School Management & Hygiene

गृह-विज्ञान कक्ष तथा स्कूल समय-सारणी के प्रकार (TYPES OF THE SCHOOL TIME TABLE)

गृह-विज्ञान कक्ष तथा स्कूल समय-सारणी के प्रकार (TYPES OF THE SCHOOL TIME TABLE)
गृह-विज्ञान कक्ष तथा स्कूल समय-सारणी के प्रकार (TYPES OF THE SCHOOL TIME TABLE)

गृह-विज्ञान कक्ष तथा स्कूल समय-सारणी के प्रकार (TYPES OF THE SCHOOL TIME TABLE)

माध्यमिक स्तर पर लड़कियों के लिए गृह विज्ञान अनिवार्य विषय है। यह विषय अति व्यापक तथा व्यावहारिक है। गृह संचालन, पाक-विद्या, कपड़ों की धुलाई, सिलाई व कढ़ाई तथा प्राथमिक चिकित्सा एवं गृह-परिचर्या, आदि सभी इस विषय के अन्तर्गत सिखाये जाते हैं। स्पष्ट है कि एक ही कक्षा में इन सबका शिक्षण नहीं हो सकता, क्योंकि प्रत्येक की साज-सज्जा एवं उपकरण भिन्न होंगे। इन कक्षों में व्यावहारिक व प्रायोगिक कार्यों के लिए मेज व कुर्सियों का प्रबन्ध भी भिन्त होगा। कुछ कमरों में चिलमची (Sink), आदि की भी आवश्यकता होगी। गृह-विज्ञान विभाग में जब तक रसोई-कक्ष, लॉण्डरी (Laundry) कक्ष, सिलाई-कक्ष तथा गृह-परिचर्या व प्राथमिक चिकित्सा, आदि के कक्ष पृथक्-पृथक् न होंगे, तब तक इन विषयों का उचित शिक्षण नहीं हो सकता है।

रसोई-कक्ष में विभिन्न कार्यों के लिए मेजों, आदि के अतिरिक्त सभी आवश्यक सामान व उपकरणों की व्यवस्था के लिए स्थान नियत होना चाहिए। खाना पकाने के बर्तन व रसद, आदि को रखने के लिए भी योजना के अन्तर्गत स्थान देने की आवश्यकता है। इस कक्ष में घुआँ व खाना पकाने की भाप, आदि के निकलने के लिए भी चिमनी व कृत्रिम वायु-प्रसरण का प्रबन्ध हो तो रसोईघर ठण्डा, स्वच्छ व सुविधाजनक रहेगा।

सिलाई कक्ष में प्रकाश की व्यवस्था के साथ सिलाई की मशीनों के लिए उचित स्थान व मेज-कुर्सी हों तो कार्य सफलतापूर्वक हो सकता है। सिले व कढ़े हुए वस्त्रों को रखने व प्रदर्शन के लिए शीशेयुक्त अल्मारियों, आदि का भी आयोजन होने से बहुत सुविधा रहेगी।

इसी प्रकार कपड़ों की धुलाई के कक्ष में कपड़े धोने के लिए सिंक लगाना आवश्यक है। वर्षा ऋतु में कपड़े सुखाने के लिए भी समुचित प्रबन्ध हो तो बहुत सुविधा रहेगी। कपड़े धोने की जितनी सामग्री हैं उसके लिए यथोचित साज-सज्जा, अल्मारी, आदि के रहने से कक्षा में सुव्यवस्था रहती है तथा कार्य सुगमता से होता है।

प्राथमिक चिकित्सा तथा गृह-परिचर्या के लिए भी पृथक् कक्ष होने से सुचारु ढंग से शिक्षा दी जा सकती है। इसमें बीमार के लिए पलंग, आरामकुर्सी, मेज, आदि के अतिरिक्त प्राथमिक चिकित्सा का अन्य सामान, जैसे-बैडपेन (Bedpen), पट्टियाँ, थर्मामीटर, आदि को रखने के लिए भी स्थान का प्रबन्ध रहना चाहिए।

