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अन्य आधार | Other basis in Hindi

अन्य आधार | Other basis in Hindi
अन्य आधार | Other basis in Hindi

अन्य आधार (Other basis)

पाठ्यचर्या के निर्धारण में उपर्युक्त निर्धारक तत्त्वों के अतिरिक्त कुछ अन्य निर्धारक भी पाठ्यचर्या के विकास में महत्त्वपूर्ण योगदान देते हैं। इनका संक्षिप्त विवरण निम्नलिखित है-

1) आर्थिक आधार (Economical Determinant) – पाठ्यचर्या के निर्धारण में आर्थिक तत्त्वों का भी महत्त्वपूर्ण योगदान होता है। प्रत्येक देश की शिक्षा व्यवस्था का अपनी आर्थिक स्थिति से गहरा सम्बन्ध होता है। राष्ट्र की आर्थिक स्थिति के अनुकूल ही शिक्षा के लक्ष्यों एवं पाठ्यचर्या का निर्धारण किया जाता है। देश की आर्थिक स्थिति के सम्बन्ध में जो दृष्टिकोण होता है, प्रायः उसी दृष्टिकोण का विकास उस राष्ट्र के बालकों में भी किया जाता है।

उदाहरण के लिए- समाजवादी आर्थिक व्यवस्था के अन्तर्गत चीन में सम्पूर्ण सम्पत्ति पर राज्य का एकाधिकार माना जाता है। फलतः बालकों में प्राथमिक स्तर से ही यह भावना विकसित की जाती थी कि सम्पूर्ण सम्पत्ति पर राज्य का अधिकार है तथा प्रत्येक नागरिक का उत्तरदायित्व इसकी रक्षा करना है।

वर्तमान समय में शिक्षा को एक उत्तम विनियोग माना जाता है क्योंकि शिक्षा पर व्यय का लाभांश सर्वाधिक होता है। यदि किसी राष्ट्र की साक्षरता दर अधिक होगी तो उस राष्ट्र की प्रति व्यक्ति आय दर में निरन्तर वृद्धि होती जाती है। अतः प्रत्येक देश की अर्थव्यवस्था के द्वारा ही शिक्षा के उद्देश्य एवं पाठ्चर्या निर्धारित होती है तथा प्रभावित भी होती है।

2) पर्यावरणीय आधार (Environmental basis) – पाठ्यचर्या विकास के विभिन्न निर्धारक तत्त्वों में पर्यावरणीय निर्धारक भी अत्यन्त महत्त्वपूर्ण है। प्रत्येक देश की पाठ्यचर्या उस देश विशेष के पर्यावरण से भी प्रभावित होती है। पर्यावरण से सम्बन्धी मुद्दे भी पर्यावरण विकास पर प्रभाव डालते हैं। पर्यावरण सम्बन्धी जागरूकता विकास के लिए पर्यावरण से सम्बन्धित विषय वस्तु को भी पाठ्यचर्या में सम्मिलित किया जाता है। पर्यावरण से सम्बन्धित विषय वस्तु में सामाजिक एवं भौतिक दोनों प्रकार के पर्यावरण को सम्मिलित किया जाता है।

3) शैक्षणिक आधार (Pedagogical Basis) – जैसा कि सर्वविदित है शिक्षा का अभिप्राय मानव का सर्वांगीण विकास करना है, इसलिए पाठ्यचर्या में मानव के विकास एवं कल्याण सम्बन्धी तत्त्वों को सम्मिलित किया जाता है। इसके अन्तर्गत वर्तमान एवं भूतकाल के स्थानीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय ज्ञान एवं सामान्य जानकारी को सम्मिलित किया जाता है। ऐसे तत्त्वों को पाठ्यचर्या में सम्मिलित किया जाता है जो बालकों में नैतिकता एवं मूल्यों का विकास कर सके। उसमें आचार-विचार तथा अनुकूल परिस्थिति में उनका प्रयोग कर सके। प्रत्येक विषय की एक पृष्ठभूमि होती है, पाठ्यचर्या में उन पृष्ठभूमि से सम्बन्धित तथ्यों को भी सम्मिलित किया जाता है। जो कि छात्रों के विषय सम्बन्धित ज्ञान में वृद्धि करते हैं। इस प्रकार शैक्षणिक निर्धारक तत्त्वों में ज्ञान, मूल्य, नैतिकता एवं आचार-विचार तथा अनुकूल परिस्थितियों में उनके प्रयोग पर बल दिया जाता है।

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Anjali Yadav

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