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वित्तीय विवरण के अन्तर्गत कौन-कौन से खाते विवरण बनाये जाते हैं?

वित्तीय विवरण के अन्तर्गत कौन-कौन से खाते विवरण बनाये जाते हैं?
वित्तीय विवरण के अन्तर्गत कौन-कौन से खाते विवरण बनाये जाते हैं?

वित्तीय विवरण के अन्तर्गत कौन-कौन से खाते विवरण बनाये जाते हैं?

वित्तीय विवरण के अन्तर्गत कौन-कौन से खाते विवरण बनाये जाते हैं?- पुस्तपालन एवं लेखाकर्म के अन्तर्गत प्रत्येक लेन-देन का लेखा सबसे पहले जर्नल या उसकी सहायक पुस्तकों में किया जाता है और तब से खाता बही में खतियाया जाता हैं इन खातों का शेष निकालकर तलपट का निर्माण किया जाता है। तलपट का निर्माण हो जाने के बाद वित्तीय विवरणों के बनाने की प्रक्रिया शुरू होती है। जिसका विवरण निम्नलिखित हैं-

(1) निर्माण खाता (Manufacturing Account)

कुछ व्यापारी तैयार माल के क्रय-विक्रय के अलावा निर्माण कार्य भी करते है। कच्चा माल या अर्द्ध-निर्मित माल खरीदकर उन्हें पूर्ण निर्मित माल बनाकर बेचते है। निर्माण माल की लागत ज्ञात करने के लिए जो खाता तैयार किया जाता है, उसे निर्माण खाता कहा जाता है।

इस खाते के अन्तर्गत वे सारे व्यय दिखाते हैं जिससे माल की लागत बढ़ती है। माल की निर्माण लागत ज्ञात करने के बाद उसे व्यापार खाते (Trading Account) में हस्तान्तिरित कर दिया जाता है।

(2) व्यापार खाता (Trading Account)

एक निश्चित अवधि के लिए व्यापार से होने वाले सकल लाभ की जानकारी के लिए जो खाता बनाया जाता है, उसे व्यापार खाते के रूप में जानते है। वास्तव में, व्यापारिक खाते का आशय एक ऐसे खाते से है जिसके अर्न्तगत निर्मित माल के क्रय-विक्रय से सकल लाभ अथवा हानि की जानकारी होती है।

इस खाते के नाम पक्ष में प्रारम्भिक रहतिया (यदि हो,) क्रय (क्रय वापसी घटाने के बाद), प्रत्यक्ष एवं निर्माण व्ययों को दिखाया जाता है। इसके जमा पक्ष में ब्रिकी (ब्रिकी वापसी घटाकर) एवं अनितम रहतिया को दिखाया जाता है। जमा पक्ष का योग नाम पक्ष के योग से अधिक होता है तो वह आधिक्य सकल लाभ एवं नाम पक्ष का योग जमा पक्ष के योग से अधिक हो तो वह आधिक्य सकल हानि होगी।

(3) लाभ-हानि खाता (Profit and Loss Account)

‘लाभ’ किसी भी उद्योग का मुख्य उद्देश्य होता है। यदि लाभ शब्द उद्योग से निकाल दिया जाए तो सम्भवतः उद्योग का अस्तित्व ही समाप्त हो जायेगा। दूसरे शब्दों में, बिना लाभ के किसी भी व्यवसाय का संचालन सम्भव नहीं है। व्यवसाय में लाभ का होना तो आवश्यक है किन्तु यह भी जानना आवश्यक है कि क्या व्यवसाय में उचित लाभ हो रहा है? क्या उपार्जित लाभ दूसरे व्यवसाय की तुलना में अच्छा है ? क्या लाभ भविष्य में प्राप्त होता रहेगा ? ये सारे प्रश्न व्यवसाय के रुचि रखने वाले के साथ उत्पन्न होते रहते हैं। वस्तुतः इन प्रश्नों का जवाब लाभ-हानि खाता (P/LA/c ) से मिलता है। व्यापार खाता बनाने से व्यापार सकल लाभ अथवा सकल हानि मात्र की ही जानकारी होती है, शुद्ध लाभ अथवा शुद्ध हानि की नहीं। अतः इसी उद्देश्य की पूर्ति हेतु लाभ-हानि खाता बनाया जाता है।

