राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता तथा महत्त्व की विवेचना कीजिए।
भारत में भिन्न-भिन्न जातियों, धर्मो, भाषाओं एवं विचारधाराओं के लोग रहते हैं। यह अत्यन्त आवश्यक है कि विभिन्न विचारधाराओं, भाषाओं तथा धर्मों में जातियों में बँटे हुये लोग राष्ट्रीयता के बारे में विचार करें राष्ट्रीय एकता देश की उन्नति का चिन्ह मानने वाले स्वर्गीय प्रधानमन्त्री ने अपने एक प्रसारण में कहा था, “हमें अपने देश की नवजात स्वतन्त्रता को सबल बनाना और उसको सुरक्षित रखना अपना सर्वप्रथम कर्त्तव्य समझना चाहिये। यदि हम अपने समूह अपने राज्य अपनी भाषा या अपनी जाति के समान किसी अन्य बात को महत्त्व देंगे और अपने देश को भूल जायेंगे तो हमारा विनाश अवश्यम्भावी है। इन सब बातों का हमारे जीवन में उचित स्थान होना चाहिये पर यदि हम इनको अपने देश से अधिक महत्त्व देंगे तो राष्ट्र के रूप में हमारा अन्त आवश्यक है।“
डॉ० कानूनगो के शब्दों में, “राष्ट्रीय एकता हर देश की हर समय आवश्यकता है, किन्तु भारत के लिए इसकी कहीं अधिक आवश्यकता है, परन्तु अनेक समयों पर गत वर्षों में भारतीयों ने देश हित की ओर से मुँह मोड़कर अपने संकीर्ण हितों एवं स्वार्थों के प्रति निष्ठावान होने के अनेक प्रमाण दिए हैं। भूमि तथा जल, बिजली जैसी छोटी-छोटी बातों पर राज्यों के पारस्परिक कलह राज्यों के लिये पूर्ण स्वाधीनता की माँग इत्यादि अनेक बातें उनकी संकीर्णता का प्रमाण हैं।
डॉ० राधाकृष्णन का कथन है, “राष्ट्रीय एकता एक ऐसी समस्या है, जिससे सभ्य राष्ट्र के रूप में हमारे अस्तित्व का घनिष्ठ सम्बन्ध है।”
“National Integration is a problem with which our survival as a civilized nations bound up.” -Dr. Radhakrishnan
डॉ० राधाकृष्णन के इन शब्दों से स्पष्ट है कि यदि हममें राष्ट्र के रूप में जीवित रहने की जरा-सी अभिलाषा है तो हमें राष्ट्रीय एकता की अनिवार्य आवश्यकता स्वीकार करनी है
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता एवं महत्त्व (Need and Importance of National Integration)
राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता तथा महत्त्व निम्न कारणों से है-
1. लोकतन्त्र की रक्षा के लिये ( For Preserving Democracy) – भारत ने लोकतन्त्र को एक शासन प्रणाली के रूप में अपनाया है, जिसका आधारभूत, स्वतन्त्रता समानता, धर्म निरपेक्षता तथा भाईचारे के गुणों का विकास करना है। यह कार्य राष्ट्रीयता के बिना सम्भव नहीं है।
2. राष्ट्रीय चरित्र के निर्माण हेतु (For Building National Character) – भारत में राष्ट्रीय चरित्र का अभाव है। में भ्रष्टाचार, भाई-भतीजावाद हमारे जीवन का एक अंग बन गया है। हमारे कई नागरिक हजारों बलिदानों से प्राप्त हुई स्वतन्त्रता को शत्रुओं के हाथों बेचने में कभी भी नहीं हिचकिचाते तथा देश के विरुद्ध काम कर रहे हैं। इन सब बातों से नागरिकों को बचाने के लिए राष्ट्रीय चरित्र का होना आवश्यक है। राष्ट्रीय चरित्र का निर्माण तभी सम्भव है, जब हममें राष्ट्रीयता की भावना का विकास हो।
