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समामेलित नियोजन (निगमीय नियोजन), प्रकार, विशेषताएँ, लाभ, हानि

समामेलित नियोजन (निगमीय नियोजन), प्रकार, विशेषताएँ, लाभ, हानि
समामेलित नियोजन (निगमीय नियोजन), प्रकार, विशेषताएँ, लाभ, हानि

समामेलित नियोजन (निगमीय नियोजन) क्या है?

समामेलित नियोजन (निगमीय नियोजन) का आशय तथा परिभाषाएँ समामेलित नियोजन संगठन के निर्धारण तथा कार्य-रीति के निर्माण एवं कार्य योजना से सम्बन्ध रखता है समामेलित नियोजन, सामान्य नियोजन का भाग है। यह दीर्घकालीन रणनीति के अन्तर्गत तैयार किया जाता है भावी विकास योजनाएँ, उद्देश्य, सामान्य नीति तथा लक्ष्य आदि तैयार किये जाते हैं।

हसे के अनुसार, “समामेलित नियोजन में लक्ष्यों का निर्धारण तथा कार्य, लोगों और प्रणालियों का संगठन सम्मिलित है, ताकि निर्धारित लक्ष्यों को प्राप्त किया जा सके, इसमें नियोजन प्रक्रिया तथा नियोजन को द्वारा अभिप्रेरित किया जाता है, कार्य निष्पादन का माप किया जाता है, इसमें नियोजन की प्रगति के नियंत्रित किया जाता है तथा लोगों को श्रेष्ठ निर्णय लेने, स्पष्ट उद्देश्यों, अधिक भागीदारी तथा प्रगति की जानकारी करने के लिए विकसित किया जाता है। यह परिभाषा काफी व्यापक है जिनमें प्रबन्ध के कई कार्य को लाया गया है।”

निगमीय नियोजन के प्रकार

योजनाएँ विभिन्न प्रकार की हो सकती हैं क्योंकि विभिन्न आवश्यकताओं, परिस्थितियों एवं उद्देश्यों को लेकर योजनाओं का निर्माण किया जाता है। ये योजनाएँ समय के आधार पर, निगमीय प्रबन्ध के स्तर के आधार पर, उद्देश्यों के आधार पर, उद्गम के आधार पर तथा उपयोग के आधार पर हो सकती है। प्रबंध के स्तर के आधार पर तीन प्रकार की योजनाएँ होती हैं- (1) उच्चस्तरीय योजना या निगमीम योजना, (2) मध्यस्तरीय योजना तथा (3) निम्नस्तरीय योजना

निगमीय योजना उच्च प्रबन्धकों (जैसे जनरल मैनेजर) द्वारा तैयार की जाती है और इसके अन्तर्गत सम्पूर्ण उपक्रम की सामान्य नीति, उद्देश्य, लक्ष्य, बजट आदि तैयार किये जाते हैं। यह योजना लम्बी अवधि के लिए तैयार की जाती है तथा मध्यस्तरीय व निम्नस्तरीय कर्मचारियों के कार्यों के अनुरूप लक्ष्य प्राप्ति में सुलभता के अनुसार कार्यान्वित की जाती है। इसके परिणामस्वरूप निगमीय योजना के लक्ष्यों को संगठन द्वारा प्राप्त करने में सहायक होती है।

समामेलित नियोजन की विशेषताएँ

समामेलित नियोजन की विशेषताएँ अग्रवत हैं-

1. औपचारिक प्रक्रिया- समामेलित नियोजन एक औपचारिक प्रक्रिया है। इसके कारण, समामेलित नियोजन उद्देश्यों का निर्धारण तथा कार्य-नीतियों, योजनाओं तथा नीतियों के निर्धारण को आवश्यक बनाता है।

2. दीर्घकालीन नियोजन- समामेलित नियोजन दीर्घकालिक नियोजन है। दीर्घकालीन नियोजन वह प्रक्रिया है जो भविष्य को ध्यान में रखते हुए वर्तमान निर्णयों का मार्गदर्शन करती है तथा यह भावी निर्णयों को शीघ्रता, मितव्ययिता तथा न्यूनतम अवरोधों से लेने का साधन है।

3. अधिक विनियोग होना- समामेलित नियोजन एक दीर्घकालिक नियोजन है। इसलिए इस प्रकार के नियोजन हेतु भारी विनियोग की आवश्यकता होती है। इसमें लाभ लम्बे समय बाद प्राप्त होता है।

4. क्रमबद्ध प्रक्रिया- समामेलित नियोजन एक क्रमबद्ध प्रक्रिया है। यह एक तांत्रिक प्रक्रिया है।

5. अन्य विशेषताएँ- ये अग्रवत हैं- (1) बौद्धिक तथा विवेकपूर्ण प्रक्रिया, (2) निरंतर, प्रक्रिया, (3) भविष्य-उन्मुखी प्रक्रिया, (4) व्यापक तथा एकीकृत प्रक्रिया, (5) नीतियों व उद्देश्यों पर आधारित होना

समामेलित नियोजन के लाभ

समामेलित नियोजन के लाभ अग्रवत् हैं-

(1) यह स्थायी, सुदृढ़ व लाभकारी नियोजन है।

(2) संसाधनों का अनुकूलतम प्रयोग सम्भव होता है।

(3) पर्याप्त सुधार करना सम्भव होता है।

(4) यह प्रभावी कार्य-रणनीति बनाने में सहायक है।

(5) उत्पादन का बेहतर प्रमाप निर्धारित किया जा सकता है तथा इसे प्राप्त भी किया जा सकता है।

(6) समामेलित नियोजन जटिल व्यावसायिक कार्यों हेतु आवश्यक है।

समामेलित नियोजन से हानि

(1) समामेलित नियोजन एक दीर्घकालिक प्रक्रिया है, अतः इसमें जोखिम रहता है।

(2) लम्बी अवधि हेतु पूर्वानुमान करना कठिन होता है।

(3) इसके लिए संसाधनों की प्रचुरता होना आवश्यक होता है।

(4) समामेलित नियोजन कुछ दशाओं में असफल हो सकता है।

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Anjali Yadav

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