विकास को प्रभावित करने वाले कारकों का वर्णन कीजिये।
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विकास को प्रभावित करने वाले कारक
व्यक्ति का विकास वंशानुक्रम एवं वातावरण के प्रभाव के परिणामस्वरूप होता है। अतः मुख्य रूप से विकास को प्रभावित करने वाले यही दो कारक होते हैं। किन्तु ये कारक कई अन्य तत्वों से प्रभावित होते हैं। इस प्रकार विकास को प्रभावित करने वाले अनेक कारक होते हैं। ये कारक निस्नलिखित हैं-
(i) वंशानुक्रम (Heredity)- नवजात शिशु में कुछ जन्मजात शक्तियां होती हैं जो उसे अपने माता-पिता एवं पूर्वजों से प्राप्त होती हैं। आयु बढ़ने के साथ-साथ इन शक्तियों का भी विकास होता है। इस प्रकार वंशानुक्रम व्यक्ति के विकास को प्रभावित करने वाला एक प्रमुख कारक है।
(ii) बुद्धि (Intelligence)- समस्त प्राणियों में मनुष्य सर्वाधिक बुद्धिमान प्राणी है। इसीलिए मनुष्य के विकास में बुद्धि एक प्रभावी कारक है। बुद्धि भी मानव शिशु को जन्मजात शक्ति के रूप में प्राप्त होती है जिससे वह नित्य नवीन क्रियाएं सीखता है। तीव्र बुद्धि वाले बालक का विकास (विशेष रूप से मानसिक एवं संवेगात्मक विकास) तीव्र गति से होता है जबकि मन्दबुद्धि वाले बालक का विकास धीमी गति से होता है।
(iii) अन्तःस्त्रावी ग्रन्थियां (Glands)- मानव शरीर में विभिन्न प्रकार की ग्रन्थियां होती हैं जिनका अपना विशिष्ट कार्य होता है। इन ग्रन्थियों से विभिन्न प्रकार से रसायन निकलते हैं जो मनुष्य के शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक विकास के लिए अत्यधिक महत्वपूर्ण होते हैं। अतः इन ग्रन्थियों का कम अथवा अधिक विकसित होना, बालक के विकास को प्रभावित करता है।
(iv) परिपक्वता (Maturity)- बालक का विकास उसकी आयु के अनुसार होना चाहिए। यदि मनुष्य का व्यवहार उसकी आयु की दृष्टि से उपयुक्त होता है तब उसे परिपक्व माना जाता है। इस प्रकार परिपक्वता. से तात्पर्य यह है कि व्यक्ति के सभी पक्षों का विकास समग्र रूप से एक साथ हो। यदि शारीरिक विकास तेजी से होता है किन्तु उसकी तुलना में मानसिक एवं संवेगात्मक विकास नहीं हो पाता है तब मनुष्य परिपक्वता को नहीं प्राप्त होता है। इसलिए परिपक्वता भावी विकास को प्रभावित करती है।
(v) वातावरण (Environment)- वंशानुक्रम के पश्चात् बालक के विकास को प्रभावित करने वाला सबसे प्रमुख कारक वातावरण होता है। उपयुक्त वातावरण के अभाव में व्यक्ति का संतुलित विकास सम्भव नहीं होता है। वातावरण के अन्तर्गत अनेक तत्व आते हैं जैसे बच्चे के पालन पोषण का ढंग, संतुलित एवं पौष्टिक भोजन, घर-परिवार का वातावरण, माता- पिता की योग्यतायें, परिवार के सदस्यों का व्यवहार, आचार-विचार आदि। इसके अतिरिक्त जलवायु, सभ्यता एवं संस्कृति, सामाजिक परम्परायें आदि भी बालक के विकास को प्रभावित करती हैं। ये सभी वातावरण के ही अंग होते हैं।
(vi) यौन भिन्नता (Sex)- व्यक्ति के विकास को प्रभावित करने वाला एक महत्वपूर्ण कारक उसका यौन या लिंग भिन्नता भी है। लड़कों की अपेक्षा लड़कियों का शारीरिक विकास तीव्र गति से होता है।
(vii) रोग, चोट, दुर्घटना आदि (Health and Diseases)- बालक के अस्वस्थ अथवा रोगग्रस्त होने पर उसका समुचित विकास नहीं हो पाता है। इसी प्रकार चोट लग जाने अथवा किसी दुर्घटना में शरीर के किसी अंग में विकृति आ जाने पर भी विकास बाधित होता है।
(viii) संस्कृति (Culture)- बालक का विकास उसके समाज के वातावरण, नियम एवं आचार-विचार से भी प्रभावित होता है। विकसित देशों के बच्चों का विकास अर्द्ध विकसित एवं गरीब देश के बच्चों की तुलना में तीव्र गति से होता है।
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