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विभागीयकरण के सिद्धान्त | Principles of Departmentation in Hindi

विभागीयकरण के सिद्धान्त | Principles of Departmentation in Hindi
विभागीयकरण के सिद्धान्त | Principles of Departmentation in Hindi

विभागीयकरण के सिद्धान्त (Principles of Departmentation)

प्रत्येक कार्य के सफल संचालन के लिये कुछ सिद्धान्तों का होना आवश्यक है। इसी प्रकार विभागीयकरण को अपनाते समय निम्नलिखित सिद्धान्तों को ध्यान रखना चाहिए—

(1) विशिष्टीकरण का सिद्धान्त- विभागीयकरण का उद्देश्य प्रत्येक कार्य उसके विशेषज्ञ द्वारा ही सम्पन्न होता है। इसलिये यह आवश्यक है कि विशिष्टीकरण के लाभों को ध्यान में रखकर ही विभागीयकरण करना चाहिये ।

(2) समन्वय का सिद्धान्त- विभागीयकरण करते समय यह भी ध्यान रखना चाहिये कि विविध क्रियाओं और विभागों में समन्वय बना रहे। इसके अन्तर सम्बन्धित गतिविधियों को केवल एक ही अधिकारी के अधीन रखना चाहिये। इसी प्रकार जो गतिविधियाँ विशेषीकृत सामान्य उद्देश्य की हों, उन्हें एक ही इकाई के अन्तर्गत सम्बन्ध स्थापना हेतु रखना चाहिये।

(3) नियन्त्रण का सिद्धान्त- प्रत्येक विभाग और उपविभागों को इस प्रकार विभक्त करना चाहिये कि उस पर पर्याप्त नियन्त्रण बना रहे तथा प्रत्येक क्रियाओं का अन्तिम लक्ष्य व्यवसाय के प्रति समन्वित व एकीकृत होना चाहिये।

(4) अन्य घटक – विभागीयकरण करते समय स्थानीय परिस्थितियों को सदैव ध्यान में रखकर उन्हें प्रधानता देनी चाहिये। दूसरे तकनीकी पहलू के साथ-साथ मानवीय या सामाजिक पहलू पर भी ध्यान देना चाहिये।

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Anjali Yadav

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