Contents
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन (CONTINUOUS AND COMPREHENSIVE EVALUATION – CCE)
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन योजना को विद्यालयों में लागू किया गया है तथा एन.सी.ई.आर. टी. द्वारा सन् 2010 में पाठ्य-पुस्तकों को इसके अनुसार संशोधित किया गया है। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन योजना में एन.सी.ई.आर.टी. ने एक शैक्षिक सत्र कोर्स को दो सेमेस्टर में विभाजित किया है तथा प्रत्येक सेमेस्टर को दो संरचनात्मक आंकलन तथा एक समेकित आंकलन में विभाजित किया गया है। संरचनात्मक आंकलन प्रयोजन कार्य, दत्तकार्य, मौखिक गतिविधियाँ तथा अन्य प्रकार के लिखित परीक्षणों द्वारा किया जाएगा। इसक अतिरिक्त सह विद्यालयी क्षेत्रों एवं गतिविधियों का आंकलन वर्ष पर्यन्त किया जाता है।
सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन विद्यार्थियों की शैक्षिक प्रगति का व्यापक विवरण प्रस्तुत करता है जिससे विद्यार्थियों को प्रतिपुष्टि प्राप्त होती है जिसके आधार पर वे अपनी कमजोरियों और समस्याओं का निदान करके अपनी निष्पत्ति में सुधार एवं व्यक्तित्व का बहुमुखी विकास कर सकेंइसके साथ ही शिक्षकों को भी एक मार्गदर्शन मिलता है तद्नुसार वे अपनी अनुदेशनात्मक व्यूह रचनाओं में परिवर्तन करते हैं जिससे शिक्षण अधिगम प्रक्रिया अधिक प्रभावी बनायी जा सके परन्तु यह सत्य है कि सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया की सार्थकता शिक्षकों पर निर्भर करती है।
शिक्षा एवं मूल्यांकन दोनों साथ-साथ चलने वाली प्रक्रियाएँ हैं। औपचारिक शिक्षा की प्रत्येक सम्भव स्थिति तथा गतिविधियों में मूल्यांकन अपना कार्य करता है। अतः कहा जा सकता है कि मूल्यांकन द्वारा सभी अधिगम अनुभवों जो कि विद्यार्थी के शैक्षिक एवं सहशैक्षिक दोनों ही क्षेत्रों से सम्बन्धित हो, को ध्यान में रखा जाता है अर्थात् मूल्यांकन की प्रकृति सतत् होने के साथ-साथ व्यापक होनी चाहिए।
सतत् मूल्यांकन का अर्थ (Meaning of Continuous Evaluation)
सतत् मूल्यांकन एक ऐसी प्रक्रिया है जो शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया के साथ-साथ चलती रहती है जिससे छात्रों के अनुभवों एवं व्यवहारों में होने वाले परिवर्तन का मूल्यांकन लगातार होता रहता है। सतत् मूल्यांकन लिखित, मौखिक तथा अन्य कई क्रियाकलापों के माध्यम से सम्पन्न किया जाता हैं। दूसरे शब्दों में, सतत् मूल्यांकन का आशय उस परीक्षण से है जिससे छात्र के अध्ययन एवं उपलब्धियों का प्रतिमाह लेखा-जोखा रखा जाता है तथा पाठ्यक्रम को (सम्पूर्ण) इकाइयों में विभक्त किया जाता है तथा प्रत्येक इकाई के शिक्षण उपरान्त या शिक्षण के दौरान विभिन्न माध्यमों से छात्रों का मूल्यांकन किया जाता है कि क्या पढ़ाया गया? और शिक्षण सामग्री को छात्र समझ भी रहा है या नहीं।
इस प्रकार सतत् मूल्यांकन से तात्पर्य नियमित एवं निरन्तर होने वाले मूल्यांकन से है। सतत् शब्द का प्रयोग शिक्षण अधिगम की प्रक्रिया के सम्पूर्ण समन्वित आंकलन के लिए किया गया हैशिक्षा की प्रक्रिया छात्र के सभी क्षेत्रों को प्रभावित करती हुई निरन्तर आगे बढ़ती रहती है और यही निरन्तरता मूल्यांकन में भी होनी चाहिए।
व्यापक मूल्यांकन का अर्थ (Meaning of Comprehensive Evaluation)