गृह-प्रबन्ध व गृह संचालन की शिक्षा को व्यावहारिक रूप देने के लिए यदि हो सके तो पृथक् कक्ष अवश्य नियत किया जाय। इस कक्ष को गृह के विभिन्न कमरों का रूप देकर अध्यापिका छात्राओं को इस विषय के व्यावहारिक ज्ञान से अवगत करायेगी तथा इसकी शिक्षा को कृत्रिमता से यथार्थता की ओर ले जायेगी।

इन कक्षों के अतिरिक्त एक कक्ष गृह विज्ञान की सैद्धान्तिक शिक्षा के लिए भी होना चाहिए जो कि सामान्य कक्षा-कक्ष की भाँति व्यवस्थित किया जायेगा। इसमें गृह विज्ञान के अन्तर्गत आने वाले सभी विषयों की कक्षाएँ लग सकती हैं।

प्रयोगशालाएँ एवं वर्कशापों की स्थिति (LABORATORIES AND WORKSHOPS)

आज के वैज्ञानिक युग में व्यावहारिक ज्ञान, कौशल एवं दृष्टिकोण को प्राप्त करने पर बल दिया जाता है। विद्यालय के विभिन्न स्तरों के पाठ्यक्रम में विभिन्न वैज्ञानिक विषयों का महत्त्वपूर्ण स्थान है। अत: उनके शिक्षण की व्यावहारिक रूप देने के लिए सुव्यवस्थित एवं सुसज्जित प्रयोगशालाओं को आवश्यकता है। इनके माध्यम से वैज्ञानिक विषयों के शिक्षण को रोचक भी बनाया जाता है और इन विषयों को यथार्थता प्रदान की जाती है। बालक स्वयं क्रिया करके या अन्वेषण करके ज्ञान प्राप्त करने में समर्थ होता है तथा अन्वेषणकर्ता का दृष्टिकोण अपनाता है। विभिन्न वैज्ञानिक विषयों की प्रयोगशालाओं और वर्कशॉपों की आवश्यक सामग्री एवं उनकी व्यवस्था का विस्तृत विवेचन आगे किया जायेगा।

स्कूल समय-सारणी के प्रकार (TYPES OF THE SCHOOL TIME TABLE)

समय सारणी के प्रकार स्कूल में आयोजित क्रियाओं की प्रकृति पर आधारित होते हैं। क्रियाएँ जितनी विविध हो, समय-सारणी भी उतनी विविध प्रकार का होगा। एक ही समय-सारणी में स्कूल की सभी में क्रियाओं को नहीं दिखाया जा सकता। अतः विभिन्न प्रकार की क्रियाओं को दर्शाने के लिए विभिन्न प्रकार के समय-सारणी की आवश्यकता होती है। स्कूल के कुशल संचालन के लिए विभिन्न प्रकार के समय-सारणी बनाना अत्यन्त आवश्यक है।

1. संयुक्त समय-सारणी (Consolidated Time-table) इसे सामान्य समय सारणी भी कहा जाता है। इसमें स्कूल के समूचे कार्यक्रम का पूर्ण चित्र प्रस्तुत किया जाता है। (It is a complete picture of the entire school programme.) इसमें पाठ्य-क्रियाओं तथा पाठ्य-सहायक क्रियाओं दोनों को दिखाया जाता है। इसमें स्पष्ट रूप से दर्शाया जाता है कि प्रत्येक कक्षा में प्रत्येक विषय के कितने पीरियड हैं। विभिन्न कक्षाओं को विभिन्न विषय पढ़ाने वाले अध्यापकों के नाम क्या है, कौन-सी कक्षा किस पीरियड में कौन से कमरे में होगी, पीरियडों की अवधि क्या होगी, अध्यापकों के खाली पीरियड कौन-से होंगे आदि। इसमें पाठ्य-सहायक क्रियाओं, प्रातःकालीन सभा, आधी छुट्टी, खेलों आदि का समय भी दर्शाया जाता है जिससे उसे स्कूल कार्यक्रम के प्रभावशाली निरीक्षण में सहायता मिलती है।

