिप्रेरित श्रमिक व कर्मचारी मनोवैज्ञानिक दृष्टि से संतुष्ट माने जाते हैं, अतः वे उपक्रम के प्रति सहानुभूतिपूर्ण रुख अपनाते हैं। अन्ततः इससे बेहतर औद्योगिक सम्बन्धों की नींव पड़ती है।
(5) अच्छे कर्मचारियों की उपलब्धता (Availability of Best Personnel) – ऐसे उपक्रम में, जिसमें कि कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने के लिए विभिन्न मौद्रिक एवं गैर-मौद्रिक प्रेरक प्रदान किए जाते हैं तथा संतुष्ट कर्मचारी का सिद्धांत अपनाया जाता है, दूसरी संस्थाओं के सर्वोत्तम कर्मचारी भी जॉब प्राप्त करने के लिए लालयित रहते हैं। इस प्रकार ऐसे उपक्रम को सर्वोत्तम मानव शक्ति उपलब्ध हो जाती है।
अभिप्रेरणा के सिद्धांत
कर्मचारियों को अभिप्रेरणा प्रदान करने के लिए निम्नलिखित सिद्धांतों का पालन करना आवश्यक है-
(1) कर्मचारियों द्वारा किये गये कार्य की प्रशंसा करनी चाहिए ताकि उनका मनोबल ऊंचा हो सके।
(2) कर्मचारियों को वही कार्य प्रदान करना चाहिए जिनमें उनकी रुचि हो।
(3) कर्मचारियों को कुशल नेतृत्व प्रदान करना चाहिए।
(4) कर्मचारियों को यह अनुभव कराना चाहिए कि उनकी नौकरी स्थायी है।
(5) कर्मचारियों के कार्यों को दुर्घटनाओं आदि से सुरक्षित रखनाचाहिए।
(6) कर्मचारियों के कार्य करने के वातावरण को सदैव सुखद, सुहावना एवं शांतिपूर्ण बनाना चाहिए।
(7) कर्मचारियों की कार्य अवधि निश्चित और उचित होनी चाहिए।
(8) कर्मचारियों को उचित एवं मौद्रिक पुरस्कार प्रदान किया जाना चाहिए।
(9) उनके बीच ऐसा वातावरण बनाना चाहिए कि वे अपने कार्य के प्रति गौरव का अनुभव करें।
(10) सभी कर्मचारियों के साथ प्रतिष्ठित एवं सम्मानजनक व्यवहार करना चाहिए।
अभिप्रेरणा को प्रभावित करने वाले घटक (FACTORS AFFECTING MOTIVATION)
अभिप्रेरणा के विभिन्न सिद्धांतों का अध्ययन करने के बाद यह प्रश्न उठता है कि अभिप्रेरणा की प्रमुख तकनीकें या घटक कौन-से हैं जिन्हें प्रबन्धक प्रयोग में ला सकते हैं। इस दृष्टि से कर्मचारियों को अभिप्रेरित करने वाली तकनीकों या घटक को दो मुख्य वर्गों में बांटा जाता हैं-
(1) वित्तीय या मौद्रिक प्रेरक; जैसे वेतन, बोनस, वृद्धावस्था लाभ, आदि।
(2) गैर-वित्तीय (Non-finacial) प्रेरक; जैसे जॉब सुरक्षा, अच्छी कार्य दशाएं, पदोन्नति, प्रबन्ध में भागीदारी, अच्छा नेतृत्व, उच्च मनोबल, जॉब संतुष्टि, आदि। इन प्रेरकों या घटकों का संक्षिप्त विवेचन निम्न है :
(I) वित्तीय या मौद्रिक प्रेरक (Financial or Monetary Motivators)- अधिक मजदूरी या वेतन तथा बोनस, आदि दीर्घकाल से प्रभावपूर्ण प्रेरक रहे हैं। अमेरिकन उद्योगों में प्रेरणात्मक मजदूरी पद्धति सफलतापूर्वक लागू करने वाला पहला प्रबन्धक फ्रेडरिक डब्ल्यू. टेलर था। टेलर के अतिरिक्त अन्य इंजीनियरों जैसे इमर्सन, गांट, आदि ने अमेरिकन उद्योगों में तथा हेल्से, रोवन आदि ने ब्रिटिश उद्योगों में प्रेरणात्मक मजदूरी पद्धतियों का उपयोग किया जिससे श्रमिकों की उत्पादकता में वृद्धि हुई। वास्तव में, वित्तीय प्रेरणाएं प्रभावपूर्ण सिद्ध होती हैं, क्योंकि ये व्यक्ति की जीवन निर्वाह तथा सम्मान सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति करती हैं। वैसे भी मौद्रिक प्रेरणाएं कर्मचारी को मेहनत का तत्काल प्रतिफल प्रदान करती हैं, अतः वे अधिक प्रभावशाली होती हैं, परन्तु विकसित राष्ट्रों में जहां श्रमिक को पर्याप्त मजदूरी मिलती है तथा प्रबन्धकीय व्यक्तियों को जिनकी निर्वाह आवश्यकताओं की पहले से भली प्रकार पूर्ति हो रही है, अब मौद्रिक प्रेरणाएं प्रभावपूर्ण नहीं रह गई हैं, उन्हें गैर-मौद्रिक प्रेरणाओं द्वारा ही अभिप्रेरित किया जा सकता है।
(II) गैर- वित्तीय प्रेरक (Non-Financial Motivators)- गैर-वित्तीय प्रेरक कर्मचारियों की कार्यक्षमता तथा उत्पादकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करते हैं, क्योंकि गैर-वित्तीय प्रेरकों से कर्मचारियों को मनोवैज्ञानिक शांति तथा स्फूर्ति प्राप्त होती है। ये प्रेरक कर्मचारियों के मनोबल को बढ़ाने में सहायक होते हैं जिससे उनकी कार्यक्षमता एवं उत्पादकता बढ़ती है। गैर-वित्तीय प्रेरकों में निम्न मुख्य हैं-
