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अधिगम के व्यवहारिक उपागम (BEHAVIOURAL APPROACHES OF LEARNING)
विभिन्न उद्दीपनों के प्रति सीखने वाले की विशेष अनुक्रियाएँ होती हैं। उद्दीपनों तथा अनुक्रियाओं के साहचर्य से उसके व्यवहार में जो परिवर्तन आते हैं उनकी व्याख्या करना ही पहले प्रकार के सिद्धान्तों का उद्देश्य है ।
इस प्रकार के सिद्धान्तों के प्रमुख प्रवर्तकों में थॉर्नडाइक, वाटसन और पॉवलोव तथा स्किनर का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।
1) पॉवलव का शास्त्रीय अनुबन्धन का सिद्धान्त (Pavlov’s Theory of Classical Conditioning)
2) स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुकूलन सिद्धान्त (Skinner’s Theory of Operant Conditioning)
3) थॉर्नडाइक का प्रयत्न और भूल का सिद्धान्त (Trial-and-Error Theory)
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