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व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण (Individual Intelligence Test)
इस परीक्षण का आरम्भ बिने ने किया तथा बिने द्वारा रचित परीक्षण का संशोधन साइमन ने किया। यह परीक्षा एक समय में एक ही व्यक्ति पर किया जाता है। क्रो एण्ड क्रो के अनुसार, “व्यक्तिगत परीक्षा का उपयोग व्यक्ति के मानसिक उपचार के लिए भी किया जाता है। चूंकि इसमें सम्पर्क व्यक्तिगत रूप से होता है अतः इसके प्रशासन में एक कुशल, दक्ष एवं प्रशिक्षित परीक्षणकर्ता की आवश्यकता होती है। इसमें परीक्षणकर्ता व्यक्ति विशेष के साथ सौहार्द स्थापित करता है। उसके बाद उसे उस मानसिक स्थिति में लाता है जिससे उसके मन में किसी प्रकार का भय न हो फिर उसे परीक्षण सम्बन्धी निर्देश दिए जाते हैं और उसे प्रश्नों के उत्तर देने को कहा जाता है। इस प्रकार देखा जाता है, कि व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षाओं से बालक की बुद्धि का परीक्षण अधिक वैध और विश्वसनीय होता है। कुछ प्रमुख व्यक्तिगत परीक्षण निम्न हैं-
बिने-साइमन बुद्धि स्केल (Binet-Simon Intelligence Scale), स्टैनफोर्ड-बिने स्केल (Stanford-Binet Scale), बर्ट बर्न शक्ति परीक्षण, पोर्टियस भूलभुलैया परीक्षण (Poreteus Maze Test), कोहज ब्लाक डिजाइन परीक्षण (Kohs Block Design Test), भाटिया क्रियात्मक परीक्षण (Bhatia Performance Test), मिनिसोटा स्कूल परीक्षण, मैरिल एवं पामर बुद्धि परीक्षण (Merill and Palmer Intelligence Scale Test), घन निर्माण अलैक्जेन्डर स्थानान्तरण परीक्षण (Alexander’s pass along test) आदि व्यक्तिगत बुद्धि परीक्षण के अन्तर्गत आते हैं। उपरोक्त परीक्षणों को निम्नलिखित दो रूपों में विभाजित किया गया है-
1) व्यक्तिगत शाब्दिक या भाषात्मक परीक्षण (Individual Verbal or Language Test)
2) व्यक्तिगत अशाब्दिक या क्रियात्मक परीक्षण (Individual Non-Verbal or Performance Test)
व्यक्तिगत शाब्दिक या भाषात्मक परीक्षण (Individual Verbal or Language Test)
व्यक्तिगत शाब्दिक या भाषात्मक परीक्षण निम्नलिखित हैं-
1) बिने-साइमन बुद्धि परीक्षण (Binet-Siman Intelligence Test)- इस परीक्षण का निर्माण फ्रेंच मनोवैज्ञानिक अल्फ्रेड बिने द्वारा किया गया। बिने ने साइमन की मदद से एक बुद्धि परीक्षण का निर्माण सन् 1905 में किया था। जिसे बिने-साइमन स्केल के नाम से जाना जाता है। उस समय फ्रेंच सरकार को जरूरत थी कि वहाँ वह दुर्बल रूप (मानसिक रूप) से पीड़ित बच्चों की पहचान कर सकें। इसके लिए वहाँ की सरकार ने एक ऐसे बुद्धि परीक्षण के निर्माण का कार्य भार बिने को सौपा। बिने ने साइमन की मदद से इस परीक्षण का निर्माण सन् 1905 में किया। इस परीक्षण के समय-समय पर अनेक संशोधित संस्करण प्रस्तुत हुए। यह परीक्षण 3 से 15 वर्ष के बालकों के लिए बनाया गया था। इसमें प्रत्येक आयु के बालकों के लिए 5 प्रश्न थे लेकिन 4 वर्ष की आयु के बालकों के 4 प्रश्न व 11 एवं 13 वर्ष के बालकों के लिए कोई प्रश्न नहीं था। यह परीक्षण इस प्रकार बनाया गया था कि उस आयु के लोग प्रश्नों के उत्तर नहीं दे सकते थे। यहाँ हम 3 व 4 वर्ष की आयु के उदाहरण दे रहे हैं।
तीन वर्ष की आयु के लिए
i) अपने शरीर के अंगों को उंगली के माध्यम से बताना।
ii) 6 शब्दों के सरल वाक्य को दोहराना।
iii) अपना नाम बताना, अपने माता-पिता का नाम बताना आदि ।
चार वर्ष की आयु के लिए
i) दो रेखाओं में छोटी-बड़ी को पहचानना।
ii) अपने को बालक / बालिका बताना।