3. अनेकता में एकता (Unity of Diversity)- अनेकता में एकता भारत में सदियों से रही है, लेकिन अब विविधता को संकट उत्पन्न हो गया है। अनेकता में एकता के सिद्धान्त को कायम रखने के लिये राष्ट्रीयता अनिवार्य है। विभिन्न जातियाँ, प्रान्त, धर्म आदि होते हुए भी हमें इस बात पर गर्व होना चाहिये कि हम एक ही राष्ट्र के निवासी हैं।
4. विदेशी आक्रमण से सुरक्षा (Protection from Foreign Apgression) – भारत की सीमा से चारों ओर लगते हुए देश भारत की प्रगति से खुश नहीं है तथा समय-समय पर भारत पर आक्रमण करने का बहाना ढूँढ़ते रहते हैं। चीन, पाकिस्तान, बंगला देश, श्रीलंका आदि पड़ोसी राष्ट्र भारत से मैत्री सम्बन्ध स्थापित करना नहीं चाहते। ऐसे समय में राष्ट्रीय एकता को अत्यन्त आवश्यकता है। यदि राष्ट्र के लोग एक-दूसरे से छोटी-छोटी बातों पर झगड़ते रहेंगे तो विदेशी शक्तिय इसका लाभ उठायेंगी और कमजोर भारत को दबाने का प्रयत्न करेंगी।
5. शान्ति स्थापना के लिए (Establishment of Peace) – देश तथा अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर शान्ति स्थापित करने के लिये राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता है। जब राष्ट्रीय एकता सुदृढ़ होगी तभी देश में शक्ति स्थापित हो सकेगी तथा यदि देश में शान्ति होगी तो देश अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर भी शान्ति स्थापित करने के लिए किये गए प्रयासों में अपना योगदान दे सकेगा।
6. आन्तरिक असुरक्षा (Internal Insccurity) – बाहरी संकट के साथ-साथ आन्तरिक संकट भी गम्भीर बनते जा रहे हैं। देश में आतंकवाद फैला हुआ है। कभी धर्म, कभी भूमि इत्यादि के आधार पर विघटनकारी शक्तियाँ देश की अखण्डता को हानि पहुँचाने में लगी हुई हैं। इन सभी को समाप्त करने की आवश्यकता है। यह तभी सम्भव हो सकता है, जब सम्पूर्ण राष्ट्र एक हो। ऐसी दशा में राष्ट्रीय एकता अनिवार्य है। डॉ० श्री माली ने लिखा है, यदि हम कठिनाई से मिलने वाली अपनी स्वतन्त्रता की सुरक्षा एवं समृद्धि चाहते हैं तो हमें राष्ट्रीय एकता की प्रक्रिया को जारी रखना और शक्तिशाली बनाना पड़ेगा।
उपरोक्त तथ्यों से यह स्पष्ट हो जाता है कि भारत देश के लिये राष्ट्रीय एकता अत्यन्त आवश्यक एवं महत्त्वपूर्ण है।
संक्षेप में, राष्ट्रीय एकता की आवश्यकता एवं महत्त्व को निम्न प्रकार समझा जा सकता है-
1. राष्ट्रीयता अथवा राष्ट्रीय एकता की शिक्षा में प्रेम की भावना का विकास होता है। इसी भावना से प्रेरित होकर व्यक्ति राष्ट्र हित और जनहित के लिए अपने स्वार्थों का त्याग कर देता है।
2. देश के विकास और नव-निर्माण का बोध भी राष्ट्रीयता की शिक्षा के कारण होता है।
3. राष्ट्र का अस्तित्व उस समय तक नहीं हो सकता, जब तक वह स्वतन्त्र न हो। स्वतन्त्र राष्ट्र को अपनी प्रभुसत्ता बनाए रखने के लिए यह आवश्यक है कि वह अपने नागरिकों को राष्ट्रीयता की शिक्षा प्रदान करे।
4. राष्ट्रीयता की शिक्षा के कारण संस्कृति अपना विशिष्ट रूप धारण करती है, जिससे ज्ञान-विज्ञान का विकास होता है तथा इसी विकास को ही व्यक्ति अपना विकास मानता है।
5. राष्ट्रीयता की शिक्षा से सदा इस बात का बोध होता है कि हमें स्वतन्त्र रहना है तथा अपनी स्वाधीनता को किसी है प्रकार सुरक्षित रखना है।
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