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रोकड़ प्रवाह विवरण का अर्थ (Meaning of Cash-Flow Statement)
रोकड़ प्रवाह विवरण का अर्थ- रोकड़ प्रवाह विवरण से आशय ऐसे विवरण पत्र से है जिसमें किसी संस्था की दो तिथियों के आर्थिक चिट्ठों एवं आय विवरणों की समयावधि में होने वाली रोकड़ प्राप्तियों एवं भुगतानों का स्पष्ट उल्लेख होता है। किसी निश्चित समय में संस्था ने विभिन्न स्रोतों से कुल कितनी रोकड़ प्राप्त की है तथा विभिन्न व्ययों के रूप में कितनी रकम का भुगतान किया है, इसका क्रमबद्ध रूप से प्रस्तुतीकरण ही रोकड़ प्रवाह विवरण कहलाता है। इस प्रकार रोकड़ प्रवाह विवरण द्वारा दो समयावधियों में रोकड़ में हुए परिवर्तन के कारणों को ज्ञात किया जा सकता है। इसे वार्षिक, अर्द्धवार्षिक, मासिक, साप्ताहिक या अन्य किसी निश्चित समय के अन्तर से तैयार किया जाता है। इसे रोकड़ में परिवर्तन के कारणों का विवरण भी कहते हैं।
निष्कर्षः अतः रोकड़ प्रवाह विवरण एक ऐसा विवरण है जो व्यावसायिक संस्था के रोकड़ अन्तर्गमन एवं बाह्यगमन को दर्शाता है। रोकड़ आगमन रोकड़ के साधन के रूप में तथा रोकड़ बहिर्गमन रोकड़ के प्रयोग के रूप में माना जाता है।
रोकड़ प्रवाह विवरण का महत्व (Significance of Cash Flow Statement)
रोकड़ प्रवाह विवरण एक ऐतिहासिक विश्लेषण है जिसके आधार पर रोकड़ प्रवाह के बारे में अनुमान लगाये जा सकते हैं। इस प्रकार यह अल्पकालीन वित्तीय विश्लेषण का एक महत्वपूर्ण उपकरण है। इस तकनीक के प्रमुख उपयोग या महत्व निम्नानुसार है-
(1) रोकड़ के आवागमन को प्रकट करना (Disclosure of the Movement of Cash) – इस विवरण के माध्यम से रोकड़ में कमी व वृद्धि व इसके कारणों का विश्लेषण किया जाता है। यह विवरण उन परिस्थितियों की भी व्याख्या करने में सहायक होता है, जिनमें भारी शुद्ध लाभों के बावजूद रोकड़ शेष में कमी या भारी शुद्ध हानि के बावजूद रोकड़ शेष में वृद्धि होती है।
(2) आंतरिक वित्तीय प्रबन्ध में सहायक (Helpful in Internal Financial Management)- रोकड़ प्रवाह विवरण के माध्यम से रोकड़ के विभिन्न स्रोतों व उपयोगों का ज्ञान होता है, जिससे प्रबंधकों को संस्था के आंतरिक वित्तीय प्रबन्ध; जैसे संयंत्र स्थापना, लाभांश – भुगतान, ऋणों के शोधन आदि से सम्बन्धित नीतियों के निर्धारण में सहायता मिलती है।
(3) वित्तीय नीतियों के नियोजन एवं समन्वय में सहायक (Helpful in Plan- ning and Co-ordination of Financial Policies) – वित्तीय नीतियों के नियोजन का मुख्य आधार रोकड़ होती है। प्रक्षेपित रोकड़ प्रवाह की सहायता से प्रबंध को यह जानकारी मिलती है कि भविष्य में कितनी रोकड़ प्राप्त होगी, कितनी आंतरिक साधनों से प्राप्त होगी, कितनी बाह्य साधनों से प्राप्त होगी तथा कितनी रोकड़ की अतिरिक्त व्यवस्था करनी होगी। इस आधार पर रोकड़ बजट बनाया जाता है। इस प्रकार यह तकनीक वित्तीय नीतियों के नियोजन एवं समन्वय में सहायक होती है।
(4) नियन्त्रण में सहायक (Helpful in Controlling)- रोकड़-प्रवाह विवरण के विश्लेषण से व्यवसाय में रोकड़ शेषों पर नियन्त्रण रखा जा सकता है। रोकड़ बजट के पूर्वानुमानों की रोकड़ प्रवाह के वास्तविक परिणामों से तुलना कर अंतर को ज्ञात किया जाता है। इस अंतर के कारणों को मालूम किया जाता है, तथा समाधान हेतु विभिन्न विकल्पों की जानकारी प्राप्त कर सुधारात्मक कार्यवाही की जाती है। इस प्रकार रोकड़ प्रवाह विवरण नियंत्रण में सहायक होता है।
(5) अल्पकालीन वित्तीय निर्णयों में सहायक (Helpful in Short-term Finan- cial Decisions)- अल्पकालीन वित्तीय निर्णयों में रोकड़ का सर्वोपरि महत्व होता है। अतः रोकड़ का पूर्वानुमान अल्पकालीन वित्तीय निर्णयों के लिए यह जानकारी प्रदान करता है कि संस्था की तरल स्थिति कैसी रहेगी तथा संस्था को अल्पकाल में उस तरलता की स्थिति को ध्यान में रखते हुए किसी व्यवहार को करना चाहिए या नहीं।
