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बाजार विभक्तीकरण का अर्थ एवं परिभाषा, उद्देश्य, महत्व, प्रमुख मान्यताएँ

बाजार विभक्तीकरण का अर्थ एवं परिभाषा, उद्देश्य, महत्व, प्रमुख मान्यताएँ
बाजार विभक्तीकरण का अर्थ एवं परिभाषा, उद्देश्य, महत्व, प्रमुख मान्यताएँ

बाजार विभक्तीकरण का अर्थ एवं परिभाषा (Meaning & Definition of Market Segmentation)

बाजार विभक्तीकरण की अवधारणा इस तथ्य पर आधारित है कि वस्तुओं के बाजार समजातीय होने के बजाय विजातीय होते हैं। किसी वस्तु के दो उपभोक्ताओं या क्रेताओं के स्वभाव, गुण, रूचि, आदत, आय, क्रय करने का ढंग आदि में असमानता या एकरूपता नहीं होती। ग्राहकों को इन लक्षणों के आधार पर कुछ खण्डों में विभक्त किया जा सकता है। प्रत्येक खण्डों के ग्राहकों की विशेषतायें अन्य खण्डों के ग्राहकों से भिन्न-भिन्न होती है और प्रत्येक खण्ड के ग्राहकों की विशेषताओं अथवा लक्षणों में समानता पायी जाती है। इस प्रकार बाजार विभक्तीकरण से आशय बाजार को समजातीयता के आधार पर विभिन्न खण्डों में विभक्त करने से है। बाजार विभक्तीकरण से प्रत्येक खण्ड के ग्राहकों को सन्तुष्ट करने के लिए पृथक-पृथक प्रभावी विपणन कार्यक्रम बनाया जा सकता है।

बाजार विभक्तीकरण के सम्बन्ध में विभिन्न विद्वानों ने अपने मतानुसार विचार प्रकट किये हैं, जिनमें से प्रमुख निम्नलिखित हैं:-

फिलिप कोटलर के अनुसार, “ग्राहकों के समजातीय उपवर्गों में बाजार के उप-विभाजन को बाजार विभक्तीकरण कहते हैं, जिससे किसी भी उपवर्ग को चुना जा सके और विशिष्ट विपणन मिश्रण (अन्तर्लय) के साथ बाजार लक्ष्य बनाकर उस तक पहुँचा जा सके।”

विलियम जे० स्टेण्टन के शब्दों में, “बाजार विभक्तीकरण से अभिप्राय किसी उत्पाद के सम्पूर्ण विजातीय बाजार को अनेक उप-बाजारों या उप-खण्डो में इस प्रकार विभक्त करने से है कि प्रत्येक उप-बाजार या उप-खण्ड में सभी महत्वपूर्ण पहलुओं में समजातीयता हो।”

रूस्तम एम० डावर के अनुसार, “बाजार का वर्गीकरण ग्राहकों की विशेषताओं के आधार पर विभिन्न तरीकों से किया जाता है, इस आधार पर ग्राहकों के समूह बनाये जा सकते हैं। यह ग्राहकों का समूहीकरण आयु, लिंग, आय-स्तर, शिक्षा या भौगोलिक विक्रय क्षेत्रों के आधार पर भी किया जा सकता है। यह ग्राहकों का समूहीकरण अथवा बाजार का खण्डों में बाँटना ही बाजार विभक्तीकरण कहलाता है।”

बाजार विभक्तीकरण के उद्देश्य (Objects of Market Segmentation)

बाजार विभक्तीकरण के प्रमुख उद्देश्य निम्नलिखित हैं-

1. अन्तरनुसार ग्राहकों का पता लगाना- बाजार में सभी क्रेता एक समान नहीं होते अर्थात् उनमें पर्याप्त अन्तर पाया जाता है। यह अन्तर उनकी रूचि, स्वभाव, आदत, आवश्यकता अथवा आय स्तर में भिन्नता के कारण हो सकता है। इस अन्तर के कारण ही क्रेता वस्तुओं की मांग को प्रभावित करते हैं। बाजार विभक्तीकरण का प्रमुख उद्देश्य किसी वस्तु के विभिन्न क्रेताओं अथवा ग्राहकों में जो अन्तर पाया जाता है, उसका पता लगाना है। जिसे कि उत्पाद का निर्मािता या विक्रेता अपनी विपणन क्रियाओं को ग्राहकों के विभिन्न उपवर्गों के अनुसार निर्धारित एवं समायोजित कर सकें।

