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उस्ताद जाकिर हुसैन का जीवन परिचय (Ustad Zakir Hussain Biography in Hindi)
उस्ताद जाकिर हुसैन का जीवन परिचय- जाकिर हुसैन परंपरागत शास्त्रीय तबला वादन में उस्ताद कहे जाते हैं और भारत के सर्वाधिक प्रसिद्ध तबलावादक हैं। संगत प्रदान करने के क्षेत्र में और संगीत के क्षेत्र में इनके योगदान को काफी सराहा जाता रहा है।
जाकिर हुसैन
Zakir Hussain |
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ज़ाकिर हुसैन – कोणार्क नाट्य मण्डप, उड़ीसा (२०१२ में )
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पृष्ठभूमि | |
जन्म | 9 मार्च 1951 |
मूलस्थान | मुम्बई, भारत |
विधायें | शास्त्रीय संगीत, ज्याज फ्यूजन, विश्व संगीत |
पेशा | तबला वादन |
वाद्ययंत्र | तबला |
सक्रियता वर्ष | 1963–हाल |
लेबल | HMV |
वेबसाइट | www |
उस्ताद जाकिर हुसैन का जन्म 9 मार्च, 1951 को हुआ। इनके पिता उस्ताद अल्लारक्खा स्वयं भी स्थापित एवं प्रतिष्ठित तबलावादक थे। जाकिर हुसैन ने अपनी स्कूली शिक्षा माइकेल्स हाई स्कूल, माहिम से पूर्ण की। स्नातक स्तरीय पढ़ाई इन्होंने सेंट जेवियर्स, मुंबई से पूर्ण की गई। जाकिर हुसैन बाल्यकाल से ही चामत्कारिक प्रतिभा के धनी थे, इस कारण 12 की उम्र से ही तबलावादन हेतु भ्रमण करने लगे थे। 1970 में ये अमेरिका गए और अपनी अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिभा का दिग्दर्शन करना आरंभ किया।
जाकिर हुसैन आधुनिक काल के संगीत आंदोलन के प्रमुख शिल्पकार माने जाते हैं। इन्हें संगत प्रदान करने के क्षेत्र में अति महत्वपूर्ण माना जाता है। इस सहयोजन में शामिल है : शक्ति, जिसे इन्होंने जॉन मैकलाग्लिन और एल. शंकर के साथ मिलकर तैयार किया, दि डिगा रिदम बैंड, मेकिंग म्यूजिक, प्लेनेट ड्रम विद माइक हार्ट और भी विभिन्न कलाकारों के साथ रिकार्डिंग की और प्रदर्शन किया। इन कलाकारों में जॉर्ज हैरिसन, जोए हेंडरसन, वान मॉरिसन, जैक ब्रूस, टीटो प्यूनटे, फारोश सांडर्स, बिल्ली कोव्हम, दि हांगकांग सिंफनी और न्यू आर्लियंस सिंफनी जैसे नाम व बैंड के नाम शामिल रहे हैं।
1987 में हुसैन के द्वारा ‘मेकिंग म्यूजिक’ के नाम से एकल प्रस्तुती दी गई, जिसके बारे में यह दावा था, “यह पूर्व और पश्चिम की प्रेरणास्पद युति (संलयन) है, जिसे पूर्व में कभी भी संग्रहित नहीं किया गया। अतः ये एलबम (संग्रह) अनूठा है।” 1988 में जाकिर हुसैन को जब पद्मश्री से नवाजा गया तो ये तबलावादन व तबले पर संगत करने वाले सर्वाधिक युवा शख्स थे, जिन्हें यह सम्मान प्रदान किया गया। यह सम्मान इन्हें दोनों देशों की संस्कृति को प्रभावशाली तरीके से प्रदर्शित करने के लिए दिया गया। अप्रैल, 1991 में इन्हें ‘संगीत नाटक अकादमी’ पुरस्कार से भारत के महामहिम राष्ट्रपति द्वारा सम्मानित किया गया। 1999 में इन्हें ‘नेशनल हैरिटेज फैलोशिप’ का सम्मान प्राप्त हुआ, जो अमेरिका द्वारा दिया जाने वाला विशिष्ट सम्मान है, जो परंपरागत कला में उल्लेखनीय योगदान के लिए प्रदान किया जाता है।
जाकिर हुसैन द्वारा कुछ चलचित्रों (फिल्मों) के लिए भी ध्वनि संयोजन किया गया है, जिनमें ‘इन कस्टडी’ और ‘दि मिस्टिक मैसूर’ का नाम लिया जा सकता है, जो इस्माइल मर्चेंट द्वारा बनाई गई फिल्में थीं। जाकिर हुसैन ने तबले का ध्वनि संयोजन ‘अपोकैलिप्स नाओ’ में किया, जो फ्रांसिस कोपपेला की फिल्म थी। बर्नार्डो बर्टोलूच्ची की ‘लिटिल बुद्धा’ में भी इन्होंने तबले की ध्वनि प्रदान की थी।
पुरस्कार और सन्मान (Ustad Zakir Hussain The Honors) 1988 उन्हें ‘पद्म श्री’ का पुरस्कार मिला था। 2002 में संगीत के क्षेत्र में उनके योगदान के लिए उन्हें ‘पद्म भूषण’ का पुरस्कार दिया गया। 1992 और 2009 में संगीत का सबसे प्रतिष्ठित पुरस्कार ‘ग्रैमी अवार्ड’ भी मिला है।
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