(1) जॉब सुरक्षा (Job Security) – प्रत्येक कर्मचारी वहीं मन लगाकर और निष्ठा के साथ कार्य करेगा जहां उसे जॉब सुरक्षा प्राप्त हो। वह निश्चित होकर बगैर किसी भय के कार्य करता है, जिससे उसकी उत्पादकता बढ़ती है।
(2) जॉब सन्तुष्टि (Job Satisfaction) – एक कर्मचारी अच्छा और अधिक कार्य करने के लिए तभी प्रेरित होता है जब वह अपने जॉब को अपने सम्मान के अनुकूल तथा सुरुचिपूर्ण पाता है। जॉब संतुष्टि के लिए कार्य से सम्बन्धित दायित्वों में वृद्धि की जानी चाहिए तथा सम्बन्धित व्यक्ति के पदनाम को आकर्षक तथा महत्वपूर्ण बनाया जाना चाहिए। वास्तव में, जॉब संतुष्टि तथा अभिप्रेरणा में धनत्मक सम्बन्ध है और एक व्यक्ति को अपने कार्य से संतुष्टि तभी प्राप्त होती हैं जब कार्य उस व्यक्ति की सृजनात्मक प्रतिभा और कलात्मक प्रतिभा को उजागर कर पाता है।
(3) पदोन्नति (Promotion) – पदोन्नति के अवसर प्रदान करके एक व्यक्ति के जॉब को आकर्षक बनाया जाता है। अधिकांश व्यक्तियों के लिए जिनकी जीवन निर्वाह आवश्यकताओं की पूर्ति हो चुकी होती है, पदोन्नति एक प्रभावशाली प्रेरक ( Motive) माना जाता है। चूंकि पदोन्नति के साथ सामान्यतः वेतन, पद, दायित्व सभी में वृद्धि होती है, अतः पदोन्नति का आकर्षण व्यक्ति को वर्तमान जॉब पर पूर्ण कुशलता व क्षमता का प्रदर्शन करने को प्रेरित करता है।
(4) कार्य दशाएं (Working Conditions) – कार्य दशाओं में कार्य करने की अच्छी व्यवस्था, स्वच्छता, पर्यवेक्षक का सहयोगात्मक रवैया, कार्य का निष्पक्ष आवण्टन, आदि सम्मिलित किये जाते हैं। अच्छी कार्य दशाएं व्यक्ति को उच्च मनोबल प्रदान करती हैं और यह अधिकतम कार्य करने के लिए प्रेरित होता है।
(5) सहभागिता (Participation) – विभिन्न जॉब पर कार्यरत कर्मचारियों को ऐसे निर्णयों में सम्मिलित करना, जो उन्हें प्रभावित करते हैं, अभिप्रेरणा का एक उत्तम तरीका है। वैसे भी जॉब पर कार्यरत कर्मचारियों को जॉब सम्बन्धी समस्याओं और उनके समाधान के लिए सम्भावित उपायों का अच्छा ज्ञान होता है। कर्मचारियों के निर्णयों या प्रबन्ध में इस प्रकार की सहभागिता उन्हें आत्म-संतुष्टि प्रदान करती है, उनमें इस भावना का संचार करती है कि कम्पनी निर्णयों में उनके परामर्श का महत्व है। इस प्रकार उनमें कम्पनी के प्रति वफादारी उत्पन्न होती है और कम्पनी लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए वे अभिप्रेरित होते हैं।
(6) वेतन और पुरस्कार वितरण में समता (Equity in Salary and Rewards Distribution)- यहां समता से आशय वेतन और पुरस्कार वितरण में निष्पक्षता होनी चाहिए। इसी प्रकार अन्य पुरस्कार भी निष्पादन ( Performance) का सही आकलन करके ही दिए जाने चाहिए ताकि एक व्यक्ति को बराबर कठिनाई वाला कार्य पूरा करने पर अपना वेतन तथा पुरस्कार दूसरे व्यक्ति के वेतन व पुरस्कार के बराबर दृष्टिगत हो। वेतन और पुरस्कार की समता कर्मचारियों को संतोष प्रदान करती है और उन्हें निष्ठा के साथ कार्य करने को प्रेरित करती है।
(7) नेतृत्व (Leadership) – प्रभावशाली नेतृत्व कर्मचारियों को अच्छा कार्य करने के लिए प्रेरित करता है। अच्छा प्रबन्ध अपने अधीनस्थों का मनोबल ऊंचा रखता है, उनमें समूह भावना तथा मित्रवत भावना बनाए रखता है, उन्हें जीवन में आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है। इस प्रकार वह अपने अधीनस्थों को उच्च निष्पादन (High Performance) प्रदर्शित करने को अभिप्रेरित करता है।
Important Link…
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है ? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं ? What do you mean by Functional Organization?