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अधिगम स्थानान्तरण की दशाएँ (Conditions of Transfer of Learning)
क्रमशः सीखने की क्रिया में स्थानान्तरण की प्रक्रिया अचानक नहीं होती है। अनेक बार इस प्रकार की परिस्थितियाँ उत्पन्न हो जाती हैं जिनके विषय में हमारे पास न तो कोई विशेष ज्ञान होता है और न ही कौशल। उस समय पूर्व अर्जित ज्ञान एवं कौशल का प्रयोग किया जाता है। इस सम्बन्ध में रायबर्न का कथन है कि स्थानान्तरण, निश्चित परिस्थितियों में निश्चित मात्रा में हो सकता है।
According to Ryburn, “There is a certain amount of transference that can take place under certain conditions.”
अतः उपरोक्त कथन से स्पष्ट है कि स्थानान्तरण पूर्ण रूप में नहीं बल्कि एक निश्चित मात्रा में होता है। इसके साथ ही जब स्थानान्तरण परिस्थितियाँ अनुकूल होंगी तभी यह स्थानान्तरण सम्भव होगा।
ये विशेष दशाएँ निम्नलिखित हैं-
1) अधिगमकर्ता की इच्छा (Learner’s Will) – अधिगमकर्ता की इच्छा पर स्थानान्तरण निर्भर होता है। इस सम्बन्ध में मर्सेल (Mursell) का कथन है कि किसी नई परिस्थिति के अधिगम स्थानान्तरण की एक अनिवार्य शर्त यह है कि सीखने वाले में उसे हस्तान्तरित करने की इच्छा अवश्य होनी चाहिए।
2) अधिगमकर्ता की सामान्य बुद्धि (Learner’s General Intelligence) – अधिगमकर्ता अपनी सामान्य बुद्धि का उपयोग करके सफल अधिगम स्थानान्तरण कर सकता है। उसमें जितनी अधिक सामान्य बुद्धि होती है वह अधिगम स्थानान्तरण में उतना अधिक सफल होता है। गैरेट (Garrett) के अनुसार, ‘हाई स्कूल में अध्ययन करने वाले सामान्य बुद्धि के सर्वश्रेष्ठ छात्रों में निम्नतम सामान्य बुद्धि के छात्रों की अपेक्षा स्थानान्तरण की योग्यता 20 गुना अधिक होती हैं।”
3) अधिगमकर्ता की शैक्षिक योग्यता (Learner’s Education Achievement) – सीखने वाले में ज्ञान तथा शैक्षिक योग्यता की मात्रा जितनी अधिक होगी, अधिगम स्थानान्तरण की क्षमता भी उतनी ही अधिक होगी। बशर्ते उसका ज्ञान एवं शैक्षिक योग्यता विषय या विषयों के गहन अध्ययन से प्राप्त हो न कि रटकर क्योंकि ऐसे ज्ञान का स्थानान्तरण प्रायः असम्भव होता है।
इस सम्बन्ध में मर्सेल का कथन है कि, ‘जब हम किसी की बात को वास्तव में सीख लेते हैं. तभी उसका स्थानान्तरण कर सकते हैं।
According to Mursell. “Whenever we have really learned anything we can transfer it.”