2 से 5 वर्ष तक प्रत्येक 6 माह पर यह परीक्षण लिया जाता था जैसे- 2 वर्ष, 2 1/2 वर्ष, 3 वर्ष, 3 1/2 4 वर्ष आदि तथा 5 वर्ष में एक बार परीक्षा ली जाती थी।
व्यक्तिगत अशाब्दिक या क्रियात्मक परीक्षण (Individual Non- Verbal or Performance Test)
व्यक्तिगत अशाब्दिक या क्रियात्मक परीक्षण विभिन्न प्रकार के होते हैं, जो कि निम्नलिखित हैं-
1) भाटिया क्रियात्मक परीक्षण (Bhatia Performance Test) – यह परीक्षण सन् 1955 में चन्द्र मोहन भाटिया द्वारा बनाया गया। चूंकि भारत की अधिकांश जनसंख्या अशिक्षित या अर्द्धशिक्षित है। लेकिन यह परीक्षण दोनों अशिक्षित तथा विद्यालय में पढ़ने वाले शिक्षित सभी बालकों के लिए है। इस बैटरी में निम्न 5 सहायक परीक्षण हैं-
ⅰ) कोज ब्लाक डिजाइन टेस्ट (Kohs Block Design Test) – इस परीक्षण का निर्माण एस.सी. कोहज (S.C. Kohs) द्वारा सन् 1923 में किया गया। इस परीक्षण में लकड़ी के एक-एक वर्ग इंच के ब्लाक होते हैं। कोज द्वारा बनाए गए ब्लॉक में से बैटरी में शामिल किये गए हैं, ये 10 रंगीन डिजाइन कार्ड पर छपे होते हैं अर्थात् हर एक विषय का एक कार्ड जिस पर रंगीन डिजाइन बना होता है।
इस डिजाइन योग्य रंगीन गुटकों की सहायता से वैसे ही डिजाइन दसों विषयों में क्रमशः सरल से जटिल होते हैं। डिजाइन को बनाने में लगे समय तथा त्रुटियों के आधार पर बुद्धि की माप की जाती है।
ii) एलैक्जेंडर पॉस-एलॉग परीक्षण (Alexander Pass Along Test) – भाटिया की बैटरी (क्रियात्मक परीक्षण) में एलैक्जेंडर पास एलाँग टेस्ट को सम्मिलित किया गया यह परीक्षण सन् 1932 में प्रकाशित किया गया। इस परीक्षण में डा. भाटिया ने प्रारम्भ में कुल 8 परीक्षण शामिल किए पहले चार परीक्षण के लिए 2 मिनट का समय तथा अन्तिम परीक्षण के लिए 3 मिनट का समय निर्धारित किया गया है।
इस परीक्षण के तीन मुख्य भाग है। लकड़ी के बने चार बॉक्स जो कि ऊपर से खुले हैं। जिनका एक किनारा नीला तथा दूसरा लाल होता है विभिन्न प्रकार के लकड़ी के आयताकार गुटके जिनकी सहायता से प्रयोग की आकृति, चित्रों के अनुसार बतानी होती है। इस परीक्षण को देने से पूर्व व्यक्ति को निर्देश दिया जाता है कि किस प्रकार लाल ब्लाक को लाल रेखा की ओर तथा नीले ब्लाक को नीली रेखा की ओर सरकाकर सटाना है। अब इसमें 8 आयताकार गुटके प्रयोग किए जाते हैं तथा समय भी अब 2 मिनट ही निर्धारित किया गया जो अभ्यर्थी निश्चित समय में दो डिजाइन तैयार नहीं कर पाता उसे परीक्षण से रोक दिया जाता है।
iii) पैटर्न ड्राइंग टेस्ट (Pattern Drawing Test)- इस टेस्ट को डा० भाटिया ने स्वयं बनाया हैं। इसमें आठ कार्ड होते हैं तथा प्रत्येक कार्ड पर एक रेखा आकार बना होता है। इस आकार को देखकर विशेष आकार बनाना है। इसमें अभ्यर्थी को आरेख बगैर पेन्सिल उठाये ही बनाना होता है। इसमें भी प्रथम 4 आरेख के लिए 2 मिनट समय है व अन्तिम 4 आरेख के लिए 3 मिनट का समय निर्धारित है।
iv) तात्कालिक स्मृति परीक्षण (Immediate Memory Test)- इसमें कुछ अंक बोले जाते हैं। प्रयोज्य उसको तुरन्त दोहराता है जिससे उसकी तात्कालिक स्मृति का पता चलता है इसमें भी दो भाग हैं। पहला शिक्षित अभ्यर्थियों के लिए दूसरा अशिक्षित अभ्यर्थियों के लिए।
v) चित्र रचना परीक्षण (Picture Construction Test)- इस परीक्षण में कुल 5 विषय रहते है। जो ग्रामीण जीवन से सम्बन्धित होते हैं। इन चित्रों में क्रमशः 2, 4, 6, 8, 12 के टुकड़े रहते हैं प्रयोज्य के सामने एक बार में एक चित्र के टुकड़े रखे जाते हैं और वह उन टुकड़ों को जोड़कर चित्र बनाता है। इस परीक्षण को व्यक्तिगत रूप से प्रशासित करने में 1 घंटे का समय लगता है।
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