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जामिनी रॉय का जीवन परिचय | Jamini Roy Biography in Hindi

जामिनी रॉय का जीवन परिचय | Jamini Roy Biography in Hindi
जामिनी रॉय का जीवन परिचय | Jamini Roy Biography in Hindi

जामिनी रॉय का जीवन परिचय (Jamini Roy Biography in Hindi)

जामिनी रॉय का जीवन परिचय | Jamini Roy Biography in Hindi- जामिनी रॉय बीसवीं शताब्दी के अति महत्वपूर्ण एवं प्रभावशाली चित्रकारों में शामिल किए जाते हैं। जेमिनी रॉय का जन्म एक मध्यमवर्गीय परिवार में 1887 में बंगाल के बांकुरा जिले हुआ था। इनके पिता रामातरण रॉय एक शौकिया कलाकार थे, जो सरकारी नौकरी त्यागकर अपनी शेष जिंदगी गांव की धूल-धक्कड़ में गुजर रहे थे।

जामिनी राय
जन्म 11 अप्रैल 1887
बेलिअतर, बंकुरा जिला, पश्चिम बंगाल, भारत
मृत्यु 24 अप्रैल 1972 (उम्र 85)
राष्ट्रीयता भारतीय
प्रसिद्धि कारण चित्रकार
पुरस्कार पद्म भूषण

1903 में 16 वर्ष की उम्र में जेमिनी रॉय कोलकाता आए और कला के राजकीय विद्यालय में अध्ययन किया। इन्होंने शास्त्रीय पद्धति के अतिरिक्त पश्चिम में प्रचलित तरीकों का भी अध्ययन किया। शीघ्र ही इनका नाम यूरोपियन शैली के चित्र (पोट्रेट) बनाने वाले चित्रकार के रूप में प्रसिद्ध हो गया। बहरहाल, अपनी स्थितियों से जूझते हुए जेमिनी रॉय ने निजी चित्रकला शैली का विकास किया, जिस पर भारतीय लोक संस्कृति व ग्रामीण कला (विशेषतः बंगाल की) की छाप थी। अपनी तैलीय चित्रकला के माध्यम से जेमिनी रॉय ने बंगाल के ग्रामीण जीवन के रोजमर्रा के चित्रों को प्रदर्शित किया, जो सहज व जीवंत प्रतीत होते थे।

अपने मित्रों के लिए जेमिनी रॉय ग्रामीण परिवेश वाले बंगाल के हर्ष एवं दुःख के क्षणों को विषय के रूप में चुनते थे। इनके अतिरिक्त धार्मिक कथा प्रसंगों, कथा, रामायण, श्री चैतन्य, राधा-कृष्ण और जीसस क्राइस्ट का भी चुनाव करते, किंतु उन्हें जीवंत करते हुए ये कथ्य विवरण नहीं देते थे। इसके बाद भी चित्रों से कथा का अनुमान लगाया जा सकता था। इसके अलावा आदिवासी संथाल लोगों की जिंदगी को भी इन्होंने अपनी चित्रकला के माध्यम से जीवंत करने का कार्य किया। उन चित्रों में प्रदर्शित किया जाता है: ‘संथाल ढोल बजाते हुए’, ‘संथाल मां व संतान’ व नृत्य करते संथाल।’

जेमिनी रॉय ने पेंटिंग में अपनी ही भाषा विकसित करके अपार नाम कमाया और उसे ‘सरल तकनीक’ (फ्लैट टेक्निक) ‘ का नाम स्वयं जेमिनी रॉय ने प्रदान किया। जेमिनी रॉय देशी रंग साधनों का उपयोग अपनी कला में करते थे, ताकि इनके चित्र सक्षम लोगों के अलावा जन साधारण द्वारा भी खरीदे जा सकें। बंगाल के पट्ट चित्रकारों की भांति इनके चित्रों के लिए भी देशी साधनों का उपयोग होता था, जैसे दीपक की काली राख, चॉक का चूरा, पत्ते और विसर्पी पौधे।

जेमिनी रॉय का चित्रकला का कार्य सबसे पहली बार 1938 में ब्रिटिश इंडिया मार्ग, कोलकाता पर किया गया। जेमिनी रॉय के चित्र 1940 के दौरान बेहद लोकप्रिय हुए और इनके कलाप्रेमी ग्राहकों में बंगाल का मध्यम वर्ग और यूरोपियन समुदाय दोनों ही सम्मिलित थे। इनका कलात्मक कार्य लंदन में 1946 में व न्यूयॉर्क में 1953 में प्रदर्शित हुआ।

इन्हें 1955 में भारत सरकार द्वारा पद्म भूषण देकर सम्मानित किया गया। 1972 में इनका कोलकाता में ही निधन हो गया, किंतु इनका कार्य अमरता को धारण कर चुका है।

पुरस्कार और सम्मान

  • सन 1934 में उन्हें उनके ‘मदर हेल्पिंग द चाइल्ड टु क्रॉस ए पूल’ चित्र के लिए वाइसरॉय का स्वर्ण पदक प्रदान किया गया
  • सन 1954 में भारत सरकार ने उन्हें ‘पद्म भूषण’ से सम्मानित किया
  • सन 1955 में उन्हें ‘ललित कला अकादमी’ का पहला फेलो बनाया गया
  • सन 1976 में ‘भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण’, संस्कृति मंत्रालय और भारत सरकार ने उनके कृतियों को बहुमूल्य घोषित किया।

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Anjali Yadav

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