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अधिगम की प्रकृति एवं मुख्य विशेषताएँ | Nature and Main Characteristics of Learning in Hindi

अधिगम की प्रकृति एवं मुख्य विशेषताएँ | Nature and Main Characteristics of Learning in Hindi
अधिगम की प्रकृति एवं मुख्य विशेषताएँ | Nature and Main Characteristics of Learning in Hindi

अधिगम की प्रकृति एवं मुख्य विशेषताएँ (Nature and Main Characteristics of Learning)

अधिगम के द्वारा हमारे व्यवहार में जो परिवर्तन होता है वह पूर्णतया अर्जित ही होता है. या यूँ कहें कि यह व्यवहार जन्मजात नहीं होता। अधिगम हमें विरासत में प्राप्त नहीं होता बल्कि वातावरण में निहित कारकों के प्रभाव से प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष अनुभव के माध्यम से हमारे द्वारा स्वयं ही अर्जित की जाती है। भाषा जो हम बोलते हैं, कौशल जिनका हम प्रयोग करते हैं एवं रुचियाँ, आदतें और अभिवृत्तियाँ आदि जो हमारे व्यक्तित्व के अंग बरो हुए हैं ये सब अर्जित व्यवहारगत विशेषताएं हैं। अब यहाँ प्रश्न यह उठता है कि किस प्रकार के अर्जित अधिगम व्यवहार की विशेष प्रकृति क्या होती है? तथा उसमें किस प्रकार की विशेषताएँ देखने को मिलती है? इस प्रश्न का बहुत कुछ उत्तर सीखने सम्बन्धी परिभाषाओं एवं उससे सम्बन्धित सामग्री के आधार पर भली-भाँति प्राप्त किया जा सकता है।

योकम एवं सिम्पसन (Yoakam and Simpson) के अनुसार, सीखने की सामान्य विशेषताएं निम्नलिखित हैं-

1) सीखना सम्पूर्ण जीवन चलता है (Learning is a Life-long Process) सीखने की प्रक्रिया जन्म से लेकर मृत्युपर्यन्त चलती है।

2) सीखना परिवर्तन है (Learning is Change) – व्यक्ति स्वयं दूसरों के अनुभवों से सीखकर अपने व्यवहार विचारों, इच्छाओं, एवं भावनाओं आदि में परिवर्तन करता है। गिलफोर्ड के अनुसार, “सीखना, व्यवहार के परिणामस्वरूप व्यवहार में कोई परिवर्तन हैं।”

3) सीखना सार्वभौमिक है (Learning is Universal) – सीखने का गुण केवल मनुष्य में ही नहीं पाया जाता है। वस्तुतः संसार के सभी जीवधारी जीव-जन्तु, पशु-पक्षी में भी पाया जाता है।

4) सीखना समायोजन है (Learning is Adjustment) – सीखना, वातावरण से अनुकूलन करने के लिए आवश्यक है। सीखकर ही व्यक्ति, नई परिस्थितियों से अपना अनुकूलन कर सकता है। जब वह अपने व्यवहार को नई परिस्थिति एवं वातावरण के अनुकूल बना लेता है, तभी वह कुछ सीख पाता है। गेट्स एवं अन्य के अनुसार, सीखने का सम्बन्ध स्थिति के क्रमिक परिचय से है।

5) सीखना विकास है (Learning is Growth) – व्यक्ति अपनी दैनिक क्रियाओं और अनुभवों के द्वारा कुछ न कुछ सीखता है। फलस्वरूप, उसका शारीरिक और मानसिक विकास होता है।

6) सीखना नया कार्य करना है (Learning is doing Something New)– वुडवर्थ के अनुसार, सीखना कोई नया कार्य करना है। परन्तु उसमें उसने एक शर्त लगा दी, उसने कहा है कि सीखना, नया कार्य करना तभी है, जब यह कार्य जाएँ और अन्य कार्यों में प्रकट हो। पुनः किया

7) सीखना अनुभवों का संगठन है (Learning is Organisation of Experiences) – सीखना न तो नए अनुभवों की प्राप्ति है और न ही पुराने अनुभवों का योग वरन नये और पुराने अनुभवों का संगठन है। जैसे-जैसे व्यक्ति नए अनुभवों द्वारा नई बात सीखता जाता है, वैसे-वैसे वह अपनी आवश्यकताओं के अनुसार अपने अनुभवों को संगठित करता जाता है।

8) सीखना उद्देश्यपूर्ण होता है (Learning is Purposive)- सीखना उद्देश्यपूर्ण होता है। उद्देश्य जितना ही अधिक प्रबल होता है, सीखने की क्रिया उतनी ही तीव्र होती है। उद्देश्य के अभाव में सीखना असफल होता है।

9) सीखना विवेकपूर्ण होता है (Learning is Rational) – मर्सेल (Mursell) का कथन है कि सीखना, यांत्रिक कार्य नहीं बल्कि विवेकपूर्ण कार्य है। उसी बात को शीघ्रता और सरलता से सीखा जा सकता है, जिसमें बुद्धि या विवेक का प्रयोग किया जाता है। बिना सोचे-समझे किसी बात को सीखने में सफलता नहीं मिलती है।

10) सीखना सक्रिय है (Learning is Active) सक्रिय सीखना ही वास्तविक सीखना है। बालक तभी कुछ सीख सकता है, जब वह स्वयं सीखने की प्रक्रिया में भाग लेता है। यही कारण है कि डॉल्टन विधि, प्रोजेक्ट विधि आदि शिक्षण की प्रगतिशील विधियाँ हैं जो बालक की क्रियाशीलता पर बल देती है।

11) सीखना खोज है (Learning is Discovery) – वास्तविक सीखना किसी बात की खोज करना है। इस प्रकार के सीखने में व्यक्ति विभिन्न प्रकार के प्रयास करके स्वयं एक परिणाम पर पहुँचता है। मर्सेल ने कहा है, सीखना उस बात को खोजने और जानने का कार्य है, जिसे एक व्यक्ति खोजना और जानना चाहता है।

12) सीखना वातावरण की उपज है (Learning is a Product of Environment)- सीखना रिक्तता में न होकर, सदैव उस वातावरण के प्रति प्रतिक्रिया के रूप में होता है, जिसमें व्यक्ति रहता है। बालक का सम्बन्ध जिस प्रकार के वातावरण से होता है, वह वैसी ही बातें सीखता है। यही कारण है कि आजकल इस बात पर बल दिया जाता है कि विद्यालय इतना उपयुक्त और प्रभावशाली वातावरण उपस्थित करें कि बालक अधिक से अधिक अच्छी बातों को सीख सकें।

13) सीखना व्यक्तिगत व सामाजिक दोनों है (Learning is both Individual and Social)— सीखना व्यक्तिगत कार्य तो है ही, परन्तु इससे भी अधिक सामाजिक कार्य है । योकम एवं सिम्प्सन के अनुसार, सीखना सामाजिक है, क्योंकि किसी प्रकार के सामाजिक वातावरण के अभाव में व्यक्ति का सीखना असम्भव है।

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Anjali Yadav

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