(6) पूर्वानुमान में सहायक (Helpful in Forecasting)- विभिन्न वर्षों के रोकड़ प्रवाह विवरणों के विश्लेषण से रोकड़ के विभिन्न स्रोतों एवं उपयोगों की प्रवृत्ति का अध्ययन किया जा सकता है। इस प्रकार प्रवृत्ति अध्ययन के आधार पर भविष्य में रोकड़ के विभिन्न स्रोत एवं उपयोगों का पूर्वानुमान किया जा सकता है।
रोकड़ प्रवाह विवरण के उपयोग या लाभ Uses or Advantages of Cash Flow Statement)
रोकड़ प्रवाह विवरण किसी संस्था के अल्पकालीन वित्तीय विश्लेषण एवं नियोजन की एक महत्वपूर्ण युक्ति है। इसके प्रमुख लाभ निम्न हैं-
(1) रोकड़ बजट बनाने में सहायता (Helpful in Preparing Cash Budget)- प्रबन्धकों को रोकड़ प्रवाह विवरण द्वारा एक निश्चित समयावधि में होने वाली रोकड़ प्राप्तियों एवं रोकड़ भुगतानों का अनुमान हो जाता है। इससे रोकड़ बजट बनाने में आसानी रहती है।
(2) आन्तरिक वित्तीय सम्बन्ध में सहायक (Helpful in Internal Financial Relations) – क्योंकि इसके संचालन से रोकड़ प्राप्ति का पता लग जाता है। अतः आन्तरिक वित्त दीर्घकालीन ऋणों के दायित्वों के भुगतान अथवा स्थायी सम्पत्तियों के क्रय अथवा संयन्त्र विस्तार की योजनायें बना सकता है।
(3) वित्त सम्बन्धी निर्णय लेने में सहायता (Helpful in Financial Decision Making) – रोकड़ प्रवाह विवरण द्वारा ज्ञात हो जाता है कि व्यवसाय संचालन से कितनी नकद राशि प्राप्त होती है। इससे प्रबन्धक ऋण के शोधन के सम्बन्ध में या नये प्लाण्ट लगाने अथवा पुराने प्लाण्ट को पुनः स्थापित करने के सम्बन्ध में ठोस निर्णय ले सकते हैं।
(4) तुलनात्मक अध्ययन (Comparative Study)- रोकड़ प्रवाह विवरण द्वारा सम्बन्धित तुलनात्मक अध्ययन सरलता से किये जा सकते हैं।
(5) तरलता एवं शोधन क्षमता स्थिति का ज्ञान (Knowledge of Liquidity and Solvency Position)- वित्तीय प्रबन्धक को इस विवरण द्वारा यह ज्ञात हो जाता है कि संस्था की सरलता एवं शोधन क्षमता की स्थिति कैसी है? संस्था उपलब्ध नकदी से समस्त चालू दायित्वों का भुगतान कर सकती है अथवा नहीं।
(6) महत्वपूर्ण तथ्यों का ज्ञान (Knowledge of Important Facts)- यह विवरण वित्तीय प्रबन्धक को उन तथ्यों से अवगत कराता है जिनके कारण व्यवसाय में लाभ होने पर भी रोकड़ शेष में कमी आती है अथवा हानि होने पर भी रोकड़ शेष में वृद्धि होती है।
रोकड़ प्रवाह विवरण की सीमाएँ (Limitations of Cash Flow Statement)
रोकड़ प्रवाह विवरण की भी कुछ सीमाएँ हैं। इसका प्रयोग करते समय इसकी सीमाओं को ध्यान में रखना आवश्यक है। इसकी प्रमुख सीमाएँ निम्न प्रकार है-
(1) कोष प्रवाह विवरण की सभी सीमाएँ रोकड़ प्रवाह विवरण पर भी लागू होती है।
(2) रोकड़ प्रवाह विवरण केवल रोकड़ के आगमन व बहिर्गमन का ही वर्णन करता है। यह कभी भी संस्था की सही तरल स्थिति को नहीं बताता।
(3) रोकड़ को कोष के रूप में मानना एक संकीर्ण धारणा है। इससे संस्था की वित्तीय स्थिति का पूर्ण चित्र स्पष्ट नहीं हो पाता है।
(4) रोकड़ प्रवाह विवरण आय विवरण का स्थानापन्न नहीं है। रोकड़ प्रवाह विवरण द्वारा प्रदर्शित शुद्ध रोकड़ बहिर्गमन आवश्यक रूप से शुद्ध व्यय नहीं होता, परिणामस्वरूप इन दोनों को समान नहीं मानना चाहिए।
उपरोक्त सीमाओं के बाद भी रोकड़ प्रवाह विवरण का एक व्यावसायिक संस्था के लिए बहुत महत्व है। संस्था की अल्पकालीन शोधन क्षमता का मूल्यांकन करने के लिए यह विवरण अत्यन्त उपयोगी है।
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