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अधिगम के व्यवहारिक उपागम | BEHAVIOURAL APPROACHES OF LEARNING IN HINDI

अधिगम के व्यवहारिक उपागम | BEHAVIOURAL APPROACHES OF LEARNING IN HINDI
अधिगम के व्यवहारिक उपागम | BEHAVIOURAL APPROACHES OF LEARNING IN HINDI

अधिगम के व्यवहारिक उपागम (BEHAVIOURAL APPROACHES OF LEARNING)

विभिन्न उद्दीपनों के प्रति सीखने वाले की विशेष अनुक्रियाएँ होती हैं। उद्दीपनों तथा अनुक्रियाओं के साहचर्य से उसके व्यवहार में जो परिवर्तन आते हैं उनकी व्याख्या करना ही पहले प्रकार के सिद्धान्तों का उद्देश्य है ।

इस प्रकार के सिद्धान्तों के प्रमुख प्रवर्तकों में थॉर्नडाइक, वाटसन और पॉवलोव तथा स्किनर का नाम विशेष रूप से उल्लेखनीय है।

1) पॉवलव का शास्त्रीय अनुबन्धन का सिद्धान्त (Pavlov’s Theory of Classical Conditioning)

2) स्किनर का क्रिया प्रसूत अनुकूलन सिद्धान्त (Skinner’s Theory of Operant Conditioning)

3) थॉर्नडाइक का प्रयत्न और भूल का सिद्धान्त (Trial-and-Error Theory)

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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