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अभिप्रेरणा का प्रत्याशा सिद्धान्त | Victor Vroom Theory in Hindi

अभिप्रेरणा का प्रत्याशा सिद्धान्त | Victor Vroom Theory in Hindi
अभिप्रेरणा का प्रत्याशा सिद्धान्त | Victor Vroom Theory in Hindi

अभिप्रेरणा का प्रत्याशा सिद्धान्त : Victor Vroom Theory in Hindi

यह सिद्धांत विक्टर ब्रूम द्वारा 1964 में प्रतिपादित किया गया। यह सिद्धांत मैस्लो तथा हर्जबर्ग के आवश्यकताओं पर आधारित अभिप्रेरणा सिद्धांतों से भिन्न है। इस सिद्धांत में अभिप्रेरणा के लिए निम्न दो मुख्य बातों को आधार माना हैं:

(1) प्रत्याशा (Expectancy) – प्रत्याशा एक व्यक्ति की आन्तरिक सापेक्षिक भावना है जो यह प्रकट करती है कि यदि वह व्यक्ति कोई विशिष्ट व्यवहार करता है तो उसके प्रतिफल स्वरूप क्या प्राप्त होने की सम्भावना है। यह सम्भावना 0 से 100% तक हो सकती है। यदि एक विद्यार्थी यह सोचता है कि कड़ी मेहनत द्वारा परीक्षा में प्रथम श्रेणी प्राप्त की जा सकती है तो यह प्रत्याशा कहलाएगी। यह प्रत्याशा 100% तक हो सकती है। इसी प्रकार एक कारखाने के श्रमिक के मन में यह भावना हो सकती है कि चाहे वह कितनी ही मेहनत से काम करे, मालिक मजदूरी में वृद्धि नहीं करेगा तो यहां मेहनत के फलस्वरूप मजदूरी में वृद्धि की प्रत्याशा शून्य होगी।

(2) संयोग शक्ति (Valance) – संयोग शक्ति से आशय उस मूल्य या महत्व से है जो एक व्यक्ति किसी व्यवहार के कारण उत्पन्न हो सकने वाले परिणाम को प्रदान करता है। उदाहरण के लिए, आगरा की एक बैंक कर्मचारी X पदोन्नति को कोई महत्व प्रदान नहीं करता, क्योंकि पदोन्नति पाने पर उसे आगरा से बाहर कहीं ग्रामीण क्षेत्र की बैंक में स्थानान्तरित होना पड़ेगा। इसके विपरीत एक कम्पनी में विक्रय प्रतिनिधि के रूप में कार्य कर रहा Y विक्रय अधिकारी के रूप में पदोन्नति पाने को बहुत महत्व दे सकता है। यह बहुत कुछ एक व्यक्ति विशेष की मनोभावना, दायित्व सम्भालने की क्षमता, वैयक्तिक परिस्थितियों, आदि पर निर्भर करता है।

सिद्धांत का लागू होना (Application of Theory)

ब्रूम का अभिप्रेरणा का सिद्धांत इन्हीं उपर्युक्त दो शक्तियों के संयोग से लागू होता है। यदि एक व्यक्ति के लिए पदोन्नति का महत्व (Valance) है तथा वह यह अनुभव करता है कि वर्तमान जॉब पर सर्वोत्कृष्ट परिणाम दिखाने पर पदोन्नति की प्रत्याशा (Expectancy) 80% या 100% है तो वह वर्तमान जॉब पर पूरी लगन व मेहनत के साथ कार्य करने के लिए अभिप्रेरित होगा। यहां प्रेरक तत्व (Motivation) पदोन्नति की प्रत्याशा तथा महत्व का संयोग है न कि वेतन वृद्धि या कार्य दशाएं, आदि।

निष्कर्ष रूप में यह कहा जा सकता है कि एक उपक्रम के सभी कर्मचारी वेतन, जॉब सुरक्षा, कार्य दशाओं, पदोन्नति, मौद्रिक लाभ, आदि को समान महत्व प्रदान नहीं करते। अतः कर्मचारियों को सही रूप में अभिप्रेरित करने के लिए प्रत्येक के बारे में यह ज्ञात किया जाना चाहिए कि किसी प्रेरक तत्व का व्यक्ति विशेष की नजरों में कितना महत्व है तभी वह प्रेरक (वेतन वृद्धि, पदोन्नति, जॉब सुरक्षा, आदि) प्रभावपूर्ण सिद्ध होगा अन्यथा नहीं । मोंडी, होल्मस तथा फ्लिप्पो’ ने एक प्रबन्धक को, जो ब्रूम के प्रत्याशा सिद्धांत का प्रयोग करना चाहता है, निम्न निर्देश दिए हैं:

(1) यह सुनिश्चित कर लिया जाए कि कर्मचारी आबण्टित कार्य को करने के लिए भली प्रकार प्रशिक्षित है।

(2) यह देखें कि कार्य को उचित रूप से पूरा करने में कोई संगठनात्मक बाधा उपस्थित न हो।

(3) कार्य को पूरा करने के लिए कर्मचारियों में उनकी क्षमता के बारे में विशिष्ट आत्म-विश्वास पैदा किया जाए।

(4) उपक्रम में उन पुरस्कारों का चयन किया जाए जो कर्मचारियों की आवश्यकताओं की पूर्ति करते हों।

(5) पुरस्कार तथा निष्पादन ( Performance) के मध्य सम्बन्ध को कर्मचारियों को स्पष्ट रूप से सम्प्रेषित किया जाए।

(6) पुरस्कार प्रणाली को नियमित तथा समता के सिद्धांत के आधार पर लागू किया जाए ताकि कर्मचारी निष्पादन ( Performance) और प्राप्त पुरस्कार के मध्य सम्बन्ध को अनुभव कर सकें।

प्रश्न- अभिप्रेरणा का प्रत्याशा सिद्धांत किसके द्वारा दिया गया है?

1. मास्लो

2. हेर्ज़बर्ग

3. विक्टर ब्रूम

4. स्किनर

Answer- Option 3. विक्टर ब्रूम

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Anjali Yadav

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