2. कक्षा समय-सारणी (Class Time Table) प्रत्येक कक्षा और सैक्शन का अपना समय-सारणी होना चाहिए। इसमें विभिन्न विषयों और क्रियाओं के लिए निर्धारित समय को दर्शाया जाता है। इसमें प्रत्येक विषय या क्रिया से सम्बन्धित अध्यापकों के नामों का भी उल्लेख होता है। प्रत्येक पीरियड में दैनिक कार्य का स्पष्ट उल्लेख होता है। इसमें दिनों के नाम संयुक्त समय-सारणी के समान चिन्हों में नहीं दिखाये जाते बल्कि उनका स्पष्ट रूप से नाम लिखा जाता है, क्योंकि यह समय-सारणी विद्यार्थियों के मार्गदर्शन के लिए होता है, अत: यह विस्तृत एवं सुबोध होना चाहिए। इसकी एक प्रति कक्षा में लटकी रहनी चाहिए।

3. विशिष्ट विषय समय-सारणी (Special Subject Time-table) प्रत्येक कक्षा और सैक्शन का अपना समय-सारणी होना चाहिए। इसमें विभिन्न विषयों और क्रियाओं के लिए निर्धारित समय दर्शाया जाता है। इसमें प्रत्येक विषय या क्रिया से सम्बन्धित अध्यापकों के नामों का भी उल्लेख होता है। प्रत्येक पीरियड में दैनिक कृषि, शिल्प आदि विषयों के लिए जिनमें प्रयोगात्मक कार्य होता है-विशेष समय-सारणी को आवश्यकता होती है। विशेष समय-सारणी के अभाव में प्रयोगात्मक कार्य की उपेक्षा हो जाती है। इस विषय के अध्यापकों का प्रयोगात्मक कार्य से पहले एक पीरियड खाली होना चाहिए ताकि वे आवश्यक तैयारी कर सके प्रयोगात्मक कार्य का पीरियड या तो आधी छुट्टी से पहले का पीरियड होना चाहिए था पूरी छुट्टी से पहले का ताकि प्रयोगात्मक कार्य लम्बा होने पर कुछ अधिक समय भी लिया जा सके। इसी प्रकार ड्राइंग के लिए भी विशेष समय-सारणी की आवश्यकता होती है।

4. अध्यापकों का समय-सारणी (Teachers’ Time-table) यह समय-सारणी अध्यापकों को सम्मुख रखकर बनाया जाता है। अध्यापकों के नाम वरिष्ठता के क्रम से लिखे जाते हैं और प्रत्येक अध्यापक के नाम के आगे उसके समूचे कार्य के पीरियड लिखे जाते हैं अर्थात् उसे प्रत्येक पीरियड में किस कक्षा को कौन-सा विषय पढ़ाना है और किस क्रिया में व्यस्त रहता है। इसके अतिरिक्त प्रत्येक अध्यापक के खाली पीरियड भी दिखाये जाते हैं। इस समय सारणी की उपस्थिति में छुट्टी पर गये अध्यापकों के कार्य को दूसरों में बाँटना आसान हो जाता है। स्कूल की विभिन्न क्रियाओं के कुशल संचालन के लिए यह समय सारणी अत्यन्त आवश्यक है। इस समय सारणी की तीन प्रतियाँ तैयार की जानी चाहिए (1) एक मुख्याध्यापक के कार्यालय के लिए (2) एक स्कूल कार्यालय के लिए और (3) एक स्टाफ कक्ष के लिए।

5. अध्यापकों के खाली पीरियडों का समय-सारणी (Teachers’ Vacant Periods Time table)-अध्यापकों के खाली पीरियड दर्शाने वाला एक विशिष्ट समय-सारणी भी बनाया जाना चाहिए। इससे मुख्याध्यापक को एक दृष्टि में ज्ञात हो सकेगा कि कौन-से पीरियड में कौन-से अध्यापक खाली हैं। इससे मुख्याध्यापक को छुट्टी पर गये हुए अध्यापकों का काम बाँटने तथा किसी अध्यापक को मिलने के लिए बुलाने का समय होता है। इस समय-सारणी की एक प्रति हमेशा मुख्याध्यापक के कार्यालय में रहनी चाहिए।

6. खेलों का समय-सारणी (Games Time-table) खेलों के समय-सारणी में प्रत्येक समूह या हाउस (House) के लिए खेल का समय और स्थान दिखाया जाता है। समय-सारणी कक्षाओं या सैक्शनों के आधार पर नहीं बनाया जाता बल्कि विद्यार्थियों की आयु तथा उनकी खेल निपुणता के आधार पर बनाया गया है। यह स्कूल के शारीरिक शिक्षा के निर्देशक के परामर्श से बनाया जाता है। इसमें ग्राउण्ड का I, II, III आदि और खेल समूहों का A, B, C आदि चिन्हों के माध्यम से उल्लेख किया जाता है। इस प्रकार खेलों का समय-सारणी स्कूल में विभिन्न खेलों के संगठन में सहायता प्रदान करता है।