इस खाते के नाम पक्ष में सभी अप्रत्यक्ष व्ययों; जैसे- संचालन व्यय एवं बिक्री व्यय इत्यादि को दिखाया जाता है। दूसरी ओर, इस खाते में जमा पक्ष में सभी अप्रत्यक्ष आयों को दिखाया जाता है। यदि नाम पक्ष का योग जमा पक्ष के योग के कम होता है तो अन्तर शुद्ध लाभ (Net Profit) होता है, दूसरी ओर, यदि नाम पक्ष के योग से जमा पक्ष का योग कम हो तो अन्तर शुद्ध हानि होगी।

लाभालाभ खाता के विभिन्न नाम

लाभ-हानि खाते को विभिन्न नामों से पुकारा जाता है जो निम्न हैं-

(1) लाभ हानि विवरण (Statement of Profit and Loss),

(2) आय लेखा (Income Acccount),

(3) आय विवरण (Statement of Income),

(4) अर्जन विवरण (Stateemnt of Earning),

(5) क्रियाकरण विवरण (Statement of Operations),

(6) आय एवं आधिक्य विवरण (Statement of Income and Surplus),

(7) आय, लाभ एवं हानि विवरण (Statement of Income, Profit and Loss),

(8) आय एवं व्यय विवरण (Statement of Income and Expenditure)।

लाभालाभ खाते की परिभाषा

लाभालाभ खाते की परिभाषा विभिन्न विद्वानों ने दी है जो इस प्रकार है-

1. राय ए. फाल्के के शब्दों में, “आय विवरण वह विवरण है जो व्यवसाय के लिए निश्चित अवधि के आय एवं व्यय को प्रदर्शित करता है एवं तदुपरान्त लेखा अवधि के लाभ एवं हानि की अन्तिम राशि को प्रदर्शित करता है।”

2. जॉन एन. मायर के शब्दों में, “आय विवरण किसी विशिष्ट अवधि के व्यवासय के क्रियाकरण का संक्षिप्तीकरण करता है।”

स्थिति विवरण एवं लाभालाभ लेखा के बीच सम्बन्ध

स्थिति विवरण एवं लाभालाभ लेखा के बीच घनिष्ठ सम्बन्ध है, इन्हें एक-दूसरे से अलग नहीं किया जा सकता है। इन दोनों में से किसी एक की अनुपस्थिति में एक की पूर्णता सम्भव नहीं है। स्थिति विवरण तब तक पूर्ण नहीं कहा जाता जब तक उसके अन्तर्गत पर्यात हास (Adequate Dapretiation), अशोध्य ऋण *(Bad Debt), संदिग्ध ऋणों (Doubtful Debts), संचय ( Reserve) आदि उचित समावेश नहीं हो। इसके अलावा जब तक व्यवसाय की ख्याति को सही नहीं रखा जाये, तब तक उसकी स्थिति ठीक नहीं मानी जा सकती। ख्याति (Goodwill) के अलावा प्रारम्भिक व्यय (Preliminary Expenses) तथा पूँजीगत हानियाँ एवं काल्पनिक सम्पत्तियाँ (Fictitious Assets) भी स्थिति विवरण में दिखायी जाती है जिन्हें बाद में धीरे-धीरे अपलिखित किया जाता है, ताकि स्थिति विवरण का वास्तविक स्वरूप हमारे समक्ष प्रदर्शित हो सके। हाँ, ये सब कार्य मात्र लाभालाभ लेखा द्वारा ही ‘सम्भव हो सकते हैं। इस प्रकार लाभालाभ लेखा केवल लाभ-हानि के प्रदर्शन के सम्बन्धित नहीं हैं। बल्कि यह स्थिति विवरण की शुद्धता के परीक्षण से भी सम्बन्धित है।

लाभ-हानि नियोजन खाता (Profit and Loss Appropriation Account)

लाभ-हानि नियोजन खाता लाभ-हानि खाते के बाद बनाया जाता है। इस खाते के जमा पक्ष में गत वर्ष के लाभ, चालू वर्ष का लाभ, पूर्व के किये गये संचय जिनकी आवश्यकता अब नहीं है इत्यादि दिखाये जाते हैं। इस खाते के नाम पक्ष में लाभ-हानि खाते की शुद्ध हानि, विभिन्न संचयों से हस्तान्तरण, ऋणपत्र शोधनीय कोष में हस्तान्तरण, लाभांश समानीकरण कोष में हस्तान्तरण, कर्मचारी कल्याण कोष, अन्तरिम लाभांश प्रस्तावित लाभांश एवं अभिलाभांश इत्यादि आते हैं। इस खाते से यह ज्ञात किया जाता है कि व्यवसाय के लाभ का प्रयोग किस प्रकार एवं कहाँ-कहाँ किया गया है।

