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किशोरावस्था की प्रमुख आवश्यकताएँ एवं महत्वाकांक्षाएँ (Important Needs and Aspirations of Adolescence)
किशोरावस्था में अनुभव की जाने वाली प्रमुख आवश्यकताओं को यदि हम संक्षिप्त रूप में देखें तो उन्हें तीन मुख्य भागों सामाजिक, भौतिक तथा संवेगात्मक आवश्यकताओं में विभक्त किया जा सकता है। किशोरावस्था में जब किशोर में भौतिक तथा शारीरिक परिवर्तन होते हैं तो वह अपने इन परिवर्तनों को दूसरों को दिखाने की इच्छा करता है। परन्तु उसे अपने शारीरिक परिवर्तनों से समझौता करना पड़ता है। अपनी भावनाओं को अपने तक ही सीमित रखना पड़ता है।
इस अवस्था में बालक अधिक से अधिक सामाजिक बनना चाहता है और अपने मित्र-समूह में अपना एक अलग स्थान बनाना चाहता है। यदि किशोर के संवेगात्मक पहलू पर ध्यान आकर्षित किया जाए तो वह अपने मित्र-समूह में उच्च स्थान, सम्मान तथा प्रशंसा प्राप्त करने को उत्सुक रहता है। किशोर बालक अपने माता-पिता तथा गुरूजन से प्यार तथा सम्मान की आशा भी करता है। वह अपनी उम्र के आधार पर बढ़ती हुई कामेच्छाओं की सन्तुष्टि भी किसी न किसी माध्यम से करना चाहता है।
किशोरावस्था में, बालक में भविष्य के लिए सपने देखने तथा वर्तमान को जीने के विषय में जो भी अभिलाषाएँ और महत्वाकांक्षाएँ होती हैं, वह जीवन के किसी अन्य काल में नहीं होती हैं। किशोरों की इन महत्वाकांक्षाओं को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-
1) माता-पिता तथा गुरूजन एवं मित्रमण्डली में अधिक से अधिक ध्यान आकर्षित करने, प्यार पाने तथा सहयोग पाने व देने की तीव्र महत्वाकांक्षा ।
2) अन्य व्यक्तियों के समक्ष विशेषतः विपरीत लिंग के व्यक्ति के सामने अत्यधिक सुन्दर व पुरुषोचित या स्त्रियोचित प्रतिमान दिखाई देने की महत्वाकांक्षा ।
3) अपने पसन्द के शैक्षणिक व व्यावसायिक पाठ्यक्रम में प्रवेश पाने की महत्वाकांक्षा ।
4) सभी का आकर्षण बिन्दु बनने की महत्वाकांक्षा ।
5) अच्छे जीवनसाथी की महत्वाकांक्षा, जिससे वे सुखी वैवाहिक जीवन व्यतीत कर सकें।
6) जीवन के किसी पसंदीदा क्षेत्र में कुछ कर दिखाने की महत्वाकांक्षा ।
7) अपने देश, जाति, समाज तथा धर्म के लिए कुछ कर दिखाने की महत्वाकांक्षा ।
8) देश तथा समाज में व्याप्त भ्रष्टतंत्र को जड़ से समाप्त करने की महत्वाकांक्षा ।
9) जिस व्यक्ति विशेष को अपना आदर्श मान लिया है, उनके पदचिन्हों पर चलने की महत्वाकांक्षा ।
10) इस बात की महत्वाकांक्षा कि एक दिन ऐसा अवश्य आयेगा जब उनके माता-पिता तथा अध्यापक उन्हें समझेंगे और उन्हें उनकी तरह जिन्दगी जीने देंगे।
11) यौन आनंद उठाने से सम्बन्धित महत्वाकांक्षाएँ ।
उपर्युक्त विवरण से यह ज्ञात हो जाता है कि विविध महत्वाकांक्षाओं तथा बुनियादी आवश्यकताओं की पूर्ति तथा सन्तुष्टि एक किशोर के लिए अत्यधिक महत्व रखती है। इस अवस्था में किशोर की आवश्यकता तथा महत्वाकांक्षा की सन्तुष्टि तथा असन्तुष्टि के आधार पर ही उनका आने वाला भविष्य निर्भर करता है।
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