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वनस्थली विद्यापीठ (Banasthali Vidyapeeth) : अर्थ, विशेषताएँ, केन्द्र-वनस्थली, पाठ्यचर्या एंव विभाग

वनस्थली विद्यापीठ (Banasthali Vidyapeeth) : अर्थ, विशेषताएँ, केन्द्र-वनस्थली, पाठ्यचर्या एंव विभाग
वनस्थली विद्यापीठ (Banasthali Vidyapeeth) : अर्थ, विशेषताएँ, केन्द्र-वनस्थली, पाठ्यचर्या एंव विभाग

वनस्थली (Banasthali)

वनस्थली के नाम से प्रसिद्ध 850 एकड़ में फैले वनस्थली विद्यापीठ की स्थापना सन् 1935 में की गई थी। तब इसका नाम श्री शान्ताबाई शिक्षा कुटीर था जिसे 1943 में बदलकर वनस्थली विद्यापीठ नाम दिया गया। इसके संस्थापक पं. हीरालाल शास्त्री ने अपनी पत्नी रतन शास्त्री के साथ इसकी स्थापना के विषय में निर्णय लिया। वनस्थली की स्थापना के लिए पं. हीरालाल शास्त्री ने जयपुर राज्य सरकार के सचिव पद से त्यागपत्र दे दिया था। पं. हीरालाल शास्त्री एक सुदूर गाँव बन्थली पहुँचे तथा वही पर इस शिक्षा कुटीर की स्थापना की। बन्थली ही बाद में वनस्थली हो गया तथा यह संस्थान वनस्थली विद्यापीठ के नाम से लोकप्रिय हो गया। यह संस्था 1983 से स्कूल एवं विश्वविद्यालय के रूप में मात्र बालिकाओं की शिक्षा के लिए प्रसिद्ध हो गया। इसमें महिलाओं की शिक्षा के लिए स्नातक एवं स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों को सम्मिलित किया गया है।

वनस्थली विद्यापीठ में पंचमुखी शिक्षा पद्धति पर बल दिया जाता हैं अर्थात् इसके अन्तर्गत शारीरिक शिक्षा, व्यावहारिक शिक्षा, कला शिक्षा, नैतिक एवं बौद्धिक शिक्षा पर विशेष रूप से ध्यान दिया जाता है। वनस्थली विद्यापीठ का मुख्य उद्देश्य छात्राओं का सम्पूर्ण विकास करना है। यहाँ की शिक्षा पद्धति की मुख्य विशेषता यह है कि भारत के कोने-कोने से छात्राएँ यहाँ शिक्षा ग्रहण करने आती है। वर्तमान में विदेशी छात्राएँ भी अधिक संख्या में इस शिक्षा केन्द्र का भरपूर लाभ उठा रही हैं। वनस्थली विद्यापीठ में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा तक की उचित व्यवस्था है। इस प्रकार वनस्थली विद्यापीठ महिला शिक्षा की राष्ट्रीय संस्था हैं यहाँ शिशु शिक्षण से लेकर स्नातकोत्तर शिक्षण के लिए अनुसंधान कार्य हो रहा हैं। वनस्थली को विश्व विद्यालय अनुदान आयोग अधिनियम की धारा 3 के अधीन भारत सरकार द्वारा समविश्वविद्यालय घोषित किया गया हैं। वनस्थली विद्यापीठ भारतीय विश्वविद्यालय संघ तथा एसोसिएशन ऑफ कॉमन वेल्थ यूनिवर्सिटीज का सदस्य है।

वनस्थली का वातावरण स्वतन्त्र है यहाँ छात्राओं को अधिकतम स्वतंत्रता दी जाती है तथा उनके व्यक्तित्त्व के निर्माण करने का प्रयास किया जाता है जो छात्रा दो-चार वर्ष वनस्थली में पढ़ लेती हैं उसके व्यक्त्तित्त्व में वनस्थली की स्पष्ट झलक देखी जा सकती है। वनस्थली के विशाल पुस्तकालय में लगभग एक लाख पुस्तकें हैं जिनमें उच्चकोटि के अनेक दुर्लभ ग्रन्थ भी है। लगभग 750 पत्रिकाएँ नियमित रूप से आती हैं जिनमें उच्च स्तर की विदेशी पत्रिकाएँ भी है। राष्ट्रीय, राज्यीय एवं क्षेत्रीय स्तर पर भी वनस्थली की छात्राएँ विभिन्न कार्यक्रमों में पुरस्कृत होती है। घुड़सवारी के प्रशिक्षण की जो व्यवस्था वनस्थली विद्यापीठ में है वह विशिष्ट एवं सराहनीय है। लगभग प्रतिवर्ष राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड तथा राजस्थान विश्वविद्यालय की मेरिट लिस्ट में यहाँ की छात्राएँ स्थान ग्रहण करती हैं वनस्थली का उच्च माध्यमिक विद्यालय देश का प्रथम ‘गर्ल्स आटो नॉमस स्कूल’ है।

