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विद्यालय कार्यालय (SCHOOL OFFICE)
विद्यालय कार्यालय वह स्थान है जहाँ विविध अभिलेख, प्रतिवेदन तथा रजिस्टर रहते हैं और यहाँ प्रशासकीय नीति के विभिन्न मुद्दों को विवेचित किया जाता है। इसी स्थान पर बाहर से आने वाले अतिथियों या आगन्तुकों को आगवानी की जाती है। वस्तुतः विद्यालय कार्यालय प्रधानाध्यापक के लिए मूल स्थान या नींव के आधार, विद्यालय स्टॉफ के लिए व्यावसायिक केन्द्र तथा सम्पूर्ण विद्यालय के लिए एक सेवा केन्द्र के रूप में कार्य करता है। इसी के कुशल संगठन एवं प्रबन्ध पर सम्पूर्ण विद्यालय का कुशल प्रशासन निर्भर करता है।
विद्यालय क्लर्क- प्रधानाध्यापक की सहायता के लिए विद्यालय कार्यालय में आवश्यकतानुसार क्लर्क होते हैं। इनके अभाव में प्रधानाध्यापक कार्यालय के बहुमुखी कार्यों का संचालन नहीं कर सकता है।
विद्यालय कार्यालय के क्लर्क के प्रमुख कार्य इस प्रकार हैं-
(1) ऑफिस कार्य,
(2) पत्र व्यवहार,
(3) अभिलेखों का रख-रखाव,
(4) टाइपिंग तथा डुप्लीकेटिंग,
(5) बैंकिंग तथा लेखा-जोखा,
(6) स्टोर्स की व्यवस्था एवं रख-रखाव,
(7) विद्यालय भोजन,
(8) प्राथमिक चिकित्सा, आदि।
फाइलिंग पद्धति- विद्यालय कार्यालयों में प्रमुख रूप से दो प्रकार की फाइलिंग पद्धतियों का प्रयोग होता है, यथा-
(अ) फ्लैट फाइलिंग पद्धति,
(अ) शीर्षात्मक फाइलिंग पद्धति।
(अ) फ्लैट फाइलिंग पद्धति- इस पद्धति में फाइलों को एक लकड़ी के बॉक्स में विभिन्न दराजों के अन्तर्गत रखा जाता है। इसमें एक दराज में दो या तीन वर्णों की फाइलों को सुविधापूर्वक रखा जा सकता है। बॉक्स की एक दिशा पर फाइलों के नामों को चिपकाया जा सकता है।
(ब) शीर्षात्मक फाइलिंग पद्धति (Vertical File System) प्राय: विद्यालय कार्यालयों में इस पद्धति को अपनाया जाता है। इस पद्धति में विषय विशेष से सम्बन्धित समस्त फाइलों को एक साथ रखा जाता है। इन फाइलों को वर्णानुसार व्यवस्थित किया जाता है।
विद्यालय-अभिलेख (SCHOOL RECORDS)
विद्यालय समाज द्वारा स्थापित एक स्थायी संस्था है। इसलिए उसकी उत्पत्ति विकास, दशा, परिस्थितियाँ, उद्देश्यों, महत्त्वाकांक्षाओं एवं उपलब्धियों आदि के विषय में जानने के लिए नियमित लेखों का होना परमावश्यक है। इसके अतिरिक्त विद्यालय अपने कुशल संचालन एवं कार्य के लिए विभिन्न निकायों को उत्तर देने के लिए उत्तरदायी है उदाहरणार्थ-वह अभिभावकों को उनके बालकों के उपयुक्त प्रशिक्षण एवं निर्देश तथा सर्वांगीण प्रगति के विषय में बताने के लिए उत्तरदायी है। वह शिक्षा विभाग, समाज तथा प्रबन्ध समिति के प्रति भी उत्तरदायी है। इन दायित्वों का निर्वाह करने के लिए उसे बहुत से अभिलेखों एवं रजिस्टरों की व्यवस्था करना आवश्यक है। प्रधानाध्यापक को अपने विभिन्न दायित्वों का निर्वाह करने में इन विभिन्न अभिलेखों एवं रजिस्टरों द्वारा सहायता प्राप्त होती है। वह इनकी सहायता से विद्यालय के विषय में शिक्षा अधिकारियों, अभिभावकों, समाज के सदस्यों, आदि को उपयुक्त सूचनाएँ देने में समर्थ होता है।
विद्यालय-अभिलेखों तथा रजिस्टरों का निर्माण एवं रखने का ढंग- इस सम्बन्ध में निम्नलिखित बातों पर ध्यान देना चाहिए-
