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प्रौद्योगिक उन्नति (TECHNOLOGICAL ADVANCEMENT)
जब से प्रौद्योगिकी का उद्भव हुआ है तब से इसके तीव्र परिवर्तन, ने प्रत्येक क्षेत्र में नवीनता और उन्नति ही लाई है। प्रौद्योगिकी आधुनिक समय की आधारभूत आवश्यकता है। जब सभी जानते हैं कि शिक्षा प्रत्येक व्यक्ति की मूल आवश्यकता है। प्रौद्योगिकी के प्रकाश में आने से पहले शिक्षा के प्रत्येक भाग का काम हाथों से किया जाता था किन्तु तकनीकी आने के बाद शिक्षा में तीव्र परिवर्तन हुए तथा तकनीकी उपयोगिता को शिक्षा के प्रत्येक क्षेत्र में मानक के रूप में स्थापित किया गया है। प्रौद्योगिकी का उपयोग घर, विद्यालय, व्यावसायिक संस्थानों, सामुदायिक स्कूल तथा विश्वविद्यालय में किया जाता है। उदाहरण के लिए ऑनलाइन आवेदन फार्म, ऑनलाइन कोर्स आदि प्रौद्योगिकी उन्नति के उदाहरण हैं।
वर्तमान समय में शिक्षा प्रौद्योगिकी निहितार्थों से परिपूर्ण है। तकनीकी परिवर्तन ने छात्रों के अधिगम पथ तथा शैक्षिक संस्थानों जैसे कॉलेज या विश्वविद्यालय में शिक्षण स्तर में नवीनता को जन्म दिया। यदि तकनीकी का उपयोग प्रभावशाली एवं कुशलता से किया जाए तो यह शिक्षा जगत की कुल लागत को पर्याप्त रूप से कम कर सकता है। प्रौद्योगिकी उन्नति ने शिक्षा के आंकलन, आय के अवसरों में विस्तार तथा विश्वविद्यालयों को नवीन स्रोतों से परिपूर्ण किया है।
प्रौद्योगिकी उन्नति की आवश्यकता (Need of Technological Advancement)
शिक्षा के क्षेत्र में प्रौद्योगिकी उन्नति की आवश्यकता के कई कारण हैं जिनका संक्षिप्त विवरण निम्न प्रकार है-
1) प्रौद्योगिकी और शिक्षा (Technology and Education)- छात्रों की अधिगम शैली उनके परिवेश के साथ परिवर्तित हो रही है। पारम्परिक व्याख्यान शैलियों को छात्र के सीखने के विभिन्न शैलियों की आवश्यकता को पूरा करने के लिए उनकी उपयुक्तता की समीक्षा की जानी चाहिए। इसके अतिरिक्त अन्य तकनीक है जिनका उपयोग समस्या आधारित अधिगम तथा साथी अनुदेश में किया जाता है जो शिक्षा सत्र के दौरान शिक्षकों पर अतिरिक्त बोझ प्रदान कर रहे हैं। शिक्षकों के भार को कम करने के लिए प्रौद्योगिकी उन्नति की आवश्यकता है।
2) अधिगम प्रतिमान परिवर्तन (Learning Paradigm Shift)- शैक्षिक दृष्टिकोण से अधिगम विधियाँ तथा प्रथाएँ विकास एवं उन्नति कर रही है। पारम्परिक शैक्षिक दृष्टिकोण मौलिक प्रारम्भ से लेकर उपयोगिता को सम्मिलित करता है जो कि सभी शिक्षण शैलियों को सम्बोधित नहीं कर सकता है। अतः वर्तमान समय के साथ प्रौद्योगिकी की उन्नति को सम्मिलित करना आवश्यक है।
3) समस्या आधारित अधिगम (Problem Based Learning)- इस प्रकार के अधिगम में छात्रों का एक समूह आयोजित किया जाता है जो किसी प्रोजेक्ट या समस्या को सुलझाने का कार्य करते हैं। ऐसा अतिरिक्त अधिगम सामग्री तथा वैयक्तिक ज्ञान के द्वारा प्राप्त किया जा सकता है। प्रोजेक्ट में आवश्यक मार्गदर्शन शिक्षकों द्वारा प्रदान किया जाता है।
4) शिक्षकों एवं छात्रों के मध्य डिजिटल विभाजन (Digital Division Between Educators and Students) – छात्र, जो प्रौद्योगिकी की उन्नत दुनिया में आगे बढ़ रहे हैं तथा शिक्षक जो मौजूदा प्रौद्योगिकियों का उपयोग नहीं कर पा रहे हैं, उनके बीच एक डिजिटल विभाजन है। प्रेन्सकी (Prensky) ने डिजिटल नेटिव (Digital Native) शब्द को परिभाषित करते हुए कहा है कि जो लोग पूरी तरह डिजिटल उपकरणों से घिरे हुए है उनके जीवन में इन्टरनेट, एचटीएमएल (HTML) भाषा की अवधारणा तथा सभी प्रकार की मल्टीमीडिया तकनीकी पूरी तरह स्पष्ट है। जो शिक्षक डिजिटल वातावरण में नहीं बढ़े है तथा अब इसको समझने के लिए कठिन प्रयास कर रहे हैं (Digital Immigrants) उनके लिए शैक्षिक प्रौद्योगिकी में उन्नति की आवश्यकता है।
5) परस्पर अन्तर्क्रिया प्रतिक्रिया प्रणाली (Interactive Response System)- किसी व्याख्यान में शिक्षक द्वारा पूछे गए प्रश्न का उत्तर देने के लिए कक्षा में वोटिंग सिस्टम का उपयोग किया जाता है जो एक छात्र को उत्तर देने का अधिकार देती है किन्तु वर्तमान समय में वायरलेस सिग्नल का उपयोग करके स्वतन्त्र दूरस्थ इकाई को संचालित करते हैं तथा मोबाइल फोन और अतिरिक्त साफ्टवेयर की सहायता से कक्षा प्रतिक्रिया प्रणाली को स्थापित करने की सम्भावना है। अतः प्रौद्योगिकी उन्नति से पारम्परिक शैलियों को बदलने की आवश्यकता है।
6) अधिकृत प्रणाली (Capture System) – यह प्रणाली कक्षा के परिवेश में गतिविधियों को संचित करने का प्रयास करती है जिनका उपयोग बाद में समीक्षा के लिए किया जाता है। ऐसा स्मार्ट बोर्ड / डिस्प्ले प्रणाली के द्वारा किया जा सकता है जो प्रस्तुत विषय-वस्तु को अधिकृत कर सकता है। ऑडियो रिकार्डिंग अधिकृत सूचना को पूरित कर सकता है किन्तु यह तभी सम्भव है जब सामग्री और ऑडियो समीक्षा के समय समन्वय में हो। एक या कई कैमरों से वीडियो रिकार्डिंग समीक्षा के लिए महत्त्वपूर्ण सामग्री प्रदान करने में सहायक हो सकता है। इस क्रिया के लिए भी प्रदर्शित जानकारी तथा ऑडियो के साथ तुल्यकालन (Synchronisation) की आवश्यकता होती है।
7) इन्टरैक्टिव कक्षा तकनीकी (Interactive Classroom Technology)- इस प्रकार की प्रौद्योगिकी छात्रों को अधिगम के लिए एक सुन्दर परिवेश प्रदान करती है। यह उपयोगकर्ताओं को विभिन्न शिक्षण मानदण्डों के समर्थन में प्रौद्योगिकी के उपयोग के लिए क्षमता प्रदान करता है।
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