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वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Influencing Individual Differences in Hindi

वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Influencing Individual Differences in Hindi
वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक | Factors Influencing Individual Differences in Hindi

वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक (Factors Influencing Individual Differences)

गैरिसन ने बताया कि बालकों में वैयक्तिक भिन्नता, बुद्धि, परिपक्वता, अन्तप्रेरणा और वातावरणीय उद्दीपनों की भिन्नता के फलस्वरूप होती है। इसके अतिरिक्त भी वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करने वाले कारक अनेक हैं जिनमें से कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं-

1) वंशानुक्रम (Heredity) – यह वैयक्तिक भिन्नता का आधारभूत कारण है। गाल्टन रूसो एवं पियरसन इस मत के समर्थक हैं। व्यक्ति की शारीरिक एवं मानसिक विशेषताओं का हस्तान्तरण एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी में होता रहता है। बालक में गुणों का हस्तांतरण केवल माता-पिता से ही ना होकर उनके पूर्वजों से भी होता है।

मनोवैज्ञानिक मन के अनुसार, “हम सबका जीवन एक ही प्रकार से प्रारम्भ होता है लेकिन वंशानुक्रम के कारण बड़े होते-होते सभी में इसका अंतर झलकने लगता है। उदाहरणार्थ- लम्बे माता-पिता के बच्चे लम्बे व कम लम्बाई वाले माता-पिता के बच्चे औसत या कम लम्बाई के होते हैं परन्तु यह सदैव सत्य भी नही होता है।

2) वातावरण ( Environment) – भौतिक एवं सामाजिक वातावरण भी वैयक्तिक भिन्नता को प्रभावित करते हैं। ठण्डे प्रदेशों में रहने वाले लोग लम्बे-चौड़े, गोरे, बलवान और परिश्रमी होते हैं वहीं गर्म देशों में रहने वाले लोग औसत कद-काठी के, निर्बल और आलसी प्रवृत्ति के होते हैं। सामाजिक वातावरण में समाज, परिवार एवं पाठशाला के वातावरण को शामिल किया जाता है। व्यक्ति के व्यवहार, रहन-सहन तथा वैचारिक विभिन्नता में सामाजिक वातावरण का प्रभाव असानी से देखा जा सकता है।

3) आयु व बुद्धि (Age and Intelligence) – आयु व बुद्धि के आधार पर भी वैयक्तिक भिन्नता पायी जाती है। बालक की आयु बढ़ने के साथ-साथ उसका शारीरिक, मानसिक एवं संवेगात्मक रूप से विकास होता है। बुद्धि के अनुसार बालक को प्रतिभाशाली एवं मंद बुद्धि व मानसिक क्षमता से पिछड़े बालक के रूप में विभक्त किया जाता है।

4) प्रजाति एवं देश (Species and Country) – प्रत्येक जाति, देश एवं समाज की अपनी अलग सभ्यता एवं संस्कृति होती है। उनके सामाजिक मूल्यों, नियमों, रहन-सहन एवं खान-पान की आदतों का उस समाज एवं संस्कृति के सभी सदस्यों पर प्रभाव पड़ता है। व्यक्ति की शारीरिक भिन्नता से उसके देश की पहचान की जा सकती है।

5) शैक्षिक तत्व (Educational Elements) – बालक के मानसिक व्यवहार व उपलब्धियों पर शिक्षा के स्तर व स्वरूप का सीधा प्रभाव पड़ता है। शिक्षा व्यक्ति को व्यवहारशील एवं विचारशील बनाकर अशिक्षित व्यक्ति से भिन्न बना देती है। बालक को जिस प्रकार की शिक्षा दी जाती है उसका व्यवहार भी वैसा ही देखा जा सकता है।

6) आर्थिक दशा (Financial Condition) – आर्थिक विषमता भी वैयक्तिक भिन्नता को जन्म देती है। गरीबी के कारण व्यक्ति उचित-अनुचित में भेद नहीं कर पाता है और भूख उसे अनैतिक कार्यों की ओर प्रेरित करती है। अध्ययनों के अनुसार अमीरों की अपेक्षा गरीब व बेरोजगार व्यक्ति अपराध अधिक करते हैं। एक ओर जहाँ किसान वर्ग का जीवन सीधा-सादा, सरल एवं सादगीपूर्ण होता है वहीं दूसरी ओर पूँजीपति वर्ग का जीवन संघर्षमय तथा आडम्बरयुक्त होता है।

7) लिंग-भेद (Gender Difference) – लिंग-भेद के कारण बालक एवं बालिकाओं की शारीरिक बनावट, संवेगात्मक विकास व कार्य क्षमता में वैयक्तिक भिन्नता देखी जा सकती है। स्त्रियाँ पुरुषों की अपेक्षा अधिक सुन्दर, गुणवान और स्मरण शक्ति से परिपूर्ण होती हैं जबकि पुरुष स्त्रियों की अपेक्षा अधिक बलवान, साहसी एवं परिश्रमी होते हैं।

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Anjali Yadav

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