7. पाठ्य-सहायक क्रियाओं का समय-सारणी (Co-curricular Activities Time-table) शिक्षा के क्षेत्र में पाठ्य-सहायक क्रियाओं का महत्त्वपूर्ण स्थान है। उनके प्रभावशाली संगठन के लिए विशेष समय-सारणी की आवश्यकता होती है। स्कूल विभिन्न संघों में बाँटा जा सकता है, जैसे-नाटक संघ, साहित्य संघ, विज्ञान संघ, इतिहास संघ आदि। प्रत्येक संघ का कार्यक्रम वर्ष के आरम्भ में ही निर्धारित हो जाना चाहिए और उसके लिए आवश्यक समय-सारणी बनाया जाना चाहिए। इस समय-सारणी में क्रिया का नाम, स्थान, समय तथा अध्यापक इंचार्ज के नाम का उल्लेख होता है। सप्ताह के अन्त में स्कूल सभाओं के कार्यक्रमों, स्काउटों तथा गर्ल गाइडों की क्रियाओं को भी इसमें सम्मिलित किया जा सकता है। वस्तुतः ऐसे समय-सारणी का स्कूलों में अभाव होता है और ये क्रियाएँ अव्यवस्थित रूप से करायी जाती हैं। प्राय: देखा गया है कि जवरी और फरवरी के महीनों में इन क्रियाओं की भरमार होती है। परिणामस्वरूप विद्यार्थियों की पढ़ाई उपेक्षित रह जाती है। इस प्रकार के असन्तुलन को छोड़ना चाहिए। पाठ्य सहायक क्रियाओं का सुनियोजित समय-सारणी सभी क्रियाओं के सन्तुलित गठन को सम्भव बना सकता है और इससे विद्यार्थियों को अपनी रुचि के अनुसार क्रियाएँ चुनने और उनमें प्रभावशाली ढंग से भाग लेने में सहायता मिलती है।

8. गृह-कार्य का समय-सारणी (Home-work Time-table) जिस प्रकार स्कूल का समय सारणी की दूसरी घड़ी है, उसी प्रकार गृह कार्य का समय-सारणी दूसरी कलाई की घड़ी है। गृह कार्य स्कूल कार्यक्रम का महत्त्वपूर्ण अंग है। इससे स्कूल की नियमितता एवं कार्यकुशलता में वृद्धि होती है। इससे ज्ञात होता है कि विद्यार्थियों को किस विषय में कितना गृहकार्य दिया जाना चाहिए, किस कक्षा को गृह कार्य में कितना समय लगाना चाहिए, किस विषय में कितना समय लगाना चाहिए और समूचे समय का विभाजन किस प्रकार करना चाहिए। विभिन्न विषय में गृहकार्य देने के दिन निश्चित किये जाते हैं। इससे विद्यार्थियों को अपना गृहकार्य कुशलतापूर्वक समाप्त करने में सहायता मिलती है और वे गृहकार्य को बोझ भी अनुभव नहीं करते। विद्यार्थियों के लिए घर में अंग्रेजी, हिन्दी और पंजाबी में एक-एक निबन्ध लिखना निः सन्देह कठिन होगा। हमें इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि पढ़ाई के साथ-साथ खेल और विश्राम भी आवश्यक है। केवल काम करते रहने से विद्यार्थियों में नीरसता प्रवेश कर जाती है। गृह कार्य विद्यार्थियों और अध्यापकों की सुविधाओं को सम्मुख रखकर दिया जाना चाहिए। इसकी एक-एक प्रति प्रत्येक कक्षा में होनी चाहिए। मॉनीटर को ध्यान रखना चाहिए कि प्रत्येक सम्बन्धित अध्यापक द्वारा गृहकार्य दिया गया हो। अभिभावकों का सहयोग प्राप्त करने के लिए गृहकार्य के समय-सारणी की एक प्रति उन्हें भी भेजनी चाहिए।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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