(1) विद्यालय में जितने भी अभिलेख एवं रजिस्टर हों, उन सबकी एक सूची तैयार करनी चाहिए। उनके नामों के समक्ष उनका नम्बर तथा उसके विवरण का संक्षिप्त लेख होना चाहिए। इनके साथ ही उस शिक्षक या क्लर्क का नाम भी होना चाहिए जिनके द्वारा उनको स्थापित करना है।
(2) यदि इनको वास्तविक महत्त्व का बनाना है तो पूर्ण एवं शुद्ध होने चाहिए, परन्तु उनकी शुद्धता इनकी तत्परता के साथ पूर्ति करने तथा नियमित रूप से निरीक्षण करने पर निर्भर है। प्रधानाध्यापक एवं अन्य अधिकारियों द्वारा समय-समय पर उनका नियमित रूप से निरीक्षण किया जाना चाहिए।
(3) इन अभिलेखों एवं रजिस्टरों को विधिपूर्वक एवं स्वच्छता से तैयार किया जाना चाहिए। इनकी पूर्ति करने में यदि कोई अशुद्धि हो जाये तो उसको काटकर निर्माणकर्ता को अपने हस्ताक्षर कर देने चाहिए। उसे इनके किसी भी पृष्ठ को फाड़ना नहीं चाहिए।
(4) इन अभिलेखों एवं रजिस्टरों को विद्यालय में इस प्रकार रखा जाना चाहिए जिससे आवश्यकता पड़ने पर उनका शीघ्रता एवं सरलता से उपयोग किया जा सके। विभिन्न फाइलों को सुरक्षित एवं ढंग से रखने के लिए आधुनिक फाइल केबिनेट का प्रयोग किया जा सकता है। इसमें फाइलों को नामांकन के लेबिल लगाकर रखना चाहिए, जिससे आवश्यकता पड़ने पर उनको शीघ्रता से निकालकर आवश्यक तथ्यों की प्राप्ति की जा सके। पुराने तथा भरे हुए रजिस्टरों को भी सुरक्षित एवं विधिवत् ढंग से अलग रखा जाना चाहिए।
(5) प्रतिवर्ष नये रजिस्टर एवं अभिलेख न रखे जायें, वरन् पुराने रजिस्टरों में जो खाली पृष्ठ रहे, उनको पहले प्रयोग में लाया जाये, उनके पूरा हो जाने पर नया रजिस्टर बनाया जाये।
विद्यालय अभिलेखों एवं रजिस्टरों के उद्देश्य- इनके द्वारा निम्नलिखित उद्देश्यों की पूर्ति होती है—
(1) शिक्षक को बालकों के विषय में आवश्यक सूचनाएँ प्रदान करके कक्षा शिक्षण में सुधार करना।
(2) निर्देशन में सहायता प्रदान करना; उदाहरणार्थ- बालकों के वर्गीकरण, उन्नति एवं व्यवस्थापन में सहायता देना।
(3) विभिन्न स्तरों के शिक्षा अधिकारियों को विद्यालय सम्बन्धी सूचनाएँ प्रदान करने के लिए आधार तैयार करना।
(4) शैक्षिक कार्यक्रम के मूल्यांकन में सहायता देना।
(5) अनुसन्धान कार्य के लिए सामग्री प्रदान करना।
विद्यालय-अभिलेखों एवं रजिस्टरों के भेद या प्रकार (TYPES OF SCHOOL RECORDS AND REGISTERS)
विद्यालय अभिलेखों तथा रजिस्टरों को निम्नलिखित मुख्य श्रेणियों में विभाजित किया जा सकता है-
(1) सामान्य, (2) वित्तीय (3) शैक्षिक, (4) साज-सज्जा सम्बन्धी (5) पत्र-व्यवहार सम्बन्धी ।
(1) सामान्य- इस वर्ग के अन्तर्गत निम्नलिखित अभिलेख एवं रजिस्टर आते हैं—(1) विद्यालय कलैण्डर, (ii) लॉग बुक (Log Book), (iii) दर्शकों के विवरण की पुस्तिका (Visitor’s Book), (iv) सर्विस बुक (Service Book), (v) भवन सम्बन्धी ऋणों का रजिस्टर (Register of Loans of Building), (vi) शिक्षा अधिकारियों के आदेशों से सम्बन्धित रजिस्टर (Order and Circulars of the Educational Authority), (vii) अवकाश रजिस्टर (Leave Register), (viii) पाठ्यक्रम सहगामी क्रियाओं का रजिस्टर।
