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समिति संगठन क्या है?
समिति संगठन से आशय ऐसी संगठन संरचना से है जिसमें कुछ निश्चित कार्यों को करने के लिए दो या ‘से अधिक व्यक्तियों की समिति का गठन किया जाता है। समिति के सदस्यों में से ही एक व्यक्ति उस समिति का अध्यक्ष बना दिया जाता है। यह समिति स्थायी अथवा अस्थायी प्रकृति की हो सकती है। समिति संगठन वास्तव में रेखा एवं स्टाफ संगठन का बढ़ा हुआ रूप है जिसमें प्रबन्ध के विभिन्न स्तरों पर रेखीय प्रबन्धक या स्टाफ (विशेषज्ञ) प्रबन्धक के स्थान पर एक समिति कार्य करती है। समिति संगठन प्रारूप सरकारी एवं गैर-सरकारी दोनों ही स्थान पर प्रयोग में लाया जा सकता है। व्यावसायिक उपक्रमों में समिति संगठन में वित्त समिति, नियोजन समिति, शोध समिति, गुण नियंत्रण समिति, उत्पादन समिति आदि हो सकती हैं। समिति संगठन में समितियां कार्यकारी अथवा मात्र परामर्शदात्री दोनों ही हो सकती हैं।
वैसे सामान्यतया समितियां परामर्शदात्री प्रकृति की ही गठित की जाती हैं जो कार्यकारी प्रबन्धक को परामर्श प्रदान करती हैं तथा विभिन्न कार्यों का समन्वय भी करती हैं। वैसे इस समिति को विभिन्न विभागों से आंकड़े तथा सूचनाएं प्राप्त करने, सुझाव मांगने आदि का अधिकार होता है। इन समितियों का मुख्य उद्देश्य सम्बन्धित व्यक्तियों की बुद्धि का एकीकरण है; जैसे नए उत्पाद समिति में निर्माणी, इंजीनियरी, विपणन तथा वित्त विभागों के विशेषज्ञ नियुक्त किये जा सकते हैं। यद्यपि इन समितियों के परामर्श को लागू करना अनिवार्य नहीं है, परन्तु ये समिति रेखीय प्रबन्धकों को विचार-विमर्श में सम्मिलित करके स्वेच्छा से सिफारिशों को लागू करने के लिए तैयार कर लेती है।
समिति संगठन के गुण या लाभ
समिति संगठन के निम्न लाभ हैं:
(1) सामूहिक निर्माण अधिक बुद्धिमत्तापूर्ण तथा सही होते हैं।
(2) समिति सहभागिता के सिद्धांत पर कार्य करती है, अतः निर्णय प्रभावी होते हैं तथा दिल से कार्यान्वित किए जाते हैं।
(3) समिति के क्षेत्र में सभी कार्यों में समन्वय बनाया जा सकता है।
(4) समिति के निर्णय आंकड़ों तथा ठोस सूचनाओं के विश्लेषण पर आधारित होने के कारण अधिक प्रभावी तथा व्यावहारिक होते हैं।
(5) समिति संगठन व्यावसायिक उपक्रमों में प्रजातांत्रिक भावना को विकसित करने में सहायक होता है।
(6) समिति संगठन विभागाध्यक्षों के मध्य सामंजस्यपूर्ण सम्बन्ध स्थापित करने में सहायक होता है।
समिति संगठन के दोष या हानियां
(1) समिति संगठन में कई व्यक्तियों के होने के कारण निर्णय लेने में विलम्ब हो जाता है।
(2) समिति संगठन में आक्रामक प्रकार के व्यक्ति अपना निर्णय थोपने में सफल हो जाते हैं, क्योंकि वे अन्य लोगों को विवेक का प्रयोग नहीं करने देते।
(3) समिति यदि मात्र परामर्शदात्री हैं तो उनके प्रयास सामान्यतया निरर्थक जाते हैं। कार्यकारी व्यक्ति उनके परामर्शों पर अमल नहीं करना चाहता।
(4) समिति के निर्णय बहुमत से होते हैं, अतः अल्पमत के सुझाव चाहे वे ठोस हों, प्रभावहीन हो जाते हैं।
(5) समिति संगठन में किसी एक व्यक्ति पर उत्तरदायित्व न होने के कारण उत्तरदायित्व की भावना का अभाव पाया जाता है।
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