शिक्षाशास्त्र / Education

माध्यमिक शिक्षा आयोग का मूल्यांकन (गुण-दोष) | Evaluation of Secondary Education Commission (merits and demerits)

माध्यमिक शिक्षा आयोग का मूल्यांकन कीजिए। अथवा- माध्यमिक शिक्षा आयोग के गुण एवं दोषों का वर्णन कीजिए।

माध्यमिक शिक्षा आयोग का मूल्यांकन (गुण)

(1) उद्देश्य राष्ट्र की आवश्यकताओं के अनुसार- आयोग ने सर्वप्रथम माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्य को निर्धारित किया। राष्ट्र की वर्तमान स्थिति एवं आवश्यकताओं की पृष्ठभूमि में माध्यमिक शिक्षा के उद्देश्यों को निर्धारित करके आयोग ने बहुत महत्वपूर्ण निर्देशन दिया है।

(2) बहुउद्देशीय विद्यालय शिक्षा की स्थापना उपयोगी- बहुधन्धी विद्यालयों की स्थापना का सुझाव देकर आयोग ने माध्यमिक शिक्षा को एक व्यवहारिक रूप प्रदान किया जिससे विद्यार्थी स्वावलम्बी और आत्मनिर्भर हो पाये।

(3) पाठ्यक्रम में विविधता- आयोग ने विद्यालयों की व्यक्तिगत सामर्थ्य क्षमताओं, योग्यताओं और रुचियों को ध्यान में रखकर पाठ्यक्रम में विविधता का सुझाव अत्यन्त मनोवैज्ञानिक एवं महत्वपूर्ण ढंग से किया हैं।

(4) चरित्र निर्माण सम्बन्धी सुझाव महत्वपूर्ण- आयोग ने छात्रों को राजनीति से दूर रखने, अनुशासन स्थापित रखने तथा आदर्श गुणों को विकसित करने के लिए उपयोगी, सुझाव न देकर चरित्र निर्माण के लिए महत्वपूर्ण विचार प्रस्तुत किये।

(5) मातृभाषा तथा क्षेत्रीय भाषाओं को महत्ता- आयोग ने माध्यमिक स्तर पर शिक्षा का माध्यम मातृभाषा तथा क्षेत्रीय भाषाओं को बनाने की सिफारिश करके मातृभाषा तथा क्षेत्रीय भाषाओं को महत्ता प्रदान की।

(6) छात्र कल्याण की चिन्ता- आयोग ने छात्रों के स्वास्थ्य की चिन्ता करते हुए अनेक महत्वपूर्ण सुझाव दिये।

(7) अध्यापकों की स्थिति में सुधार की चिन्ता- अध्यापकों को सामाजिक सम्मान प्रदान करने हेतु अच्छा वेतन तथा अन्य सुविधाओं की सिफारिश आयोग ने की।

माध्यमिक शिक्षा आयोग का मूल्यांकन (दोष)

(1) परम्परागत सुझाव- पिछले आयोग के सुझावों में अधिकांश की पुनरावृत्ति है।

(2) प्रशासन सम्बन्धी सुझाव अपूर्ण- व्यक्तिगत आधार पर संचालित विद्यालय की प्रबन्ध समितियों के सम्बन्ध में कोई विचार नहीं प्रस्तुत किया।

(3) स्त्री शिक्षा की उपेक्षा- बालिकाओं की शिक्षा के सम्बन्ध में आयोग ने कोई महत्वपूर्ण सुझाव नहीं दिया।

(4) इण्टर कालेजों को तोड़ने का सुझाव अनुपयुक्त- इस योजना के कार्यान्वयन में कठिनाई आयी तथा बाद में इण्टर मीडिएट योजना ही मान्य हुई।

(5) पाठ्यक्रम अधिक बोझिल- भाषायें, आन्तरिक विषय तथा वैकल्पिक समूह के चयन की व्यवस्था के कारण पाठ्यक्रम अधिक बोझिल हो गया।

इन कुछ दोषों के बोझिल होने के बाद भी आयोग के सुझाव अत्यन्त विस्तृत, सारगर्भित, विद्वत्तापूर्ण व्यवहारिक, उपयोगी तथा क्रान्तिकारी थे और माध्यमिक शिक्षा के विकास की दृष्टि से महत्वपूर्ण थे।

IMPORTANT LINK

Disclaimer

Disclaimer: Target Notes does not own this book, PDF Materials Images, neither created nor scanned. We just provide the Images and PDF links already available on the internet. If any way it violates the law or has any issues then kindly mail us: targetnotes1@gmail.com

About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

Leave a Comment