(2) वित्तीय- इस श्रेणी के अन्तर्गत अग्रलिखित लेख एवं रजिस्टर आते हैं- (1) कण्टिनजेण्ट ऑर्डर बुक (Contingent Order Book), (ii) कण्टिनजेन्सी रजिस्टर (Contingency Register), (iii) फीस रजिस्टर (Register of Fee Collections), (iv) बिल रजिस्टर (Bill Register), (v) दान रजिस्टर (Register of Donations), (vi) कैश बुक (Cash Book), (vii) छात्रवृत्ति रजिस्टर (viii) वेतन सम्बन्धी रजिस्टर, (ix) जनरल लेजर या वर्गीकृत माहवारी योगों का सारांश (General Ledger of Classified Abstract of the Monthly Total). (x) प्रॉवीडेण्ट फण्ड रजिस्टर (Provident Fund Register), आदि।
(3) शैक्षिक- इस वर्ग के अन्तर्गत निम्नलिखित रजिस्टरों को रखा जाता है- (i) छात्रों की उपस्थिति का रजिस्टर, (ii) शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर, (iii) समय तालिका सम्बन्धी फाइल (कक्षा समय तालिका, शिक्षकों की समय तालिका, सामान्य तालिका), (iv) छात्रों के प्रगति-अभिलेख, (v) प्रधानाचार्य के निरीक्षण का रजिस्टर, (vi) दण्ड सम्बन्धी रजिस्टर, (vii) ट्यूशन रजिस्टर, (viii) प्रवेश रजिस्टर, (ix) स्थानान्तरण सर्टीफिकेट पुस्तिका (Transfer Certifiate Book), (x) आन्तरिक परीक्षा सम्बन्धी फाइल तथा अंक रजिस्टर (Marks Register). (xi) शिक्षक डायरी ।
(4) साज-सज्जा सम्बन्धी- इस श्रेणी के अन्तर्गत निम्नलिखित रजिस्टरों एवं लेखों को रखा जाता है-
(i) विद्यालय सम्पत्ति रजिस्टर, (ii) छात्रावास-सम्पत्ति रजिस्टर, (iii) खेलकूद सम्बन्धी सम्पत्ति का रजिस्टर, (iv) पुस्तकालय सम्बन्धी सम्पत्ति का रजिस्टर, (v) बिना मूल्य दिये प्राप्त की जाने वाली वस्तुओं का रजिस्टर, (vi) विभिन्न विभागों (जीव विज्ञान, भौतिकशास्त्र कृषि, आदि) से सम्बन्धित सम्पत्ति का रजिस्टर।
(5) पत्र व्यवहार सम्बन्धी लेखा- इस वर्ग के अन्तर्गत निम्नलिखित रजिस्टरों व फाइलों को रखा जाता है-
(i) पत्र प्राप्ति एवं पत्र भेजने का रजिस्टर (‘From’ and ‘To Register), (ii) चपरासी पुस्तिका, (iii) शिक्षा परिषद्, आदि से पत्र व्यवहार सम्बन्धी फाइलें, आदि।
नीचे हम उपर्युक्त रजिस्टरों में से प्रमुख का विवेचन संक्षेप में प्रस्तुत कर रहे हैं, यथा-
(1) विद्यालय कलैण्डर- यह विद्यालय सत्र के प्रारम्भ से पूर्व तैयार किया जाता है। इसमें सामान्य तथा स्थानीय छुट्टियों मासिक, सत्रीय, अर्द्धवार्षिक एवं वार्षिक रिपोर्ट प्रस्तुत करने की तिथियाँ, बाह्य एवं आन्तरिक परीक्षाओं की तिथियाँ, बाह्य परीक्षाओं के लिए प्रार्थना पत्र भेजने की तिथि, विद्यालय समितियों, शिक्षक अभिभावक समुदाय तथा अन्य समुदायों के सम्मेलनों की तिथियाँ विद्यालय टूर्नामेण्ट एवं शिक्षण भ्रमणों से सम्बन्धित तिथियाँ, सामाजिक कार्यक्रमों की तिथियों का विवरण दिया जाता है।
(2) लॉग बुक- यह विभिन्न घटनाओं का लेखा है और इसके द्वारा विद्यालय-इतिहास के लिए सामग्री प्रदान की जाती है। इसमें विशेष घटनाओं, नवीन पाठ्य पुस्तकों, यन्त्रों, कोर्स, आदि की प्रस्तावना, निरीक्षण अधिकारियों तथा अन्य व्यक्तियों द्वारा विद्यालय निरीक्षण, विद्यालय कार्य के घण्टों, विद्यालयों को प्रभावित करने वाली विशेष परिस्थितियों का विवरण दिया जाता है। वस्तुत: यह विद्यालय डायरी है। इसमें केवल तथ्य का विवरण होता है, न कि कार्य के सम्बन्ध में सम्मतियों की अभिव्यक्ति।
(3) प्रवेश रजिस्टर- यह विद्यालय लेखों में एक महत्त्वपूर्ण अभिलेख है। इसमें जो प्रविष्टियों की जाती हैं, उनके लिए प्रधानाध्यापक व्यक्तिगत रूप से उत्तरदायी है। इसमें विद्यालय के प्रत्येक बालक का पूरा विवरण उस दिन लेखबद्ध कर दिया जाता है, जिस दिन वह विद्यालय में प्रवेश पाता है। शिक्षा विभागीय नियमों के अनुसार प्रवेश रजिस्टर स्थायी रूप से स्थापित किया जाता है।
