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औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन क्या है? औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन में अन्तर

औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन क्या है? औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन में अन्तर
औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन क्या है? औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन में अन्तर

औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन क्या है? (FORMAL AND INFORMAL ORGANISATION)

औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन- सम्बन्धों के आधार पर संगठन को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है: औपचारिक तथा अनौपचारिक संगठन, जिनका विस्तृत विवेचन निम्न है :

(1) औपचारिक संगठन (Formal Organisation)

संगठन के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए प्रबन्ध द्वारा स्वेच्छा से निर्मित संगठन संरचना ही औपचारिक संगठन कहलाता है। लुइस ए. एलन के अनुसार, “औपचारिक संगठन सुपरिभाषित कार्यों की एक ऐसी पद्धति है जिसमें प्रत्येक कार्य के लिए अधिकार, जिम्मेदारी तथा हिसाबदेयता का निश्चित मापदण्ड होता है तथा सम्पूर्ण संरचना सोच-समझकर इस प्रकार की जाती है कि उपक्रम के व्यक्ति अपने उद्देश्यों को प्राप्त करने के लिए एक साथ मिलकर अधिक प्रभावपूर्ण ढंग से कार्य कर सकें।” इस प्रकार एक औपचारिक संगठन उपक्रम के लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए अधिकृत रूप में बनाया जाता है जिसमें सभी व्यक्तियों की संगठनात्मक स्थिति, अधिकार दायित्व सम्बन्ध, सम्प्रेषण प्रवाह पूर्व निश्चित तथा स्पष्टतया परिभाषित होता है। यह सम्बन्ध संगठन चार्ट द्वारा लिखित में प्रदर्शित किया जाता है। इस संगठन में बॉस अपने अधीनस्थों को आवश्यक आदेश व निर्देश देने का अधिकार रखता है तथा अधीनस्थों से उन आदेश व निर्देशों के पालन करने की अपेक्षा की जाती है।

(2) अनौपचारिक संगठन (Informal Organisation)

कार्य स्थल पर कार्यरत व्यक्तियों के मध्य अनायास ही पैदा हुए सामाजिक व मनोवैज्ञानिक सम्बन्धों से जो क्रियाएं तथा आपसी समझ विकसित हो जाती है वह अनौपचारिक संगठन का रूप ले लेती है। साथ-साथ कार्य कर रहे लोग भाषा, धर्म, स्वभाव, कार्य-प्रकृति आदि के आधार पर समूहों में बंट जाते हैं परन्तु प्रत्येक लोग व्यक्तिगत रूप से या भावनात्मक रूप से एकजुट होते हैं। कीथ डेविस ने कहा है कि “प्रत्येक समूह के संस्था में औपचारिक सम्बन्धों को अनौपचारिक संगठन के नाम से जाना जाता है। यह औपचारिक संगठन का पूरक होता है तथा प्रबन्ध के सभी स्तरों पर पाया जाता है। संगठन नितान्त व्यक्तिगत होता है जो नियम व विधियों की अपेक्षा मानवीय व्यवहार तथा रुचि से प्रेरित होता है। ” इसे ‘अंगूर लता’ (grape wine) की संज्ञा भी दी जाती है, क्योंकि इसमें मौखिक रूप में अफवाहें बड़ी तीव्र गति से फैलती हैं जो कभी-कभी औपचारिक संगठन के लिए बड़ी चुनौती बन जाती हैं।

औपचारिक एवं अनौपचारिक संगठन में अन्तर (DIFFERENCE BETWEEN FORMAL AND INFORMAL ORGANISATION)

क्र. सं. अन्तर का आधार औपचारिक संगठन अनौपचारिक संगठन
1. उत्पत्ति जानबूझकर बनाया जाता है। अनायास ही बन जाता है।
2. प्रकृति नियोजित तथा अधिकृत है। अनियोजित तथा व्यक्तिगत है।
3. आकार वृहत होता है। छोटा होता है।
4. अस्तित्व स्थायी होता है। अस्थायी होता है।
5. लक्ष्य संगठन एवं समाज को लाभ व सेवा है। सदस्यों की संतुष्टि है।
6. संरचना औपचारिक एवं आवश्यकता के अनुरूप की जाती है। अनौपचारिक तथा सदस्यों की भावनाओं और रुचि के अनुरूप होती है।
7. सम्प्रेषण अधिकृत रूप में निर्धारित मार्ग द्वारा किया जाता है। कोई निश्चित मार्ग निर्धारित नहीं होता।
8. गति सम्प्रेषण की गति धीमी होती है। सम्प्रेषण की गति तीव्र होती है।
9. नियंत्रण लिखित नियम एवं नियमन द्वारा होता है। समूह मानदण्ड तथा मूल्यों द्वारा होता है।
10. अधिकार-प्रवाह ऊपर से नीचे की ओर होता है। सामान्यतया समतल या नीचे से ऊपर की ओर होता है।
11. चार्ट चार्ट द्वारा प्रदर्शित किया जाता है। चार्ट द्वारा प्रदर्शित नहीं किया जाता।
12. महत्व कार्य सम्पादन व लक्ष्य प्राप्ति पर जोर देता है। व्यक्तियों की भूमिका तथा व्यवहार पर जोर देता है।
13. व्यय व्यय साध्य है। व्यय साध्य नहीं है।
14. चुनौती यह अनौपचारिक संगठन के लिए चुनौती नहीं है। यह औपचारिक संगठन के लिए कभी-कभी चुनौती बन जाता है।

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Anjali Yadav

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