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झुम्पा लाहिड़ी का जीवन परिचय (Biography Of Jhumpa Lahiri in Hindi)
झुम्पा लाहिड़ी का जीवन परिचय | Biography Of Jhumpa Lahiri in Hindi- लेखन कार्य के माध्यम से कोई भी सामान्य इंसान ‘लेखकीय उत्कृष्टता’ के तत्व का जादू जगाकर सारे संसार का ध्यान आकृष्ट कर सकता है। झुंपा लाहिड़ी ने भी अपनी लेखनीय प्रतिभा के बल पर वैश्विक जगत में अपनी मजबूत पहचान बनाई है। अभिव्यक्ति का संसार बेहद विशाल होता है और यदि अभिव्यक्ति का कोई भी चमकदार मोती आप तलाश कर पाते हैं तो संपूर्ण विश्व आपके प्रयासों की सराहना करता है। इन्हें भी पुलित्जर सम्मान हासिल हुआ, जो इनकी पुस्तक ‘इंटरप्रिटर ऑफ मेलॉडिज’ के कारण प्राप्त हुआ।
झुम्पा लाहिड़ी | |
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विधा | उपन्यास, लघु कथा, उत्तर औपनिवेशिक |
विषय | भारतीय अमेरिकी जीवन |
उल्लेखनीय कार्य | इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलडीज़ (1999) द नेमसेक (2003) अनएकसटम्ड अर्थ (2008) |
उल्लेखनीय सम्मान | 1999 ओ० हेनरी पुरस्कार 2000 पुलित्ज़र पुरस्कार |
जालस्थल | |
http://www.randomhouse.com/kvpa/jhumpalahiri/ |
झुंपा लाहिड़ी का जन्म लंदन में 1967 में एक बंगाली परिवार में हुआ। जब ये बड़ी हुईं तो अपने परिवार के साथ रहड द्वीप पर आ गईं, जहां झुंपा ने अपनी किशोरावस्था व्यतीत की। लाहिड़ी ने यहीं पर बर्नार्ड महाविद्यालय में अंग्रेजी साहित्य में कला स्नातक की उपाधि प्राप्त की और बाद में बोस्टन महाविद्यालय में शिक्षा प्राप्त की। बोस्टन में इन्होंने स्नातकोत्तर उपाधि की शिक्षा अंग्रेजी, रचनात्मक लेखन और साहित्य का तुलनात्मक अध्ययन और कला विषय में प्राप्त की और साथ ही डॉक्टरेट भी पुनर्जागरण काल (चौदहवीं सदी से सत्रहवीं सदी का काल) विषय में की।
झुंपा लाहिड़ी ने बोस्टन विश्वविद्यालय में कुछ समय तक रचनात्मक लेखन की कार्यशाला में भी भाग लिया था और होड द्वीप के स्कूल में अभिकल्प (डिजाइन) की शिक्षा भी ली। लाहिड़ी ने भारत में एक वृहद यात्रा की और उपनिवेशवाद के प्रभावों को जाना तथा साथ ही ये भी अनुभव किया कि इसके विरोधस्वरूप क्या शेष रहा है। इन्होंने अनुभव किया कि इनके माता-पिता के देश के साथ इनकी जड़ें गहराई तक जुड़ी हैं और साथ ही अमेरिका और इंग्लैंड से भी इनका वैसा ही रिश्ता जुड़ा हुआ है। तीनों देशों के साथ स्वयं को जोड़ते हुए लाहिड़ी ने बेघर होने व असमर्थता के बोध को ग्रहण किया।
झुंपा लाहिड़ी, जो एक लाइब्रेरियन और स्कूल अध्यापिका की पुत्री थीं, सदैव सृजनात्मक लेखन में वृद्धि करती रहीं। 2001 में कोलकाता के संवाददाता सम्मेलन में लाहिड़ी ने स्वयं से संबंधित उस अभाव की अनुभूति को समझाया, “कोई भी मेरी मातृभूमि नहीं है। मैं प्रत्येक देश में स्वयं को निर्वासित अनुभव करती हूं, जहां मैं जाती हूं, इस कारण मैं उन निर्वासित लोगों के बारे में लिखने को प्रेरित हुई।
यह निर्वासित होने का विचार इनकी पुस्तक ‘इंटरप्रिटर ऑफ मेलॉडिज’ में संपूर्णतया मौजूद रहता है, जिसे ‘पुलित्जर पुरस्कार’ से सम्मानित किया गया है।
लाहिड़ी ने अपनी इस पुस्तक के लिए कई पुरस्कार प्राप्त किए हैं। पुलित्जर पुरस्कार के अलावा ‘ट्रांसट्लैंटिक रिव्यू अवॉर्ड’ इन्हें हेनफील्ड फाउंडेशन द्वारा दिया गया, लुइसियाना रिव्यू अवॉर्ड इन्हें शॉर्ट फिक्शन हेतु दिया गया, ओ. हेनरी अवॉर्ड इन्हें सर्वश्रेष्ठ अमेरिकन लघुकथा रूप में दिया गया, पेन/हेमिंग्वे सम्मान भी इन्हें प्राप्त हुआ, नवोदित लेखिका के रूप में वर्ष का पुरस्कार इन्हें न्यू यार्कर द्वारा भी दिया गया और अमेरिका अकादमी का ‘आर्ट्स एंड लैटर्स अवॉर्ड’ भी प्रदान किया गया।
हमें आशा करनी चाहिए कि किसी नए कालजयी विचार के साथ इनकी सृजनात्मकता पुनः हमारे सामने प्रकट होगी।
झुम्पा लाहिरी के कुछ चुनिंदा लेखन – Jhumpa Lahiri Books
- इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़ (लघु कथा), 1999
- हॉग टन मिफ्लिन,1999
- नेमसेक (उपन्यास), हॉग टन मिफ्लिन, 2003
- अनएकसटम्ड अर्थ (लघु कथा), अल्फ्रेड ए क्नोफ़, 2008
- द लोलैंड्स (उपन्यास), अल्फ्रेड ए क्नोफ़, 2013
झुम्पा लाहिरी को मिले हुए पुरस्कार – Jhumpa Lahiri Award
- 1993 – ट्रांस अटलांटिक अवार्ड हेन फिल्ड फाउंडेशन द्वारा
- 1999 – ओ हेनरी अवार्ड “इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” लघु कथा के लिए
- 1999 – पी इ एन / हेमिंग्वे अवार्ड ( बेस्ट फिक्शन डेब्यू ऑफ़ द इयर ) ‘इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” के लिए
- 1999 – “इंटरप्रेटर ऑफ़ मैलाडीज़” बेस्ट अमेरिकन शोर्ट स्टोरीज के लिए चयनित
2000 – एडिसन मेटकाफ अवार्ड, द अमेरिकन अकादमी ऑफ़ आर्ट्स एंड लेटर्स द्वारा
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