(4) छात्र उपस्थिति रजिस्टर- प्रत्येक कक्षा के लिए एक उपस्थिति रजिस्टर होता है, जिसमें विद्यालय प्रारम्भ होते समय तथा अवकाश के पश्चात् छात्रों की दैनिक उपस्थिति अंकित की जाती है। प्रतिदिन की उपस्थिति की संख्या अन्त में लिख देनी चाहिए।
(5) शिक्षक उपस्थिति रजिस्टर- यह भी विद्यालय का एक महत्त्वपूर्ण अभिलेख है। यह रजिस्टर प्रधानाचार्य के कक्ष में रखा जाना चाहिए। शिक्षक विद्यालय में आते ही इसमें अपने हस्ताक्षर करें तथा पहुँचने के समय को भी लिखें। प्रधानाध्यापक को इस रजिस्टर का प्रतिदिन निरीक्षण करना चाहिए और यह देखना चाहिए कि कौन शिक्षक कब आता है और यदि शिक्षक नहीं आया है तो उसके विषय में मालूम करें कि उसकी छुट्टी हेतु प्रार्थना पत्र आया है या नहीं। वह उसके नाम के आगे जिस प्रकार की छुट्टी दी जा रही हैं, वैसी छुट्टी के संकेत अंकित कर दे।
(6) कैश बुक- रोकड़ बही विद्यालय का बहुत ही महत्त्वपूर्ण अभिलेख है। इसमें विद्यालय के प्रतिदिन के समस्त वित्तीय लेन-देन की प्रविष्टि की जाती है। इसमें बालकों से प्राप्त शुल्क, सरकार या अन्य स्रोतों से प्राप्त अनुदानों, आदि का विवरण होता है।
(7) सर्विस बुक- यह प्रत्येक अधिकारी, शिक्षक या निम्न कर्मचारी की सेवा का अभिलेख है। इसकी प्रत्येक प्रविष्टि को प्रधानाध्यापक द्वारा प्रमाणित किया जाना चाहिए। इनको बड़ी सतर्कता एवं शुद्धता के साथ स्थापित किया जाये। प्रधानाचार्य इनके लिए उत्तरदायी है। उसे चाहिए कि उन्हें सुरक्षित रखे तथा प्रति वर्ष उनकी प्रविष्टियाँ शुद्धता के साथ भरे। इनके भरने में उसे सदैव निष्पक्षता से काम लेना चाहिए। सर्विस बुक के स्थापन में निम्नलिखित बातों का ध्यान रखा जाता है-
(1) इनकी प्रविष्टियों का अन्य दूसरे अभिलेखों की प्रविष्टियों से मेल खाना चाहिए।
(2) इसमें नियुक्ति की तिथि, वेतन वृद्धि, स्थायीकरण, आचरण, कार्य की गुणात्मकता, आदि को लेखबद्ध किया जाये।
(3) इसमें दण्ड, उन्नति एवं अवनति, आदि सभी विषयों का पूरा विवरण दिया जाना चाहिए।
(4) इसमें स्थानान्तरण का भी विवरण हो।
(8) सम्पत्ति रजिस्टर- यह अभिलेख बड़ा ही महत्त्वपूर्ण है। यह विद्यालय में समस्त चल सम्पत्ति का अभिलेख है। प्रधानाचार्य विद्यालय की समस्त साज-सज्जा का संरक्षक है। अतः यह उसका परम कर्तव्य है कि वह विद्यालय में एक स्टॉक रजिस्टर की स्थापना कराये जिसमें फर्नीचर, शिक्षण यन्त्र तथा अन्य सामग्री को लेखबद्ध किया जाये। इसके अतिरिक्त जब कोई सामग्री विद्यालय के लिए खरीदी जाये तो इसका उल्लेख कराये। पुस्तकालय को सम्पत्ति का भी एक पृथक् रजिस्टर स्थापित होना चाहिए।
अन्त में, यह कहा जा सकता है कि यद्यपि समस्त अभिलेखों के उचित स्थापन का सम्पूर्ण दायित्व, अन्तत: प्रधानाचार्य पर ही है, परन्तु वह इस दायित्व के निर्वाह में अपने सहयोगियों तथा कार्यालय से सहायता ले सकता है। छात्र उपस्थिति रजिस्टर, फीस रजिस्टर, पाठ्यक्रम-सहगामी क्रियाओं सम्बन्धी रजिस्टर, प्रगति अभिलेख, आदि को शिक्षक भली प्रकार स्थापित कर सकते हैं।
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