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अध्यापक शिक्षा का अर्थ एवं महत्व | Meaning and importance of teacher education in Hindi

अध्यापक शिक्षा का अर्थ एवं महत्व | Meaning and importance of teacher education in Hindi
अध्यापक शिक्षा का अर्थ एवं महत्व | Meaning and importance of teacher education in Hindi

अध्यापक शिक्षा का अर्थ

यह सर्वज्ञ हैं कि शिक्षा एक व्यापक प्रक्रिया है जिसे मात्र किसी कौशल या कार्य के निष्पादन तक सीमित नहीं किया जा सकता है। यह एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति में निहित आन्तरिक क्षमताओं का विकास समग्र रूप से करने के साथ ही वैयक्तिक, सामाजिक तथा राष्ट्रीय दृष्टि या सन्दर्भ में उपयोगी तथा संसाधन सम्पन्न व्यक्तित्व के निर्माण के लिए प्रयत्न किया जाता है।

मात्र शिक्षा के माध्यम से ही ऐसे व्यक्तित्व का निर्माण कर पाना सम्भव है जो ‘वातावरण एवं मूल्यों के संरक्षण के साथ ही अनुकूल परिवेश के निर्माण में भी सहायक सिद्ध हो सकता है। व्यक्ति में मानवता बोध एवं सांस्कृतिक चेतना का उन्मेष शिक्षा के द्वारा ही सम्भव है, प्रशिक्षण या अन्य सम्प्रेषण व्यवहार के माध्यम से नहीं।

अतः इस व्यापक सन्दर्भ में यह कहा जा सकता है कि अध्यापक शिक्षा वह शैक्षिक आयोजन है जिसमें विभिन्न स्तरीय एवं वर्गीय अध्यापकों को इस तरह से शिक्षित करने के लिए प्रयत्न किया जाता है कि अग्रिम प्रजन्म को ज्ञान एवं मूल्यों के हस्तान्तरण के साथ ही उनके समस्त शैक्षिक एवं विकासात्मक दायित्वों को ग्रहण एवं वहन करने में वे सक्षम हो सकें तथा उनमें तकनीकी कुशलता वैज्ञानिक चेतना, संसाधन सम्पन्नता तथा नवाचारिकता के साथ सांस्कृतिक उद्दीपना एवं मानवतां बोध का समन्वयात्मक विकास करना सम्भव हो सके। शिक्षण को एक उद्यम या प्रोफेशन के रूप में स्वीकार करने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि अध्यापक शिक्षा वह आयोजत हो जिसमें इस उद्यमगत नीति बोध एवं संवेगात्मक पक्ष में भी दक्षता प्रदान करने की व्यवस्था हो। इस हेतु सामाजिक सांस्कृतिक नैतिक एवं समस्त चारित्रिक मर्यादाओं के साथ ही राष्ट्रीय प्रजातान्त्रिक मूल्यों को विकसित करने के लिए सफल प्रयास करना इस आयोजन का लक्ष्य होगा। इस प्रकार अध्यापक शिक्षा मात्र कार्यक्रम ही नहीं है बल्कि एक ऐसा मिशन या आयोजन है जिसके माध्यम से राष्ट्रीय सन्दर्भ में आधुनिक एवं परिवर्तित अध्यापकीय भूमिका के निर्वहन के लिए दक्षता तथा कुशलता प्राप्ति हेतु व्यक्तियों को शिक्षित किया जा सके। संक्षेप में कहा जा सकता है कि अध्यापक शिक्षा, अध्यापकों के लिए शिक्षा आयोजन है।

अध्यापक शिक्षा के महत्व 

 इस आयोजन के महत्व को निम्नानुसार स्पष्ट किया जा सकता है।

(क) शिक्षा को चूँकि एक सामाजिक आवश्यकताओं की पूर्ति के माध्यम के साथ ही सामाजिक परिवर्तन का कारक भी माना जाता है, अतः अध्यापक शिक्षा सामाजिक-शैक्षिक मार्गदर्शन सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए एक सक्षम अभिकरण है। संज्ञानात्मक तथा समाजीकरण सम्बन्धी आवश्यकताओं की पूर्ति के लिए समाज ही अध्यापक को दायित्व प्रदान करता है। इस दायित्व के पूर्ति की गुणवत्ता स्तर अध्यापक वर्ग पर तथा उनकी गुणवत्ता अध्यापक शिक्षा की गुणवत्ता स्तर पर निर्भर करना स्वाभाविक ही है। किसी समाजवादी एवं धर्मनिरपेक्ष समाज के लिए उपयुक्त अध्यापक जिनमें प्रजातान्त्रिक मूल्यों का समुचित विकास हो पाया हो, परिणामोन्मुख अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम के माध्यम से ही तैयार कर पाना सम्भव हो सकता है।

