उदाहरणों द्वारा स्पष्टीकरण कौशल से आपका क्या आशय है ? स्पष्टीकरण के उद्देश्य एवं कार्यों की विवेचना कीजिए तथा इसका महत्त्व स्पष्ट कीजिए ।
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उदाहरणों द्वारा स्पष्टीकरण कौशल (Illustration with Examples Skill)
किसी भी प्रकरण में नवीन ज्ञान को विद्यार्थी के मस्तिष्क में स्पष्ट करने के लिए उदाहरण की भूमिका अत्यधिक महत्त्वपूर्ण है। उदाहरणों के प्रयोग से छात्र अधिक सहज हो जाता है एवं नवीन ज्ञान के साथ उसका सम्बन्ध प्रगाढ़ हो जाता है। अतः उदाहरण द्वारा स्पष्टीकरण को एक विशिष्ट कौशल का दर्जा दिया जाता है। स्पष्टीकरण मुख्यतः दो प्रकार के होते हैं-
1. मौखिक स्पष्टीकरण (Verbal Illustration)- कक्षा-शिक्षण में प्रायः ऐसे अवसर आते हैं जब शिक्षक को किसी गूढ़ कथन, विचार या भाव को स्पष्ट करने में कठिनाई का अनुभव होता है। ऐसे अवसर पर मौखिक उदाहरण, उपमा, तुलना आदि का प्रयोग करके उसे स्पष्ट किया जाता है।
2. प्रदर्शनात्मक स्पष्टीकरण (Visual Illustration) वास्तविक वस्तुओं अथवा मॉडल चित्र को दिखाकर स्पष्ट करना इसके अन्तर्गत आता है। इसका प्रयोग शिक्षक तब करता है जब वह देखता है कि मौखिक स्पष्टीकरण से भाव पूर्ण रूप से स्पष्ट नहीं हो सकता है। चार्ट, मॉडल चित्र, पोस्टर, खाका आदि इसके उदाहरण है।
स्पष्टीकरण के उद्देश्य एवं कार्य (Objectives and Functions of Illustration)
स्पष्टीकरण द्वारा निम्नलिखित उद्देश्यों एवं कार्यों की पूर्ति होती है-
(1) ज्ञान का विस्तार करना- उदाहरणों के प्रस्तुतीकरण द्वारा छात्रों के ज्ञान का विभिन्न क्षेत्रों में विस्तार होता जाता है।
(2) ज्ञान को स्थायी बनाना चार्ट, मॉडल या उदाहरणों के प्रयोग से ज्ञान छात्रों के मस्तिष्क में और स्थायी हो जाता है।
(3) ध्यान को केन्द्रित करना- छात्र कोई रोचक उपमा सुनते हैं या आकर्षक चित्र देखते हैं तो उनका ध्यान पाठ पर केन्द्रित हो जाता है।
(4) कार्य करने की प्रेरणा देना- शिक्षक को चित्र बनाते हुए देखने से उन्हें प्रेरणा मिलती है।
(5) उत्तम मानसिक आदतों का निर्माण करना- छात्रों में उत्तम मानसिक आदतें बनती हैं।
(6) विचारों को निश्चित बनाना- स्पष्टीकरण सदैव बालक के विचारों को निश्चित रूप प्रदान करने में सहायक होता हैं।
(7) रुचि एवं जिज्ञासा को जागृत करना- छात्र नई-नई मौखिक स्पष्टीकरण की बातों को सुनते हैं और फोटो, चित्रों में नई चीजें देखते हैं। फलस्वरूप उनकी रुचि और जिज्ञासा जागृत होती हैं और वे पाठ का अधिक आनन्द लेने लगते हैं।
(8) निरीक्षण शक्ति का विकास करना- जब शिक्षक छात्रों को विभिन्न प्रकार के नक्शे या चार्ट दिखाकर उनमें अंकित बातों पर प्रश्न करता है तो छात्र उसे ध्यान से देखकर प्रश्नों के उत्तर देते हैं। ऐसा करने से उनकी निरीक्षण शक्ति का विकास होता है।
(9) तर्क शक्ति का विकास करना- छात्र जब विभिन्न चित्रों को देखते हैं तो वे किसी निष्कर्ष पर पहुँचते हैं। इन निष्कर्षों के मूल में जाकर वह किसी तथ्य की जाँच करते हैं। इनसे उनकी तर्क शक्ति का विकास होता है
(10) पाठ को सरल बनाना स्पष्टीकरण के द्वारा गूढ़ विचार को स्पष्ट किया जा सकता है। “भारत छोड़ो आन्दोलन” को स्पष्ट करने के लिए मौखिक स्पष्टीकरण द्वारा स्थिति को सहज एवं सरल बनाया जा सकता है।
(11) ज्ञान को सुगम बनाना स्पष्टीकरण के द्वारा कठिनतम सिद्धान्तों को विद्यार्थी अपने पूर्वज्ञान से जोड़ पाते हैं। इसी सम्बन्ध के द्वारा वह नवीन ज्ञान से तादात्म स्थापित कर लेता है।
(12) कल्पना शक्ति का विकास करना- मॉडल अथवा शब्द चित्र दोनों के द्वारा ही छात्रों में आकार, प्रकार एवं गुणों के विषय में एक खाका खिंच जाता है। वे कल्पना करते हैं कि वस्तुएँ वास्तव में कैसी होती हैं। इससे प्रत्यक्ष रूप से उनकी कल्पना शक्ति का विकास होता है।
उदाहरणों का महत्त्व (Importance of Examples)
उदाहरणों का निम्नलिखित महत्त्व है-
- उदाहरणों द्वारा विद्यार्थी ‘मूर्त से अमूर्त ज्ञान की ओर बढ़ता है।
- उदाहरण विचारों को स्पष्ट करने में सहायक हैं।
- इनसे बालक का ध्यान विषय पर केन्द्रित होता है।
- इनके प्रयोग से विद्यार्थी ज्ञानार्जन हेतु प्रेरित होते हैं।
- ये बालक के ज्ञान के परीक्षण हेतु भी प्रयोग किये जा सकते हैं।
- इनकी सहायता से विद्यार्थी ज्ञानार्जन में ‘ज्ञात से अज्ञात की ओर बढ़ते हैं।
- ये प्राकृतिक विज्ञानों के मूर्त विषयों तथा दर्शनशास्त्र के अमूर्त विषयों- दोनों को स्पष्ट करने में सहायक होते हैं।
- बालकों के अनुभवों से लिए गए उदाहरण, कक्षा को जीवन्त बनाते हैं, और अधिगम रुचिकर हो जाता है।
- उदाहरण नवीन कल्पना को जन्म देते हैं।
- उदाहरणों का प्रयोग आगमन और निगमन प्रणाली का आवश्यक अंग है।
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