वनस्थली विद्यापीठ की विशेषताएँ (Characteristics of Banasthali Vidyapeeth)

वनस्थली की पंचमुखी शिक्षा एवं उसे सम्पन्न करने के लिए जो विशेष प्रवृत्तियाँ आयोजित की जाती हैं उनके आधार पर वनस्थली शिक्षा की विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार से बताई जा सकती हैं-

1) पूर्व व पश्चिम की आध्यात्मिक विरासत एवं वैज्ञानिक उपलब्धियों का समन्वय होता है।

2) सर्वांगीण प्रगतिशील शिक्षा उपलब्ध कराई जाती है।

3) भारतीय संस्कृति एवं आचार-विचार पर बल दिया जाता है।

4) व्यक्तिगत स्वतंत्रता, सामाजिक उत्तरदायित्व एवं मर्यादा पालन में संतुलन है।

5) सादा जीवन यापन किया जाता है।

6) गणवेश खादी वस्त्र होता है।

7) छात्राएँ अपना निजी एवं घरेलू कार्य स्वयं करती है।

8) छात्राएँ छात्रावास में बिना किसी भेदभाव के सामूहिक जीवन यापन करती हैं।

शिक्षा का अखिल भारतीय केन्द्र-वनस्थली (All India Education Institute- Banasthali)

विभिन्न वर्गों एवं जातियों की लड़कियाँ भारत के प्रायः सभी राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों तथा नेपाल, भूटान, श्रीलंका, कम्बोडिया, केन्या, कुवैत, थाईलैण्ड, तंजानिया, जापान, जर्मनी, यू.एस.ए. आदि दूसरे देशों से भी यहाँ शिक्षा प्राप्त करने के लिए आती हैं इस प्रकार वनस्थली शिक्षा का अखिल केन्द्र है तथा अन्तर्राष्ट्रीय केन्द्र के रूप में भी इसका उदय हो रहा है। इसी दृष्टि से विशेष शिक्षाक्रम में प्रवेश लेने वाली विभिन्न देशों की छात्राओं के लिए वनस्थली विद्यापीठ में ‘शान्ता विश्वनीऽम’ नाम से एक अन्तर्राष्ट्रीय भवन का निर्माण किया गया है। मुख्यतया विदेशी छात्राओं के लिए जिन पाठ्यक्रमों का आयोजन किया जाता है वे इस प्रकार हैं-

  1. गांधी विचार एवं व्यवहार
  2. भारतीय चित्रकला,
  3. भारतीय संगीत,
  4. भारतीय नृत्य एवं
  5. भारतीय भाषाएँ।

इन पाठ्यक्रमों की अवधि एक वर्ष है।

वनस्थली विद्यापीठ की पाठ्यचर्या (Curriculum of Banasthali Vidyapeeth)

वनस्थली में बालिकाओं में सर्वांगीण विकास हेतु सम्पूर्ण शिक्षा देने की दृष्टि से एक विशिष्ट शिक्षा योजना का निर्माण किया गया हैं। यह शिक्षा योजना वनस्थली की पंचमुखी शिक्षा है। इसके पाँच अंग हैं शारीरिक, व्यवहारिक शिक्षा कला विषयक, नैतिक एवं बौद्धिक । वनस्थली विद्यापीठ की पाठ्यचर्या का वर्णन निम्नलिखित प्रकार से किया जा सकता है-

1) शारीरिक शिक्षा- इसके अन्तर्गत विभिन्न प्रकार के व्यायाम जैसे तलवार, भाला, बन्दूक चलाना, सैनिक अभ्यास आदि नाना प्रकार के आधुनिक एवं पुराने खेल व स्पोर्ट्स, जैसे- कबड्डी खो-खो, हॉकी बास्केटबाल, बैडमिण्टन, लॉग जम्प, हाई जम्प, आदि। इसके अतिरिक्त रेन्जिंग, गर्ल-गाइडिंग, बुलबुल, घुड़सवारी एवं तैरने का प्रशिक्षण दिया जाता है। यौगिक आसन सिखाने का भी प्रबन्ध है।

2) व्यवहारिक शिक्षा- इसके अन्तर्गत गृहस्थ शिक्षा, रंगाई-छपाई बागवानी का काम, सिलाई कढ़ाई, खिलौने बनाना, पेपरमेशी, क्राफ्ट, क्ले मॉडलिंग आदि सम्मिलित है। सभी छात्राएँ अपने कमरों की एवं अपने बर्तनों की सफाई स्वयं करती हैं, अपने कपड़े भी स्वयं धोती है। सामूहिक श्रम का आयोजन भी किया जाता है।