2. वरीयताओं का पता लगाना- ग्राहकों की रूचि, क्रय आदतों, आवश्यकताएँ तथा वस्तु वरीयताओं का पता लगाना विभक्तीकरण का उद्देश्य है जिससे कि यह तय किया जा सके कि सभी ग्राहकों के लिए एक से विपणन प्रयत्न उपयुक्त होगें या नहीं तांकि उसी के अनुसार विक्रय नीति का निर्धारण किया जा सके।

3. क्रय सम्भावनाओं का पता लगाना- बाजार विभक्तीकरण का उद्देश्य विभिन्न ग्राहक समूहों की क्रय सम्भावनाओं का पता लगाना भी है जिससे कि विपणन लक्ष्यों का निर्धारण किया जा सके ओर उसी के अनुसार वस्तु का उत्पादन कर सके।

4. संस्था को ग्राहक-अभिमुखी बनाना- बाजार विभक्तीकरण का अन्तिम उद्देश्य संस्था को ग्राहक अभिमुखी बनाना है जिससे अधिकतम ग्राहक सेवा प्रदान कर ग्राहकों को संतुष्ट रखकर उचित लाभ कमाया जा सके।

5. विपणन क्रियाओं का निर्धारण- ग्राहकों के अन्तर के आधार पर ही ग्राहकों को विभिन्न उपवर्गों में बाँट दिया जाता है और फिर संस्था इन उपवर्गों के अनुसार अपनी विपणन क्रियायें निर्धारित करती हैं। यहाँ यह स्मरणीय तथ्य है कि संस्था के लिए यह अनिवार्य नहीं है कि वह एक वस्तु के विभिन्न उप-बाजारों या उप-खण्डों के लिए वस्तु का निर्माण करे। वह एक उप-बाजार या उपखण्ड को चुन सकती है या कुछ खण्डों को या सभी खण्डों के लिए अपनी विपणन क्रियायें विकसित कर सकती है। यह तथ्य संस्था के साधनों और विपणन क्रियाओं के विस्तार पर निर्भर करता है।

6. ग्राहकों की विशेषताओं की जानकारी- बाजार विभक्तीकरण के अध्ययन से संस्थाओं को यह पता चल जाता है कि प्रत्येक उप-बाजार या उप-खण्ड ग्राहकों की क्या-क्या विशेषताएँ हैं ताकि वे इनके आधार पर अपनी विपणन क्रियाओं के लिए प्रभावी विपणन कार्यक्रम बनाने में सफल हो सकें।

बाजार विभक्तीकरण का महत्व (Importance of Market Segmentation)

बाजार विभक्तीकरण का महत्व निम्नलिखित है:-

1. सुदृढ़ एवं प्रभावी विपणन कार्यक्रम तैयार करना (To Prepare Sound and Effective Marketing Programme)- बाजार विभक्तीकरण के अन्तर्गत सम्पूर्ण बाजार को विभिन्न उप-खण्डों में विभाजित किया जाता है। अतः प्रत्येक उप-खण्ड के लिए पृथक-पृथक सुदृढ़ एवं प्रभावी विपणन कार्यक्रम तैयार किये जा सकते हैं क्योंकि प्रत्येक उप-खण्ड का अध्ययन करके उसी के अनुरूप विपणन कार्यक्रम बनाया जा सकता है। ऐसा कार्यक्रम उस स्थिति की अपेक्षा अधिक प्रभावशाली होता है जिसमें कि सम्पूर्ण बाजार के लिए ही विपणन का कार्यक्रम बनाया गया हो।

