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विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं? इसके लाभ तथा हानियाँ | What do you mean by Decentralisation? Its merits and demerits

विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं? इसके लाभ तथा हानियाँ | What do you mean by Decentralisation? Its merits and demerits
विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं? इसके लाभ तथा हानियाँ | What do you mean by Decentralisation? Its merits and demerits

विकेन्द्रीकरण किसे कहते हैं? What do you mean by Decentralisation? 

विकेन्द्रीकरण का आशय (Meaning of Decentralisation)

विकेन्द्रीयकरण में किसी भी उच्च प्रबन्धक द्वारा अपने अधीनस्थ कर्मचारियों को अधिक मात्रा में अधिकारों का अन्तरण किया जाता है। इसमें निर्णय लेने के अधिकार दूसरों को सौंप जाते हैं। विकेन्द्रीकरण में केवल थोड़े से अधिकार उच्च प्रबन्धकों के पास सुरक्षित रहते हैं। शेष सभी अधिकार अधीनस्थ अधिकारियों तथा कर्मचारियों को सौंप दिये जाते हैं।

प्रो० एलन के अनुसार, “विकेन्द्रीकरण का तात्पर्य समस्त संगठन में व्यवस्थित ढंग से, निर्णय सम्बन्धी अधिकारों को अधीनस्थ व्यक्तियों को सौंपने से है।”

प्रो० मैसी के अनुसार, “विकेन्द्रीकरण, संगठन कल्पना के रूप में निर्णयन क्रिया को संगठन के निम्न स्तर तक ले जाने के प्रक्रम को कहते हैं।”

विकेन्द्रीकरण के लाभ (Merits of Decentralisation)

विकेन्द्रीकरण के विभिन्न लाभ निम्न हो सकते हैं-

(1) प्रबन्धकीय गुणों का विकास- चूँकि विकेन्द्रीकरण में युवा अधिकारियों को भी निर्णय लेने का मौका मिलता है, अतः उनमें प्रबन्धकीय गुणों का विकास होता है। युवा अधिकारियों का आत्म-विश्वास बढ़ता है, उनमें उत्तरदायित्वों को वहन करने की क्षमता बढ़ती है।

(2) उच्च अधिकारियों के कार्य भार में कमी- विकेन्द्रीकरण के कारण उच्च अधिकारियों के कार्य भार में कमी आ जाती है, सभी निर्णय लेने का भार उन पर नहीं रहता है। वह अपना ध्यान व्यवसाय के विकास की ओर केन्द्रित कर सकते हैं।

(3) ग्राहकों की अच्छी सेवा- आज प्रतिस्पर्द्धा का युग है, जिसमें ग्राहक व्यवसायी से यह उम्मीद करता है कि उन्हें कुछ व्यक्तिगत सेवाएँ प्राप्त हों। अधीनस्थ कर्मचारी ग्राहकों को व्यक्तिगत सेवा तभी दे सकते हैं, जबकि उनके पास कुछ अधिकार हों। यह अधिकार केवल विकेन्द्रीयकरण से ही सम्भव हो सकते हैं।

(4) विविधीकरण में सरलता – प्रतिस्पर्द्धा के इस युग में समय-समय पर व्यावसायिक जगत में अनेक समस्याएँ सामने आती हैं, जिनका समाधान एक ही व्यक्ति नहीं कर सकता, बल्कि विभिन्न कुशल एवं योग्य व्यक्तियों का समूह पारस्परिक सहयोग से कर सकता है। इस समय केन्द्रीयकरण का कोई महत्व नहीं है। विभिन्न व्यक्तियों को विभिन्न कार्यों का अधिकार देकर कार्यों को आसानी से करवाया जा सकता है। विकेन्द्रीयकरण से विविधीकरण में सफलता मिलती है।

(5) कर्मचारी मनोबल में वृद्धि – विकेन्द्रीयकरण में अधीनस्थ कर्मचारी निर्णय लेने के मामले में पूर्ण स्वतन्त्र होते हैं। वे स्वतन्त्रतापूर्वक अपना कार्य कर सकते हैं। इसमें उनकी कार्यक्षमता तथा मनोबल में वृद्धि होती है।

विकेन्द्रीयकरण की हानियाँ (Demerits of decentralisation)

विकेन्द्रीयकरण की कुछ प्रमुख हानियाँ निम्नांकित हैं-

(1) सीमित क्षेत्र – विकेन्द्रीयकरण कुछ विशिष्ट कार्यों एवं सेवाओं के क्षेत्र के लिये उपयुक्त नहीं रहता। दूसरे शब्दों में, यह कहा जा सकता है कि एक सीमित क्षेत्र में ही विकेन्द्रीयकरण लागू किया जा सकता है।

(2) नीतियों में विभिन्नता- विकेन्द्रीयकरण के कारण कभी-कभी उपक्रम की नीतियों में विभिन्नता आ जाती है।

(3) निर्णय लेने में अनावश्यक विलम्ब – विकेन्द्रीयकरण से अनेक बार संकटकालीन परिस्थितियों में निर्णय लेने में अनावश्यक विलम्ब होता है।

(4) लागत में वृद्धि – विकेन्द्रीकरण के कारण विभागों तथा कर्मचारियों की संख्या में वृद्धि होती है जिससे लागत तथा खर्च में वृद्धि हो जाती है।

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Anjali Yadav

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