विभागीय खाते से आप क्या समझते हैं? What do you understand by Departmental Accounts?
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विभागीय खातों का अर्थ (Meaning of Departmental Accounts)
जब कोई व्यापारी अपना व्यापार विभागीय भण्डार प्रणाली के अनुसार करता है तब वह अपने प्रत्येक विभाग की वास्तविक स्थिति जानने का इच्छुक होता है। ऐसा तभी सम्भव है जब वह प्रत्येक विभाग का हिसाब-किताब अलग-अलग व्यवस्थित करे। हिसाब-किताब रखने की इसी पद्धति को विभागीय खाता प्रणाली (Departmental Accounting System) कहा जाता है। विभागीय खाता प्रणाली में प्रत्येक विभाग की अलग-अलग क्रय बही, विक्रय बही तथा स्टॉक रजिस्टर आदि तैयार किये जाते हैं। इसमें प्रत्येक विभाग का लाभ-हानि अलग-अलग ज्ञात करते हुए निम्न घटकों का विश्लेषण किया जाता है-
विभागीय कार्यकुशलता का विश्लेषण करना।
विभागों के परिणामों की तुलना करना।
विभागीय बिक्री एवं परिचालन व्ययों की तुलना करना ।
कम लाभ अथवा हानि देने वाले विभागों के सुधार के लिए उपाय करना।
विभागीय कर्मचारियों की कार्यकुशलता में वृद्धि करना ।
विभागीय खातों के लाभ (Advantages of Departmental Accounts)
(i) विभागीय परिणामों की तुलना (Comparison of Departmental Results) – विभागीय खाते, विभागीय परिणामों की तुलना करने के लिए बहुत सहायक सिद्ध होते हैं। इसकी सहायता से विभिन्न विभागों के परिणामों का तुलनात्मक अध्ययन करके विभागों के लाभों में वृद्धि की जा सकती है।
(ii) विभागों का पृथक लाभ-हानि ज्ञात करना (Calculating Separate Profit & Loss of each Department)- विभागीय खातों के अन्तर्गत प्रत्येक विभाग के खाते पृथक-पृथक तैयार किये जाते हैं। जिसकी सहायता से व्यापारी प्रत्येक विभाग के लाभ-हानि की गणना कर सकता है। इससे प्रत्येक विभाग की वास्तविक स्थिति ज्ञात की जा सकती है।
(iii) उचित निर्णय लेने में सहायक (Helpling in taking proper decision)- विभागीय खाते प्रबन्धकों को उचित निर्णय तथा व्यापार की नितियों के निर्धारण में सहायक सिद्ध होते हैं। इनकी सहायता से व्यापारी प्रत्येक विभाग की वास्तविक स्थिति को ध्यान में रखते हुए उनके सुधार के लिए उचित कदम उठा सकता है।
(iv) व्यक्तिगत कार्यक्षमता का ज्ञान (Knowledge of Personal Efficiency) – विभागीय खातों की सहायता से व्यवसाय का स्वामी प्रत्येक विभाग के प्रबन्धक तथा कर्मचारियों की कार्यक्षमता तथा कुशलता का आकलन करके तथा उन्हें क्षमतानुसार कार्य प्रदान कर सकता है। वह कुशल लगनशील और परिश्रमी कर्मचारियों के प्रोत्साहन के लिए विभिन्न प्रकार की योजनाओं को लागू कर सकता है।
(v) लाभदायक विभागों का विस्तार तथा हानिदायक विभागों का संकुचन (Expansion of Profitable departments and contraction of Inefficient Departments)- प्रत्येक विभाग के लिए पृथक-पृथक खाते तैयार करने के बाद उनका विश्लेषण करके व्यापारी यह जानकारी प्राप्त कर सकता है कि कौन सा विभाग लाभप्रद है तथा कौन सा विभाग हानिप्रद है। वह लाभदायक विभागों की कार्यक्षमता बढ़ाकर उनका विस्तार कर सकता है तथा जो विभाग हानिप्रद हैं, उनको बंद करके अथवा उनका संकुचन करके व्यवसाय में सुधार कर सकता है। इससे व्यवसाय के कुल लाभ में वृद्धि होती है तथा साथ ही व्यापार की कार्यक्षमता में भी वृद्धि होती है।
(vi) गत वर्ष के परिणामों से तुलना ( Comparison from last years results) – विभागीय खातों से व्यापारी प्रत्येक विभाग के परिणामों की गत वर्षों के परिणामों से तुलना कर सकता है। इसकी सहायता से वह यह जान सकता है कि किस विभाग के लाभ में वृद्धि हुई है या किस विभाग के लाभ में कमी हुई है। इन जानकारियों की सहायता से वह गत वर्षो के लाभ की इस वर्ष के लाभों से तुलना करके उचित निर्णय ले सकता है जो व्यापार की कार्यक्षमता में वृद्धि करने में सहायक होते हैं।
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