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गुरुकुल प्रणाली की शैक्षिक धारणाएँ | Educational Perceptions of Gurukul System in Hindi

गुरुकुल प्रणाली की शैक्षिक धारणाएँ | Educational Perceptions of Gurukul System in Hindi
गुरुकुल प्रणाली की शैक्षिक धारणाएँ | Educational Perceptions of Gurukul System in Hindi

गुरुकुल प्रणाली की शैक्षिक धारणाएँ (Educational Perceptions of Gurukul System)

गुरुकुल प्रणाली की शैक्षिक धारणाएँ इस प्रकार थी-

1) बालक को 25 वर्ष की आयु तक पूर्ण ब्रह्मचर्य, संयम, आत्मानुशासन तथा विनय का जीवन व्यतीत करने के लिए शान्त एवं आदर्श वातावरण की आवश्यकता।

2) सादा जीवन, उच्च विचार एवं स्वावलम्बन ।

3) सामाजिक, सहकारी एवं प्रजातान्त्रिक विद्यार्थी जीवन।

4) गुरू परिवार के माता-पिता तुल्य श्रद्धा, घनिष्ठ सम्पर्क तथा पारिवारिक कर्तव्यों की शिक्षा।

5) वैदिक आदशों के आधार पर शारीरिक, मानसिक एवं आध्यात्मिक विकास द्वारा सर्वांगीण विकास ।

6) प्रकृति, आत्मा एवं मानव जीवन में सामंजस्य स्थापन।

7) स्वतन्त्रता, आत्माभिव्यक्ति एवं स्व-क्रियाओं पर आधारित शिक्षा।

8) परम् शक्ति को प्राप्त करने की साधना ।

9) सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की खोज।

गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की विशेषताएँ (Characteristics of Gurukul Education System)

गुरुकुल जीवन की प्रमुख विशेषताएँ हैं-

विद्यार्थियों का गुरूओं के सम्पर्क में उनके कुल या परिवार का अंग बनकर रहना, ब्रह्मचर्यपूर्वक सरल एवं तपस्यामय जीवन बिताना, चरित्र-निर्माण एवं शारीरिक विकास बौद्धिक एवं मानसिक विकास करना है तथा वैदिक वाङ्ङ्गमय के अध्ययन पर बल देना, शिक्षा का माध्यम मातृभाषा हिन्दी को बनाना, संस्कृत, दर्शन, वेद आदि प्राचीन विषयों के अध्ययन के साथ आधुनिक पाश्चात्य ज्ञान विज्ञान, अंग्रेजी की शिक्षा तथा राष्ट्रीय भावना का विकास। इसके अतिरिक्त गुरुकुल प्रणाली की प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-

1) प्रो. इन्द्र विद्यावाचस्पति ने गुरुकुल शिक्षा की विशेषता बताते हुए लिखा है कि गुरुकुल शिक्षा प्रणाली की सबसे बड़ी विशेषता जो अन्य प्रणालियों से भिन्न करती है यह है जहाँ अन्य शिक्षा पद्धतियों में अध्ययन पर अधिक बल दिया जाता है वहाँ गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में अध्ययन को केवल साधन मानकर चरित्र-निर्माण को प्रमुखता दी जाती है निःसन्देह यह प्रमुख विशेषता है।

2) छात्र गुरु के कुल का अंग बनकर रहता है। छात्र अपने घर परिवार से हटकर दूसरे परिवार में पहुँचता है।

3) लाला लाजपतराय के शब्दों में, “संक्षेप में गुरुकुल जीवन सुख ऐश्वर्य से युक्त राग तथा बनावट से पृथक है। इनके विरूद्ध वह अत्यधिक सरलता, साधना, तपस्या एवं पवित्रता का जीवन है। यही कारण है कि इसे एक नवीन प्रकार का तपस्वी जीवन माना गया है।”

4) बालक को निःशुल्क शिक्षा दी जाती है।

5) बालक के पिता की सामाजिक आर्थिक स्थिति क्या है? गुरुकुल शिक्षा प्रणाली में इसका कोई प्रभाव नहीं पड़ता है। धनी-निर्धन, ऊँच-नीच का कोई भेदभाव गुरुकुल में नहीं किया जाता है।

6) आश्रम का जीवन विद्यार्थियों को अस्वस्थकारी प्रभावों से बचाता है। व्रताभ्यास द्वारा उनका सतत् प्रशिक्षण भी होता है।

7) छात्रों को तपस्यापूर्ण जीवन का अभ्यास कराया जाता है।

8) छात्रों में समय का सदुपयोग करने की प्रवृत्ति विकसित की जाती है।

9) छात्रों में परीक्षा सम्बन्धी भय नही उत्पन्न होता है।

10) छात्रों को विभिन्न विषयों पर प्राचीन भारतीय तथा आधुनिक पश्चिमी विचारों का तुलनात्मक ज्ञान मिलता है।

11) कक्षा उत्तीर्ण करने के लिए केवल परीक्षा भवन में सम्पन्न हुई परीक्षा में उत्तीर्ण होना ही आवश्यक नहीं है बल्कि दैनिक जीवन के कार्यक्रमों को नियमित रूप से करना भी आवश्यक है।

12) शिक्षा का स्तर अत्यन्त उच्च है।

13) पुस्तकालय के प्रयोग पर जोर दिया जाता है। पुस्तकालय में विभिन्न विषयों की पुस्तकें हैं। जिनका छात्र अध्ययन करते हैं।

14) गाँधी जी ने गुरुकुल प्रणाली की प्रशंसा करते हुए कहा था, “स्वामी दयानन्द मेरे पूज्य एवं वन्द्य उपासक है जिन्होंने भारत को सोते से जगाया तथा स्वतन्त्रता का मंत्र फेंका। इन्होंने गुरुकुल प्रणाली को प्रेरणा देकर पुरातन भारतीय संस्कृति एवं धर्म का पुनरोद्धार किया है।”

गुरुकुल प्रणाली के उद्देश्य (Objectives of Gurukul System)

गुरुकुल प्रणाली के शैक्षिक उद्देश्य को निम्नलिखित प्रकार से व्यक्त किया जा सकता है-

1) छात्र का सर्वागीण विकास करना।

2) छात्रों के चरित्र का विकास करना तथा उनके मन में प्राचीन भारतीय संस्कृति के प्रति आस्था उत्पन्न करना।

3) गुरू-शिष्य सम्बन्ध को दृढ़ एवं घनिष्ट करना।

4) वैदिक धर्म एवं आर्य संस्कृति में आस्था विकसित करना।

5) राष्ट्रीयता की भावना का विकास करना।

6) प्रचलित दोषपूर्ण परीक्षा-पद्धति का विकल्प प्रस्तुत करना।

7) व्यावसायिकता का विकास करना।

8) वैदिक एवं संस्कृत साहित्य का अध्ययन करना।

9) भारतीय दर्शन, विज्ञान एवं इतिहास में शोध करना।

10) प्राचीन आयुर्वेदिक पद्धति पर आधारित चिकित्सा ज्ञान प्रदान करना।

11) भारतीय एवं विदेशी इतिहास तथा संस्कृति का राष्ट्रीयता के दृष्टिकोण से ज्ञान प्रदान करना।

12) प्राचीन संस्कृत साहित्य से सम्बन्धित साहित्य तथा आधुनिक विज्ञान का मातृभाषा में परिवर्तन करना।

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Anjali Yadav

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