(4) आर्थिक चिट्ठा या स्थिति विवरण (Balance Sheet)

लाभ हानि खाता व्यवसाय की गयात्मक (Dynamic) प्रक्रिया से सम्बन्धित होती है। इस खाते से यह पता चलता है कि संस्था किस प्रकार चल रही है? दूसरी ओर, स्थिति विवरण से संस्था की वर्तमान आर्थिक अवस्था की जानकारी होती है। आर्थिक चिट्ठे का तात्पर्य ऐसे विवरण- पत्र से है जो एक निश्चित अवधि के लिए व्यासाय की आर्थिक स्थिति की जानकारी के लिए बनाया जाता है। वस्तुतः आर्थिक चिट्ठा कोई खाता नहीं होता है जिसे बायीं आर सभी दायित्वों एवं पूँजी तथा दायीं ओर सभी सम्पत्तियों को दर्शाया जाता है। इसके लिए नाम (Debit) एवं जमा (Credit) शब्द का प्रयोग नहीं किया जाता है क्योंकि इसके बायें पक्ष में सभी जमा शेष (Credit Balance) के मदों को दिखाया जाता है एवं दायें पक्ष में सभी नाम शेष (Debit Balance) के मदों को दिखाया जाता है।

आर्थिक चिट्ठा या स्थिति विवरण की परिभाषा

टावे तथा पौला- “यह किसी तिथि को उत्तमर्ण तथा अधमर्ण आधिक्यों के द्वारा किसी उद्यम की वित्तीय अवस्था को विस्तृत रूप से प्रदर्शित करने वाला प्रविवरण है।”

डॉ. ए.एन.’अग्रवाल- “स्थिति विवरण कोई लेखा नहीं होता वरन् एक निर्धारित तिथि को किसी व्यवसाय की सम्पत्तियों एवं दायित्वों का प्रविवरण होता है। निश्चित तिथि को किसी प्रमण्डल की सम्पत्तियों एवं दायित्वों के सुविचारित विश्लेषण एवं आलोचनात्मक परीक्षण उस तिथि को उसकी वित्तीय अवस्था के सम्बन्ध में अच्छा ज्ञान देते है।”

आर्थिक चिट्ठा या स्थिति विवरण की विशेषताएँ (Characteristics)

उपर्युक्त परिभाषाओं के आधार पर आर्थिक चिट्ठे को निम्नलिखित विशेषताएँ दृष्टिगोचर होती है-

(1) यह एक विवरण (Statement) होता है, लेखा (Account) नहीं।

(2) यह व्यवसाय की स्थिर स्थिति का प्रतीक है।

(3) यह व्यवसाय की स्थिति का चित्रण एक निश्चित तिथि को करता है।

(4) इसमें व्यवसाय की पूँजी, दायित्व व सम्पत्तियों का विवरण रहता है।

स्थिति विवरण के विभिन्न नाम

स्थिति विवरण को अन्य नामों से भी जाना जाता है। जो इस प्रकार है-

1. स्थिति विवरण या सामान्य स्थिति विवरण (Balance Sheet or General Balance Sheet)

2. वित्तीय अवस्था विवरण (Statement of Financial Condition),

3. सम्पत्ति एवं दायित्व विवरण (Statement of Assets and Liabilities),

4. स्रोत एवं दायित्व विवरण (Statement of Source and Liabilities),

5. सम्पत्ति, दायित्व एवं पूँजी विवरण (Statement of Assets, Liabilities and Capital),

6. पूँजी विवरण (Statement of Capital),

7. वित्तीय विवरण (Financial Statement)

कभी-कभी स्थिति विवरण के लिए ‘Statement of Affairs शब्द का प्रयोग किया जाता है किन्तु यह ध्यान रहें इस शब्द का प्रयोग दिवालिये (Insolvent) की वित्तीय अवस्था के सन्दर्भ में प्रयुक्त होता है।

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Anjali Yadav

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