(ख) आधुनिक अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम में पर्याप्त तन्मयता एवं लचीलापन का होना जरूरी माना जा रहा है, क्योंकि सामाजिक तथा सांस्कृतिक परिदृश्य में आज तेजी से परिवर्तन हो रहा है। अतः एक नवाचारिक प्रणाली के रूप में अध्यापक शिक्षा का महत्व आज अत्यधिक है जिसके माध्यम से सेवा पूर्व तथा सेवाकालीन दोनों ही स्तर पर सैद्धान्तिक तथा प्रायोगिक नवाचारिक शैक्षिक परिवतनों को स्थापित करना सम्भव हो सके। आज निरन्तर शिक्षा की अपरिहार्यता को जब हम स्वीकृत कर चुके हैं तो अवश्य ही अध्यापक शिक्षा में गतिशीलता को बनाये रखना अपेक्षित हो चुका है। प्राचीन कठोर शिक्षक प्रशिक्षण प्रणाली आधुनिक युगोपयोगी अध्यापक की तैयारी के लिए उपयोगीनंहीं रह गई है। आधुनिक अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम गत्यात्मक स्वरूप के कारण महत्वपूर्ण बन चुका है।

(ग) आधुनिक अध्यापक शिक्षा कार्यक्रम ही सहायता से चूँकि अन्तःअभिप्रेरणायुक्त अध्यापकों की तैयारी सम्भव है, अतः इसका महत्व और भी अधिक बढ़ गया है। अध्यापन उद्यम के क्षेत्र में अभिप्रेरणा तथा बाहरी प्रोत्साहन की कमी को देखते हुए ही मनोवैज्ञानिक दृष्टि से इस कार्यक्रम के आयोजन को संतृप्त करने के लिए प्रयास अपेक्षित है। प्रायः अभिप्रेरणा की कमी के कारण ही इस व्यवस्था को अन्तिम चयन दिया जाता है। सेवापूर्ण प्रशिक्षण प्राप्ति के बाद भी लोग अध्यापक बनने की अपेक्षा एक कार्यालय में चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी बनाना आज अधिक पसन्द कर रहे हैं। कारण है- प्रोन्नति प्रगति तथा प्रतिभा प्रदर्शन के लिए उपयुक्त अवसर का इस व्यवसाय में सर्वथा अभाव का होना। अतः उत्तम शैक्षिक प्रतिभायुक्त व्यक्ति प्रायः अध्यापन के क्षेत्र का दूर से ही परित्याग कर देते हैं।

(घ) आधुनिक अध्यापक शिक्षा के अनेकानेक स्तर एवं स्वरूप होने के कारण इसका महत्व आज अधिक हो गया है। व्यावसायिक विषय (जैसे- कला, हस्तकला, गृह विज्ञान, काष्ठकला संगीत आदि) के साथ ही तकनीकी विषय एवं विशिष्ट छात्रों के लिए भी अध्यापकों की तैयारी का माध्यम आधुनिक अध्यापक शिक्षा ही है। इस व्यापकता के कारण अध्यापक शिक्षा का महत्व बढ़ अध्यापक शिक्षा का स्थान क्रमशः महत्वपूर्ण होता जा रहा है।

(ङ) आधुनिक परिप्रेक्ष्य में अध्यापक शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम बन चुका है जिसकी सहायता से विद्यालयी शिक्षा का सम्बन्धीकरण उच्च शिक्षा के साथ किया जा सकता है। भावी अध्यापकों के समाजीकरण की दिशा में सहयोगी शिक्षण अभ्यास विद्यालयों के अध्यापकों का मार्गदर्शन एवं सहयोग परिणामोन्मुख साबित हो सकता है। अवश्य ही इसके लिए अध्यापक शिक्षा संस्थानों को समन्वयक तथा सहसम्बन्ध स्थापक की भूमिका को अपनाने के लिए प्रयास करना होगा। क्रमशः इसके परिणामस्वरूप शिक्षा एवं समाज के मध्य जो दूरी प्रायः चर्चित रूप से स्वीकृत है, उसे भी कम करना सम्भव हो सकता है इस प्रकार हम विभिन्न दृष्टिकोण पर विचार करते हुए आधुनिक अध्यापक शिक्षा को एक महत्वपूर्ण आयोजन के रूप में प्रतिष्ठित एवं सुस्थापित कर पाते हैं।

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Anjali Yadav

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