2. विपणन अवसरों की खोज करना (To Discover Marketing Opportunities)- बाजार विभक्तीकरण का अध्ययन करके विपणन अवसरों का पता लगाया जा सकता है क्योंकि इसके द्वारा हम प्रत्येक उप-खण्ड के ग्राहकों की विशेषताओं, रूचियों एवं आवश्यक्ताओं का अध्ययन कर सकते हैं। इसके अतिरिक्त हमें उन बाजार खण्डों का ज्ञान आसानी से हो जाता है। जिनमें कि बिक्री की मात्रा कम होती है। ऐसे बाजार खण्डों का अध्ययन करके बिक्री की कमी के कारणों का पता लगाया जाता है और फिर उनको सुधारने के लिए प्रयत्न किये जा सकते हैं।

3. साधनों का सर्वोत्तम उपयोग (Best Use of Sources)- बाजार विभक्तीकरण के द्वारा संस्था अपने साधनों का सर्वोत्तम उपयोग करने में सफल हो सकती हैं। विभिन्न बाजार खण्डों की आवश्यक्ताओं के अनुसार अपनी विपणन क्रियाओं को समायोजित कर सकती है। जिन बाजार खण्डों में विपणन सम्भावनाएं कम है, उनसे विपणन बजट भी कम रखा जाता है और इसके विपरीत जिन बाजार खण्डों में विपणन सम्भावनायें अधिक हैं उनके लिए अधिक बजट बनाना चाहिए। इस प्रकार बाजार विभक्तीकरण के अध्ययन से संस्था अपने साधनों का सर्वोत्तम उपयोग कर सकती है और अनावश्यक बर्बादी से बच सकती है।

4. प्रतिस्पर्धा में सहायक (Helpful in Competition)- संस्था बाजार विभक्तीकरण के द्वारा विभिन्न खण्डों में प्रतिस्पर्धियों की नीतियों का अध्ययन करके उसके प्रत्युत्तर में अपनी प्रभावी विपणन रीति-नीतियाँ निर्धारित कर सकती हैं। अतः बाजार विभक्तीकरण प्रतिस्पर्धा की स्थिति में सहायक सिद्ध होती हैं।

5. विपणन क्रियाओं का मूल्यांकन (Evaluation of Marketing Activities)- बाजार विभक्तीकरण के द्वारा प्रत्येक उप-खण्ड के लिए पृथक विपणन कार्यक्रम बनाया जा सकता है। और उसके बाद विपणन क्रियाओं की प्रभावशीलता का आसानी से मूल्यांकन किया जा सकता है कि अन्य विपणन क्रियायें किस बाजार उप-खण्ड में अधिक सफल रही है और किन-किन बाजार उपखण्डों में विपणन क्रियायें असफल रही हैं। जिन बाजार उप-खण्डों में विपणन क्रियायें असफल रही हैं, उनके लिए भावी विपणन कार्यक्रम में आवश्यक परिवर्तन किये जा सकते हैं।

बाजार विभक्तीकरण की प्रमुख मान्यताएँ (Main Assumptions of Market Segmentation)

बाजार विभक्तीकरण की तीन प्रमुख मान्यताएँ हैं जो निम्नानुसार हैं-

1. बाजार में विषम या विजातीय ग्राहकों की विद्यमानता- बाजार विभक्तिकरण की प्रथम मान्यता यह है कि सम्पूर्ण बाजार में अनेक प्रकार के ग्राहकों एवं भावी ग्राहकों के विषम या विजातीय (Heterogenous) समूह है। इनमें एकांकी व्यक्ति, परिवार एवं संगठन सम्मिलित हैं। इन सभी की विशेषताओं (यथा आयु, लिंग, निवास स्थान, भाषा, जाति, जातीय मूल्य, आय, व्यय, पेशा, धन्धा, व्यवसाय आदि) आवश्यकताओं, रूचियों, सोच-विचार, व्यवहार आदि में पर्याप्त अन्तर पाया जाता है।

2. विपणन मिश्रणों एवं व्यूह रचनाओं का निर्माण- विपणन विभक्तिकरण में एक मान्यता यह भी है कि सम्पूर्ण बाजार के विभिन्न ग्राहक समूहों में विपणन हेतु पृथक-पृथक विपणन मिश्रणों एवं व्यूहरचनाओं का निर्माण करना सम्भव है। ऐसे करके विपणन कार्यों को अधिक प्रभावी कुशलतापूर्वक सम्पन्न किया जा सकता है।

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Anjali Yadav

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