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वैयक्तिक भिन्नता की प्रकृति एवं विशेषताएँ (Nature and Characteristics of Individual Differences)
विभिन्न मनोवैज्ञानिकों ने वैयक्तिक भिन्नता का अत्यन्त सूक्ष्म अध्ययन किया है तथा वैयक्तिक भिन्नता की प्रकृति अथवा विशेषताओं के बारे में निम्नलिखित तथ्य दृष्टिगोचर किए हैं-
1) अन्तः वैयक्तिक भिन्नता (Intra-Individual Difference) – अन्तः वैयक्तिक भिन्नता का तात्पर्य एक ही व्यक्ति का अपनी दो योग्यताओं या शीलगुणों में भिन्न होना समझा जाता है। जैसे- किसी बालक में मूर्त बुद्धि (Concrete Intelligence) और सामाजिक बुद्धि (Social Intelligence) की तुलना में अमूर्त बुद्धि (Abstract Intelligence) की मात्रा अधिक हो सकती है।
2) शीलगुणों का परस्पर सम्बन्ध (Inter-Relationship of Traits) – वैयक्तिक भिन्नता की एक मुख्य विशेषता यह भी होती है कि व्यक्ति अपने विभिन्न शीलगुणों से परस्पर सम्बन्धित होता है। जैसे- यदि किसी बालक की बुद्धि तीव्र है तो उसकी शैक्षिक उपलब्धि भी अधिक होती है जबकि यदि किसी बालक की बुद्धि मन्द होती है तो उसकी शैक्षिक उपलब्धि भी कम होती है। ठीक इसी प्रकार बुद्धि, अभिरुचि, आकांक्षा, आवश्यकता आदि के मध्य भी घनिष्ठ सम्बन्ध होता है।
3) विभिन्नता (Variability) – इसका तात्पर्य यह है कि किसी भी समूह के सभी व्यक्तियों के शारीरिक तथा मानसिक शीलगुणों में मात्रा का अन्तर होता है। कोई भी शीलगुण किन्हीं भी दो व्यक्तियों में समान मात्रा में नहीं पाया जाता है।
4) सीखने की भेदीय दर (Differential Rate of Learning) – शारीरिक विकास की भेदीय मात्रा तथा भिन्न-भिन्न सामाजिक परिस्थितियों के कारण बालकों के अधिगम (सीखना) की मात्रा में भी भिन्नताएँ उत्पन्न हो जाती हैं। अतः समान आयु के सभी बालकों में भी सीखने की योग्यता (learning ability) एक-दूसरे से भिन्न-भिन्न होती है।
5) अन्तर्वैयक्तिक भिन्नता (Inter-Individual Difference) – एक व्यक्ति की योग्यता का दूसरे व्यक्ति की योग्यता से भिन्न होना भी वैयक्तिक भिन्नता की एक मुख्य विशेषता है। जैसे- बुद्धि एक मानसिक योग्यता है, इस दृष्टिकोण से दो बालक एक दूसरे से भिन्न (अलग) हो सकते हैं। जिसमें एक बालक औसत बुद्धि वाला तथा दूसरा तीव्र बुद्धि या मंद बुद्धि वाला हो सकता है।
6) सामान्यता (Normality) – इसका आशय यह है कि किसी भी समूह के बहुत थोड़े लोगों में कोई योग्यता बहुत अधिक या बहुत कम मात्रा में होती है जबकि अधिकांश लोगों में वह योग्यता लगभग समान मात्रा में होती है।
7) धारणा की भेदीय दर (Differential Rate of Retention) – धारणा की भेदीय दर से तात्पर्य यह है कि यदि एक ही विषय को एक ही तरीके से तथा एक ही समय पर दो व्यक्ति सीखते हैं तो भी उनकी धारण करने की क्षमता अलग-अलग होती है।
8) विकास की भेदीय दर (Differential Rate of Growth) – शारीरिक विकास का प्रारम्भ सभी व्यक्तियों में एक साथ नही होता है तथा न ही यह समान रूप से जारी रहता है।
अतः समान आयु वर्ग के सभी बालकों के विकास क्रम में वैयक्तिक भिन्नता पाई जाती है क्योंकि यह सर्वविदित है कि शारीरिक विकास और परिपक्वता की मात्रा में भी वैयक्तिक भिन्नता पाई जाती है।
9) वंश परम्परा तथा वातावरण का प्रभाव (Effect of Heredity and Environment) – वंश परम्परा तथा वातावरण वैयक्तिक भिन्नता का आधार स्तम्भ हैं। बालकों में 38 शीलगुण वंशानुगत (अनुवांशिक) होते हैं तथा बाकी के अर्जित होते हैं। जिसके कारण ही बालकों में वैयक्तिक भिन्नता उत्पन्न हो जाती है।
इस प्रकार उपर्युक्त अनेक विशेषताओं को देखते हुए स्किनर (Skinner) ने कहा, “वैयक्तिक भिन्नता का स्वरूप (प्रकृति) बहुत जटिल एवं बहु-आयामी है।”
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