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प्रक्षेपण प्रविधियाँ (Projective Techniques) : अर्थ, विशेषताएँ एंव प्रकार

प्रक्षेपण प्रविधियाँ (Projective Techniques) : अर्थ, विशेषताएँ एंव प्रकार
प्रक्षेपण प्रविधियाँ (Projective Techniques) : अर्थ, विशेषताएँ एंव प्रकार

प्रक्षेपण प्रविधियाँ (Projective Techniques)

प्रक्षेपण शब्द का प्रयोग सर्वप्रथम सिगमण्ड फ्रॉयड ने सुरक्षात्मक प्रक्रिया के रूप में किया। प्रक्षेपण द्वारा व्यक्ति अपने भाव, विचार, आकांक्षाएँ, निराशाएँ, संवेग आदि दूसरों में देखता है तथा वातावरण में उपस्थित किसी वस्तु अथवा व्यक्ति में अपने दोषों को प्रक्षेपित कर देता है। इस प्रकार प्रक्षेपण वह प्रक्रिया है जिसमें व्यक्ति अपने भावों, विचारों, इच्छाओं, संवेगों, स्थायी भावों एवं आन्तरिक प्रतिद्वन्दिता का बाह्यजगत के माध्यम से सुरक्षात्मक रूप प्रस्तुत करना चाहता है। दूसरे शब्दों में, प्रक्षेपण का अर्थ अपने विचारों, भावों एवं कमियों को अन्य व्यक्तियों या पदार्थों के माध्यम से व्यक्त करना है।

प्रक्षेपण के अर्थ को स्पष्ट करते हुए अनेक विचारकों ने अपने विचार को इस प्रकार व्यक्त किए हैं-

हीली, ब्रॉनर एवं बॉर्क्स के अनुसार, “प्रक्षेपण सुखवाद सिद्धान्त के अन्तर्गत एक सुरक्षात्मक प्रक्रिया है जिसके माध्यम से अहम् बाहृय जगत में अचेतन इच्छाओं एवं विचारों को फेंकता है, जिन्हें यदि चेतन में प्रवेश करा दिया जाए तो वे अहं के लिए दुःखदायी हों।”

मैकडोनल्ड लाडेल के अनुसार, “प्रक्षेपण प्रविधि एक ऐसी मनोवैज्ञानिक रचना है जिसमें व्यक्ति दूसरों पर ऐसी भावनाओं या संवेगों को स्थानान्तरित करता है जिनका उसने दमन कर लिया हो।”

वारेन के अनुसार, “प्रक्षेपण प्रविधि बाह्य जगत में दमित मानसिक क्रियाओं का आरोपण करने की प्रवृत्ति है, जिन्हें व्यक्तिगत स्रोत से उत्पन्न नहीं माना जाता एवं परिणामस्वरूप इन प्रक्रियाओं की विषय-वस्तु को बाह्य जगत में अनुभव करते हैं।”

फ्रैंक के अनुसार, “एक प्रक्षेपी प्रविधि में तैयार या चयन की गई उद्दीपक परिस्थिति को प्रस्तुतीकरण सन्निहित रहता है, जिसका अर्थ प्रयोज्य के लिए प्रयोगकर्ता द्वारा निश्चित न होकर, प्रयोज्य जिसे प्रस्तुत की जाती है, के व्यक्तित्व से सम्बन्धित होती है या उस पर प्रयोज्य की व्यक्तिगत विशेष प्रकृति एवं संगठन का आरोपण रहता है।”

फ्रीमैन के अनुसार, “प्रक्षेपण प्रविधि में सामान्य रूप से व्यक्ति के समक्ष जो उद्दीपक प्रस्तुत किया जाता है उसके अनुरूप ऐसा अवसर दिया जाता है कि वह अपने व्यक्तिगत जीवन के छिपे हुए तथ्यों को इन उद्दीपक विधियों के माध्यम से अभिव्यक्त करे।”

अन्ततः कहा जा सकता है कि प्रक्षेपण प्रविधि में सामग्री असंरचित या अर्द्ध-संरचित होती है। इस प्रकार परीक्षण में कुछ चित्र, स्याही धब्बे, अधूरे वाक्य आदि के प्रति प्रयोज्य प्रत्युत्तर देता है। प्रत्युत्तर में प्रयोज्य अपनी भावनाओं, इच्छाओं एवं आवश्यकता आदि को प्रक्षेपित करता है।

प्रक्षेपण प्रविधि की विशेषताएँ (Characteristics of Project Technique)

प्रक्षेपण प्रविधि की कुछ प्रमुख विशेषताएँ निम्नलिखित प्रकार से दी जा रही है-

1) प्रक्षेपण प्रविधि के द्वारा व्यक्ति के चेतन तथा अचेतन स्तर की अभिप्रेरणाओं तथा व्यक्तित्व संरक्षण का मूल्यांकन किया जा सकता है।

2) प्रक्षेपण प्रविधि के द्वारा सामान्य एवं असामान्य दोनों प्रकार के व्यक्तियों के व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जा सकता है।

3) प्रक्षेपण प्रविधि के माध्यम से व्यक्ति के सम्पूर्ण व्यक्तित्व का मूल्यांकन किया जा सकता है।

4) प्रक्षेपण प्रविधि का प्रभाव प्रयोज्य पर व्यक्तिगत रूप से होता है लेकिन परीक्षणकर्ता का प्रभाव प्रयोज्य पर नहीं के बराबर पड़ता है।

5) प्रक्षेपण प्रविधि के द्वारा व्यक्ति के संवेगों, अभिप्रेरणाओं, अनुभवों, विचारों एवं अभिवृत्तियों का अध्ययन विश्वसनीय ढंग से किया जा सकता है।

6) प्रक्षेपण प्रविधि में परीक्षण के लिए प्रयुक्त सामग्री पूर्णतः असंरचित या अर्द्धसंरचित होती है। यह सामग्री व्यक्ति की चेतन एवं अचेतन इच्छाओं को बनाने में पूर्णरूप से सक्षम होती हैं

7) प्रक्षेपण प्रविधि की सामग्री अनेकार्थी होती है, इसलिए प्रयोज्य यह समझ नहीं पाता है कि उसका कौन सा प्रत्युत्तर सही तथा कौन सा प्रत्युत्तर गलत है।

प्रक्षेपण प्रविधि के प्रकार (Types of Project Technique)

कुछ प्रक्षेपी प्रविधियाँ निम्नलिखित हैं-

  1. रोर्शा स्याही धब्बा परीक्षण
  2. प्रासंगिक अन्तर्बोध परीक्षण
  3. बालकों का अंतर्बोध परीक्षण
  4. शब्द साहचर्य परीक्षण
  5. चित्र पूर्ति परीक्षण

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Anjali Yadav

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