बीमा दावे से आप क्या समझते हैं? What do you mean by Insurance Claims.
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बीमा दावे (Insurance Claims)
प्रत्येक व्यवसाय में अनेक जोखिमें होती हैं। इसी कारण, ‘जोखिम उठाना’ व्यवसाय का एक प्रमुख तत्व माना जाता है। व्यवसायिक जोखिमों को मुख्य रूप से दो भागों में बाँटा जाता है। बीमा योग्य जोखिमें तथा बीमा के अयोग्य जोखिमें। बीमा योग्य जोखिमों को बीमा पॉलिसी लेकर कुछ सीमा तक सुरक्षित किया जा सकता है तथा बीमा के अयोग्य जोखिमों को स्वयं व्यवसायी को वहन करना पड़ता है।
अग्नि से होने वाली हानि भी व्यवसायिक जोखिमों का एक भाग है। इस जोखिम को के लिए बीमा पॉलिसी ली जा सकती है। इसके अन्तर्गत बीमा कम्पनी व्यवसायी को यह वचन देती हैं कि यदि बीमे की अवधि/प्रायः एक वर्ष के अन्तर्गत आग लगने के कारण व्यवसायी को कोई हानि होती है तो बीमा कम्पनी उस हानि को पूरा करेगी। इसके लिए व्यवसायी द्वारा बीमा कम्पनी को प्रीमियम के पूरा करने रूप में एक निश्चित राशि चुकानी होती है। इस पॉलिसी के दो पक्ष होते हैं। बीमा कराने वाला व्यवसायी जिसे ‘बीमित’ (Insured) कहा जाता है तथा बीमा करने वाली कम्पनी जिसे ‘बीमाकर्त्ता’ (Insurer) कहा जाता है। जिस अनुबन्ध के अधीन यह बीमा किया जाता है उसे ‘बीमा पॉलिसी बॉण्ड (Insurance Policy Bond) कहा जाता है। जिस राशि के लिए बीमा किया जाता है। उसे ‘बीमा पॉलिसी की राशि (Policy Amount) कहा जाता है। इसे निम्न प्रकार परिभाषित किया गया है। “बीमा दो पक्षों-बीमाकर्त्ता तथा बीमा कराने वाले के मध्य एक अनुबन्ध है जिसके अन्तर्गत बीमाकर्त्ता एक निश्चित राशि के बदले दूसरे पक्ष को एक निश्चित अवधि में किसी निश्चित दुर्घटना से होने वाली हानि की क्षतिपूर्ति करने का वचन देता है।”
यदि बीमा पालिसी की अवधि में व्यवसायी के भवन में कोई आग लग जाती है तो वह इस कारण होने वाली क्षति को बीमा कम्पनी से (पॉलिसी की राशि की सीमा तक) पूरी करा सकता है। इसके लिए उसे अपनी हानि की गणना करके बीमा कम्पनी से माँग करनी होती है और इस माँग को ही ‘बीमा दावा’ (Insurance Claim) कहा जाता है। व्यवसाय में आग लगने पर होने वाली हानियाँ निम्न तीन प्रकार की हो सकती हैं-
- व्यापारिक स्कन्ध की हानि (Loss of stock in Trade)
- आनुषंगिक हानि अथवा लाभ की हानि (Consequential Loss or Loss of Profit)
- मूर्तमान स्थाई सम्पत्तियों की हानि (Loss of Tangible Fixed Assets)
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