4) सामान्यीकरण करने की योग्यता (Ability to Generalise) – स्थानान्तरण की प्रमुख दशाओं में सामान्यीकरण करने की योग्यता प्रमुख होती है। अधिगमकर्ता में अपने कार्यों एवं अनुभवों के जितने अधिक सामान्य सिद्धान्त निकालने की योग्यता होती है, वह स्थानान्तरण में उतना ही सफल होता है। रायबर्न के शब्दों में स्थानान्तरण उसी सीमा तक होता है, जिस सीमा तक सामान्यीकरण किया जाता है।
5) समान अध्ययन विधियाँ (Identical Methods of Study) – यदि किन्हीं दो विषयों की अध्ययन विधियों समान होती हैं तो इस दशा में भी स्थानान्तरण सम्भव होता है। प्रायः जो छात्र विज्ञान का अध्ययन करते समय, विभिन्न तथ्यों की खोज, प्रमाणों का संकलन एवं परिणामों की जाँच आदि विधियों का प्रयोग करते हैं वे इतिहास का अध्ययन करते समय इनका स्थानान्तरण कर सकते हैं।
भाटिया के अनुसार, जिन विषयों की अध्ययन विधियाँ समान होती हैं, उसमें थोड़ा, पर वास्तविक स्थानान्तरण होता है।”
6) समान विषयवस्तु (Identical Subject Matter) – इस सम्बन्ध में भाटिया का कथन है कि, “यदि दो विषय पूर्ण रूप से समान हैं, तो 100% स्थानान्तरण हो सकता है। यदि विषय बिल्कुल भिन्न हैं तो तनिक भी स्थानान्तरण सम्भव नहीं है।’
अर्थात् दो विषयों के समान होने पर स्थानान्तरण अधिक होगा जैसे- गणित का ज्ञान भौतिकशास्त्र के अध्ययन में अधिक योगदान देता है।
7) विषयों के स्थानान्तरण का गुण (Transfer Values of Subjects) – गैरेट (Garrett) ने लिखा है, ‘विद्यालय विषयों में स्थानान्तरण के गुण में विभिन्नता होती है। जैसे- भाषाओं एवं सामाजिक विज्ञानों की अपेक्षा गणित और विज्ञान में स्थानान्तरण का गुण अधिक होता है जबकि इतिहास एवं अंग्रेजी साहित्य में स्थानान्तरण का गुण कम होता है। इस प्रकार के विषयों का अध्ययन करने वाला ज्ञान का स्थानान्तरण करने में कम सफल होता है।
8) स्थानान्तरण का प्रशिक्षण (Training of Transfer) – यदि अधिगमकर्ता अधिगम स्थानान्तरण में प्रशिक्षित है तो उसमें स्थानान्तरण योग्यता का विकास होता है। उदाहरणार्थ- यदि शिक्षक छात्रों को स्वच्छता व्यवस्था एवं ईमानदारी आदि का महत्व बताता है तो छात्र अपने विभिन्न कार्यों में इन गुणों का प्रदर्शन करते हैं। इस विषय में गैरेट महोदय ने लिखा है, ‘विद्यालय कार्य में स्थानान्तरण की सर्वोत्तम विधि है- स्थानान्तरण की शिक्षा देना। अधिगम स्थानान्तरण के समय ध्यान देने योग्य बातें शिक्षण-अधिगम प्रक्रिया में स्थानान्तरण के लिए निम्न बातों पर ध्यान देना आवश्यक है-
(i) शिक्षक को अध्यापन के समय मुख्य बिन्दुओं पर अधिक ध्यान देना चाहिए।
(ii) शिक्षक को कक्षा में छात्रों को विषय से सम्बन्धित सामान्य सिद्धान्तों की जानकारी अधिक देनी चाहिए तथा विशिष्ट सिद्धान्तों की कम।
iii) किसी प्रत्यय को स्पष्ट करने के लिए शिक्षक को दैनिक जीवन से सम्बन्धित पर्याप्त उदाहरण देने चाहिए।
iv) अधिगमकर्ताओं अर्थात् छात्रों को नकारात्मक स्थानान्तरण के अवसर नहीं दिए जाने चाहिए।
v) पाठ्यचर्या निर्माण में स्थानान्तरण का विशेष महत्व है। अतः पाठ्यचर्या में जीवनोपयोगी विषयों को स्थान देना चाहिए।
vi) छात्रों को स्थानान्तरण के अवसर नियमित रूप से प्रदान किए जाने चाहिए।
(vii) अध्यापक को छात्रों को किताबी कीड़ा बनाने के बजाय उन्हें कार्यानुभव के माध्यम से शिक्षा प्रदान करनी चाहिए।
(viii) छात्रों को अधिक से अधिक सामान्यीकरण कराया जाना चाहिए।
(ix) अध्यापक को स्थानान्तरण की सफलता के लिए चिन्तन शक्ति का विकास एवं अध्ययन के प्रति रुचि जागृत करनी चाहिए। इसके साथ ही साथ छात्रों को ज्ञानार्जन के लिए सदैव प्रेरित करते रहना चाहिए।
(x) अध्यापक को पढ़ाते समय सह-सम्बन्ध के सिद्धान्त को अपनाना चाहिए।
(xi) छात्रों को भविष्य की योजनाओं के अनुसार शिक्षा प्रदान की जानी चाहिए।
(xii) शिक्षक को बालक की मानसिक योग्यता तथा व्यक्तिगत विभिन्नता के अनुसार पाठ्य-विषयों तथा शिक्षण विधियों का चयन करना चाहिए साथ ही स्थानान्तरण हेतु अनुकूल परिस्थितियाँ प्रदान की जानी चाहिए।
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