3) कला विषयक शिक्षा- कक्षा एक से पाँच तक संगीत एवं चित्रकला दोनों एवं कक्षा 10 तक संगीत या चित्रकला में से किसी एक की शिक्षा विद्यापीठ के शिक्षाक्रम में व्यवस्था है। नृत्य-शिक्षण का प्रशिक्षण अलग से दिया जाता है।

4) नैतिक शिक्षा- छात्राओं के नैतिकता का विकास करना तथा उनमें सर्व-धर्म सम्भाव पैदा करना नैतिक शिक्षा का लक्ष्य है। यह शिक्षा उपदेशात्मक ढंग से नहीं दी जाती है। सर्व-धर्म-सम्भाव की दृष्टि को ध्यान में रखते हुए विद्यापीठ एवं छात्रावास में होने वाली सामूहिक प्रार्थनाएँ, साप्ताहिक बातचीत एवं वेद, गीता रामायण तथा दूसरे धर्म ग्रन्थों आदि का पाठ, भेदभाव रहित छात्रावास का सम्मिलित सामूहिक जीवन एवं वातारण की स्वच्छता वनस्थली विद्यापीठ की नैतिक शिक्षा के प्रमुख साधन है। इस प्रकार विद्यापीठ की सामूहिक सायंकालीन प्रार्थना उद्बोधन कार्यक्रम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

5) बौद्धिक शिक्षा – वनस्थली में इस बात का ध्यान रखा जाता है कि वर्तमान समय के प्रचलित शिक्षा प्रणाली के दोषों से यहाँ की शिक्षा यथा सम्भव मुक्त रहे। भाषा एवं गणित के अतिरिक्त प्राकृतिक तथा सामाजिक ज्ञान की शिक्षा प्रारम्भ से दी जाती है शिक्षण पद्धति में सामाजिक एवं प्राकृतिक वातावरण, पर्व समारोह नाटक एवं चुने हुए विषयों पर तैयार की जाने वाली प्रायोजना का आवश्यकतानुसार उपयोग किया जाता है। शिक्षा का एकमात्र लक्ष्य केवल परीक्षाएँ उत्तीर्ण करना ही नहीं है बल्कि व्यवहारिक जीवन से सम्बन्धित करना भी है। परीक्षा पद्धति में छात्राओं द्वारा किए गए दैनिक कार्य को भी मूल्यांकन में स्थान दिया जाता है।

वनस्थली विद्यापीठ के विभिन्न विभाग (Various Departments of Banasthali Vidyapeeth)

वनस्थली विद्यापीठ के विभिन्न विभाग इस प्रकार हैं-

1) प्राथमिक विद्यालय- इस विद्यालय में विद्यापीठ का अपना स्वतन्त्र शिक्षाक्रम है। इसमें 1 से कक्षा 5 तक कक्षाएँ चलती है।

2) उच्च माध्यमिक विद्यालय- इस विभाग में कक्षा 6 से 8 तक का अपना स्वतंत्र शिक्षाक्रम है। कक्षा 10वीं एवं 12वीं में वनस्थली विद्यापीठ का स्वतन्त्र बोर्ड है। इस स्तर पर कला विज्ञान तथा गृह विज्ञान इन तीनों वर्गों के अध्ययन की व्यवस्था हैं वनस्थली विद्यापीठ का वर्तमान पाठ्यक्रम, परीक्षाएँ एवं प्रमाणपत्र वनस्थली बोर्ड के हैं।

3) ज्ञान-विज्ञान महाविद्यालय- इनमें पी.यू.सी., बी.ए., बी.एस.सी., एम.ए. (दस विषय), एम.एस.सी. (केवल रसायन शास्त्र), पोस्ट एम.ए. डिप्लोमा इन लिंग्विस्टिक्स के अतिरिक्त हिन्दी संस्कृत, अंग्रेजी, इतिहास संगीत एवं भाषा विज्ञान में अनुसंधान की भी सुविधा उपलब्ध हैं।

4) शिक्षा महाविद्यालय- बी.एड. एवं एम.एड. के पाठ्यक्रम के अतिरिक्त पी.एच.डी. के अनुसंधान के लिए भी मान्यता प्राप्त है।

5) वेद विद्यालय – इसका मुख्य उद्देश्य वेद के अध्ययन एवं अध्यापन की व्यवस्था करना है साथ ही यह विद्यालय राजस्थान माध्यमिक शिक्षा बोर्ड से संस्कृत की परीक्षाओं के लिए सम्बन्धित है। वर्तमान में संस्कृत ऋग्वेद, यजुर्वेद व सामवेद के लिए प्रारम्भिक व उच्चस्तरीय कक्षाएँ चलाई जाती हैं।

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Anjali Yadav

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