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पूँजीगत तथा आयगत प्राप्तियाँ (Capital and Revenue Receipts)
जिस प्रकार पूँजीगत तथा आयगत व्यय में अन्तर किया जाना आवश्यक है, ठीक उसी प्रकार पूँजीगत तथा आयगत में भी अन्तर किया जाना चाहिए। पूँजीगत प्राप्तियों को स्थिति विवरण में तथा आयगत प्राप्तियों को लाभ-हानि खाते में दर्शाया जाता है
पूँजीगत प्राप्तियाँ (Capital Receipts) — पूँजीगत प्राप्तियों से आशय उन प्राप्तियों से है जो साधारणतया व्यापार में पूँजी के रूप में या स्थायी सम्पत्तियों के बदले में प्राप्त होती हैं। स्थायी सम्पत्तियों के विक्रय से.. विनियोग के विक्रय से, कम्पनी के अंश-पत्र तथा ऋण-पत्र जारी करने पर अथवा ऋण लेने पर प्राप्त राशियाँ पूँजीगत प्राप्तियाँ हैं। इसी प्रकार व्यवसाय के स्वामी अथवा साझेदारी द्वारा लायी गयीं पूँजी भी पूँजीगत प्राप्ति है। स्थायी सम्पत्ति बेचने पर व्यापार में हुआ लाभ भी पूँजीगत प्राप्ति है। यद्यपि पुस्तक मूल्य से अधिक प्राप्ति को आय माना जा सकता है। किसी सम्पत्ति को बेचने अथवा उसके रूपान्तरण से प्राप्त राशि, पूर्व स्थापित पूँजी विधियाँ से प्राप्त होने के कारण ये पूँजीगत प्राप्ति है जिसे सम्पत्ति खाते में क्रेडिट किया जाता है। इसी प्रकार अंशों या ऋण-पत्रों के निर्गमन पर प्राप्त प्रीमियम, स्थायी सम्पत्तियों की क्षति अथवा उनके नष्ट होने पर प्राप्त बीमा धन भी पूँजीगत प्राप्तियाँ हैं।
आयगत प्राप्तियाँ (Revenue Receipts) — आयगत प्राप्तियों से आशय उन प्राप्तियों से हैं जो किसी व्यवसाय के सामान्य संचालन के दौरान प्राप्त होती रहती है। ऐसी प्राप्तियाँ साधारणतया व्यवसाय में चल सम्पत्तियों के बदले में या आयगत लाभ से प्राप्त होती हैं।
पूँजीगत प्राप्ति तथा आयगत प्राप्ति में अन्तर (Difference Between Capital Receipt and Revenue Receipt)
पूँजीगत प्राप्ति तथा आयगत प्राप्ति में अन्तर निम्न तालिका से स्पष्ट हो जाता है।
अन्तर का आधार | पूँजीगत प्राप्ति (Capital Receipt) | आयगत प्राप्ति (Revenue Receipt) |
1. विक्रय | स्थायी सम्पत्ति की बिक्री से प्राप्त राशि पूँजीगत प्राप्ति होती है। | माल के विक्रय से प्राप्त राशि आयगत प्राप्ति होती है। |
2. राशि की प्राप्ति | व्यापार की पूँजी के रूप में प्राप्त धनराशि पूँजीगत प्राप्ति होती है। | आय के बदले प्राप्त धनराशि आयगत प्राप्ति होती है। |
3. उधार राशि | व्यक्ति या बैंक से उधार के रूप में प्राप्त राशि पूँजीगत प्राप्ति होती है। | उधार दी गयी राशि पर ब्याज की प्राप्ति आयगत प्राप्ति होती है। |
4. माल की हानि | स्थायी सम्पत्ति के नष्ट होने पर क्षतिपूर्ति के रूप में प्राप्त राशि पूँजीगत प्राप्ति होती है। | माल के नष्ट होने पर क्षतिपूर्ति की राशि आयगत प्राप्ति होती है। |
5. सम्पत्ति का क्रय | उपयोग हेतु क्रय की गयी स्थायी सम्पत्ति की बिक्री से प्राप्त राशि पूँजीगत प्राप्ति होगी। | माल के नष्ट होने पर प्राप्त क्षतिपूर्ति की राशि आयगत प्राप्ति होती है। |
6. अधिकार छोड़ने पर | यदि कुछ अधिकारों को छोड़ने पर धनराशि मिलती है तो वह पूँजीगत प्राप्ति कहलायेगी। | भविष्य में होने वाले लाभों की क्षतिपूर्ति के रूप में एक अनुबन्ध के अनुसार मिली हुई राशि आयगत प्राप्ति मानी जायेगी। |
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