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विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया अथवा मार्ग | Process of or Way to Decentralization in Hindi

विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया अथवा मार्ग | Process of or Way to Decentralization in Hindi
विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया अथवा मार्ग | Process of or Way to Decentralization in Hindi

विकेन्द्रीकरण की प्रक्रिया अथवा मार्ग (Process of or Way to Decentralization)

यद्यपि विकेन्द्रीकरण एक प्रवृत्ति एवं एक दर्शन है, किन्तु यह एक संगठन संरचना भी है। अतः एक व्यवस्थित प्रक्रिया को अपनाकर विकेन्द्रीकरण का मार्ग प्रशस्त किया जा सकता है। विकेन्द्रीकरण के लिए एक निश्चित अनुक्रम अपनाया जाना चाहिए, जिसका वर्णन निम्न प्रकार हैं-

(1) विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता का समन्वेषण- सर्वप्रथम विभिन्न घटकों पर विचार करते हुए उपक्रम में विकेन्द्रीयकरण की आवश्यकता की जाँच-पड़ताल की जानी चाहिए। विशेषरूप से निम्न तत्व विकेन्द्रीकरण की आवश्यकता के सूचक माने जाते हैं-

(अ) उपक्रम में नियोजन व नियंत्रण का अभाव होना।

(ब) कार्याधिक्य को कम करने के लिए व्यक्तिगत कर्मचारी (Personal Staff) वर्ग में वृद्धि होना। लेकिन प्रबन्धकीय दायित्वों में कोई कमी न आना।

(स) उच्च प्रबन्धकों की निर्णयन के लिए समितियों पर बहुत अधिक निर्भरता बढ जाना।

उपर्युक्त दशाओं में विकेन्द्रीकरण के निर्णय को सही माना जा सकता है।

(2) उच्च प्रबन्ध की भूमिका को परिभाषित करना – विकेन्द्रीकरण के लिए आवश्यक होता है कि उच्च प्रबन्ध की भूमिका को ठीक से समझ लिया जाए। अतः उनके द्वारा किये जाने वाले कार्यों की स्पष्ट व्याख्या कर दी जानी चाहिए। सामान्यतः उच्च प्रबन्धक निम्न कार्यों को करने का उत्तरदायित्व अपने पास सुरक्षित रखते हैं-

(अ) सम्पूर्ण उपक्रम के लक्ष्यों, योजनाओं, व्यूहरचनाओं, दीर्घकालीन कार्यक्रमों, व्यापक नीतियों आदि का निर्धारण।

(ब) उत्पादों, बाजारों तथा नये विनियोग के निर्णय ।

(स) डिवीजनों के लाभों व अन्य लक्ष्यों का निर्धारण।

(द) विभिन्न डिवीजनों में पूँजी कोषों का आवंटन।

(य) प्रमुख प्रबन्धकीय नियुक्तियाँ ।

(र) श्रम-संघों के साथ सौदेबाजी।

(ल) प्रमुख सेविवर्गीय, वित्तीय, लेखांकन एवं विपणन नीतियों का निर्माण ।

(व) जन-सम्पर्क एवं सरकार के साथवार्ता ।

(3) केन्द्रीय नियत्रण एवं मापन की स्थापना- विकेन्द्रीकरण की दशा में भी उपक्रम में केन्द्रीय नियन्त्रण एवं मापन प्रणाली की स्थापना करना आवश्यक होता है ताकि वह कम्पनी के स्नायु केन्द्र (Nerve Centre) के रूप में कार्य कर सके। उच्च प्रबन्ध तथा डिवीजनल प्रबन्धकों को यह ज्ञात होना चाहिए कि उनसे किन परिणामों की आशा की गई है ताकि उनके कार्यों की प्रगति पर सामान्य नियन्त्रण रखा जा सके एवं उनका मूल्यांकन किया जा सके। इस प्रकार की केन्द्रीय व्यवस्था के अभाव में केवल विखण्डन की स्थिति उत्पन्न हो जाती है, विकेन्द्रीकरण ही नहीं।

(4) प्रबन्धकों का विकास करना- विकेन्द्रीकरण में क्रान्तिक (critical) महत्व के मामलों पर निर्णय लेने की आवश्यकता होती है। प्रबन्धकों को स्व-विवेक के द्वारा कई विषयों के सम्बन्ध में योजनायें बनानी होती है। उनका कार्य उच्च प्रबन्धकों द्वारा बनायी गई योजनाओं की क्रियान्वित करना मात्र ही नहीं होता है, उन्हें दूरदर्शी बनकर भविष्य के लिए आयोजन भी करना होता है। अतः प्रबन्धकों में नियोजन, निर्णयन, निर्देशन, नियन्त्रण आदि के सम्बन्ध में उच्च कौशल का विकास किया जाना चाहिए।

(5) सम्प्रेषण एवं समन्वय की व्यवस्था – विकेन्द्रीकरण के फलस्वरूप समन्वय एवं संवहन की समस्या अत्यन्त जटिल हो जाती है। विभिन्न स्वायत्तशासी विकेन्द्रित इकाइयों में समन्वय बनाये रखने के लिए एक उचित प्रणाली का विकास करना होता है। इसके अतिरिक्त, विभिन्न इकाइयों को केन्द्रीय योजनाओं, उद्देश्यों, नीतियों, नियमों व कार्यक्रमों का ज्ञान करवाने के लिए एक उचित संवहन प्रणाली स्थापित करनी होती है।

संवहन एवं समन्वय का कार्य उच्च स्तर पर मुख्य अधिशासी अथवा प्रबन्धकों के समूह अथवा उपाध्यक्षों के माध्यम से किया जा सकता हैं। इसके लिए शीर्ष अथवा मध्य स्तर पर समितियाँ भी गठित की जा सकती है।

(6) आवश्यक संशोधन– बाह्य एवं आन्तरिक संगठन में परिवर्तनों के अनुरूप विकेन्द्रीकरण में आवश्यक संशोधन कर लिये जाने चाहिए। इस प्रकार इसे आधुनिक बनाये रखना भी आवश्यक होता है।

(7) सम्भागीय स्तर पर नियन्त्रण- विकेन्द्रीकरण में संचालकीय नियन्त्रण का अधिकार संभागीय स्तर पर होता है। अतः इस स्तर पर भी एक उचित नियन्त्रण प्रणाली विकसित की जानी चाहिए ताकि कम्पनी के उद्देश्यों को जोखिम में नहीं डाला जा सके।

(8) उचित फैलाव – आवश्यक होने पर परिचालन सुविधाओं तथा संयंत्रों का मुख्य कार्यालय से भौतिक पृथक्करण किया जा सकता है। पृथक्करण उचित होना चाहिए ताकि मुख्य कार्यालय के हस्तक्षेप में कमी की जा सके तथा संवहन की समस्या भी सुगम ही रहे।

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Anjali Yadav

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