व्यापक मूल्यांकन प्रक्रिया को ऐसी प्रक्रिया के रूप में समझा जाता है जो छात्रों के ज्ञानात्मक, भावात्मक एवं संज्ञानात्मक सभी पक्षों का पूर्ण एवं व्यापक आंकलन करती है। इसमें छात्र के आंकलन के लिए विविध उपकरण एवं तकनीकी का प्रयोग किया जाता है। सभी शैक्षिक क्षेत्रों से सम्बन्धित योग्यताएँ तथा सभी गैर शैक्षिक व्यवहार के क्षेत्रों की प्रगति के मूल्य निर्धारण को व्यापक मूल्यांकन कहा जा सकता है। सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन का सम्प्रत्यय वास्तव में परीक्षा सुधार के निम्न सिद्धान्तों पर आधारित है-
1) जो व्यक्ति शिक्षण कार्य करता है, उसी व्यक्ति के द्वारा विद्यार्थियों का मूल्यांकन किया जाए, बाह्य परीक्षक द्वारा नहीं।
2) मूल्यांकन कार्य सत्र के अन्त में न होकर सम्पूर्ण सत्र में निरन्तर होता रहे।
3) मूल्यांकन द्वारा विद्यार्थियों के व्यक्तित्व के बहुआयामी पक्षों की जानकारी प्राप्त हो।
इन दोनों ही अवधारणाओं को संयुक्त करते हुए शिक्षा में एक नवीन सम्प्रत्यय का अभ्युदय हुआ जिसे सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन के रूप में जाना जाता है। इस प्रकार के मूल्यांकन को सामान्यतः सम्पूर्ण शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार लाने तथा विशेष रूप से शिक्षण अधिगम के स्तर को ऊपर उठाने में एक सशक्त उपकरण के रूप में देखा जा रहा है जिसके अन्तर्गत परिणामों की व्याख्या इस प्रकार की जाती है कि-
1) छात्र अपनी शक्ति तथा कमजोरी की जानकारी प्राप्त करें एवं अपनी कमियों को शीघ्रातिशीघ्र दूर करने की प्रेरणा प्राप्त या ग्रहण करें।
2) शिक्षक एक ओर तो छात्र की कार्य निष्पादन को परख सकें एवं दूसरी ओर अपने द्वारा प्रयुक्त शिक्षण अधिगम की कार्यनीति की प्रभावकारिता या शिक्षण की प्रभावशीलता का पता लगा सकें। इसकी व्याख्या विभिन्न कोटि के छात्रों के लिए अलग-अलग प्रकार के शिक्षण की व्यवस्था करने की दृष्टि से की जानी चाहिए ताकि उन्हें निम्न प्रकार से प्रवृत्त किया जा सकें-
i) प्रतिभाशाली बच्चों को संवर्धन कार्यक्रम के जरिए लक्ष्य निर्देशित ज्ञानार्जन में प्रवृत्त किया जा सके।
ii) सामान्य कोटि के बालकों को छोटे-छोटे समूहों में खास-खास कार्यों में प्रवृत्त करके साथियों से सीखने का अवसर प्रदान किया जा सके।
iii) कमजोर छात्रों के लिए निदानात्मक परीक्षण एवं तत्पश्चात् उपचारात्मक शिक्षण की व्यवस्था की जानी चाहिए।
अतः इसके सम्प्रत्यय के सम्बन्ध में कहा जा सकता है कि सतत् एवं व्यापक मूल्यांकन छात्रों की वह समग्र रूपरेखा है जो अधिगम समय या सत्र की पूरी अवधि के शैक्षिक एवं सहशैक्षिक पक्षों के नियमित आंकलन द्वारा प्राप्त होता है।
Important Link…
- अधिकार से आप क्या समझते हैं? अधिकार के सिद्धान्त (स्रोत)
- अधिकार की सीमाएँ | Limitations of Authority in Hindi
- भारार्पण के तत्व अथवा प्रक्रिया | Elements or Process of Delegation in Hindi
- संगठन संरचना से आप क्या समझते है ? संगठन संरचना के तत्व एंव इसके सिद्धान्त
- संगठन प्रक्रिया के आवश्यक कदम | Essential steps of an organization process in Hindi
- रेखा और कर्मचारी तथा क्रियात्मक संगठन में अन्तर | Difference between Line & Staff and Working Organization in Hindi
- संगठन संरचना को प्रभावित करने वाले संयोगिक घटक | contingency factors affecting organization structure in Hindi
- रेखा व कर्मचारी संगठन से आपका क्या आशय है? इसके गुण-दोष
- क्रियात्मक संगठन से आप क्या समझते हैं? What do you mean by Functional Organization?