सार्जेण्ट योजना के गुण-दोष का वर्णन कीजिए।
सार्जेण्ट योजना का मूल्यांकन अथवा गुण-दोष
सार्जेण्ट योजना के प्रमुख गुण निम्नलिखित हैं-
1. इस योजना में केन्द्रीय तथा प्रान्तीय सरकारों के शैक्षिक कार्यों में तालमेल रखने के लिए केन्द्रीय शिक्षा विभाग की स्थापना का विचार प्रस्तुत किया गया।
2. भारत में ब्रिटिश काल में अब तक जितना भी शैक्षिक चिन्तन हुआ था, उसका मूल आधार यह था कि भारतीय यूरोपीय ऊचाईयों को छू नहीं सकते। इस योजना के निर्माताओं ने भारतीयों को भारतीय पद्धति से यूरोपीय ज्ञान विज्ञान में परिपक्व कर यथा ऊचाईयों तक पहुँचाने का मार्ग प्रशस्त किया।
3. इस योजना में शिक्षकों के प्रशिक्षण की पूरी योजना तैयार की गयी है।
4. यह भारत की पहली योजना है जिसमें पूर्व प्राथमिक और प्राथमिक शिक्षा को अनिवार्य एवं निःशुल्क बनाने का सुझाव दिया गया है।
5. इस योजना में केन्द्रीय और प्रान्तीय सरकारों के शैक्षिक उत्तरदायित्व निश्चित किये गये और स्पष्ट किये गये।
6. यह भारत की सर्वप्रथम योजना है जिसमें प्रौढ़ शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया गया और उसकी व्यवस्था की योजना प्रस्तुत की गयी।
7. यह योजना ब्रिटिश काल की पहली शिक्षा योजना है जिसे भारत की तत्कालीन आवश्यकताओं के अनुकूल बनाया गया था। यह सही अर्थों में राष्ट्रीय योजना थी।
8. यह पहली योजना है जिसमें शैक्षिक अवसरों की समानता की ओर कदम बढ़ाया गया।
9. इस योजना में देश भर में व्यावसायिक निर्देशन केन्द्र और रोजगार कार्यालय खोलने का सुझाव दिया गया। इससे शिक्षित बेरोजगारी की समस्या का समाधान होता है।
10. यह पहली शिक्षा योजना है जिसमें मन्द बुद्धि एवं विकलांग बच्चों की शिक्षा की व्यवस्था की बात कही गयी है।
11. ब्रिटिश काल की यह पहली योजना है जिसमें शिक्षा के सभी स्तरों पूर्व प्राथमिक से लेकर उच्च शिक्षा तक और उसके सभी पक्षों-प्रशासन एवं संगठन आदि पर पूर्णरूप से विचार किया गया और उसका भावी कार्यक्रम बनाया गया।
12. यह ब्रिटिश काल की सर्वप्रथम शिक्षा योजना है जिसे पूरा करने के लिए 40 वर्ष का समय निश्चित किया गया और 313 करोड़ रुपया अनुमानित व्यय बताया गया।
13. इस योजना में माध्यमिक एवं उच्च और तकनीकी शिक्षा में सुधार के लिए ठोस सुझाव दिये गये हैं। इन स्तरों पर केवल योग्य छात्रों को प्रवेश देने का सुझाव सर्वाधिक महत्त्वपूर्ण है।
सार्जेण्ट योजना के प्रमुख दोष निम्नलिखित हैं-
1. यह योजना इंग्लैण्ड की शिक्षा प्रणाली के आधार पर तैयार की गयी थी, जो एक उद्योग प्रधान देश है। इसमें औद्योगिक एवं तकनीकी शिक्षा पर अधिक बल है जबकि भारत एक कृषि प्रधान देश है, इसकी शिक्षा में सबसे अधिक बल कृषि शिक्षा पर होना चाहिए था।
2. यह योजना 40 वर्षीय दीर्घकालीन योजना थी।
3. वैसे तो यह शिक्षा योजना अभी तक जितनी शिक्षा नीतियाँ विकसित हुई, उनमें सबसे अधिक व्यापक है लेकिन फिर भी इसमें चिकित्सा शिक्षा, धार्मिक शिक्षा और महिला शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया गया।
4. यह अनुमान लगाया गया कि यह योजना 313 करोड़ रुपये में पूर्ण हो जायेगी, यह धनराशि अपने में अपर्याप्त थी फिर यह भी नहीं बताया गया कि इतनी बड़ी धनराशि का स्रोत क्या होगा।
5. सार्जेण्ट योजना एक मौलिक लेख नहीं है। इसको पूर्ण प्रतिवेदनों एवं योजनाओं द्वारा दिये गये लाभप्रद सुझावों का केवल उत्तम संक्षेप मात्र कहा जा सकता है।
6. यह योजना केवल प्राप्त किये जाने वाले आदर्श को प्रस्तुत करती है और शैक्षिक विकास के पूर्ण कार्यक्रम का वर्णन नहीं करती है।
7. भारतीय शिक्षा की समस्याओं के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के लिए समय-समय पर केन्द्रीय शिक्षा सलाहकार परिषद द्वारा प्रकाशित किये गये प्रतिवेदनों को जोड़-गाँठकर इस योजना को तैयार किया गया है।
8. इस योजना को राष्ट्रीय शिक्षा प्रणाली की अपूर्ण रेखा माना गया है क्योंकि इसमें ग्रामीण शिक्षा के महत्त्वपूर्ण प्रश्न पर किसी प्रकार का विचार नहीं किया गया है।
9. सार्जेण्ट रिपोर्ट में शिक्षा योजना की केवल रूप-रेखा ही प्रस्तुत की गयी है। इसमें पाठ्यक्रम, शिक्षण विधियाँ, धार्मिक शिक्षा, स्त्री शिक्षा और परीक्षाओं जैसे महत्त्वपूर्ण पहलुओं पर विचार नहीं किया गया है।
10. यह योजना बहुत खर्चीली है।
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