शिक्षार्थियों पर परिवार एवं समुदाय के प्रभाव की विवेचना कीजिए । अथवा अधिगमकर्त्ता पर परिवार एवं समुदाय का क्या प्रभाव पड़ता है ? वर्णन कीजिए।
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शिक्षार्थियों पर परिवार का प्रभाव (Effect of Family on Learners)
शिक्षार्थियों पर परिवार का प्रभाव निम्नलिखित पड़ता है-
1. पैतृक प्रभाव का विचार- परिवार या घर शिक्षा का प्रभावशाली साधन बने इसके लिए पैतृक प्रभाव पर विचार करना आवश्यक है। घर की शिक्षा को प्रभावशाली बनाने के लिए अत्यन्त आवश्यक है कि माता-पिता को भी उचित शिक्षा प्रदान की जाय। जिन घरों में माता-पिता पढ़े-लिखे नहीं होते उनके घर के बच्चे भी अधिक पढ़-लिख नहीं पाते। बालकों के पैतृक दोषों को रोकने की विधियों को अपनाया जाय। उनमें घरेलू मामलों की देखभाल करने में रुचि उत्पन्न की जाय और पारिवारिक झगड़ों के कारणों को दूर करने का प्रयास किया जाय। बालक अपने माता-पिता को जो कुछ करते हुए देखते हैं वही तुरन्त सीख लेते हैं। यदि परिवार में सहयोगी जनतन्त्रीय आदर्श है और सभी लोग अपने कर्त्तव्यों का पालन भली प्रकार करते हैं तो बालक पर इसका अवश्य ही अच्छा प्रभाव पड़ेगा। अतएव पैतृक प्रभाव पर विशेष ध्यान दिया जाना चाहिए।
2. सामाजिक वातावरणीय प्रभाव- भारत में अधिकतर ग्रामों और नगरों का सामाजिक वातावरण ठीक नहीं होता और परिणामस्वरूप बालक पर उसका बुरा प्रभाव पड़ता है। अधिकतर ग्रामों में शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं होती, फलस्वरूप परिवारों में भी शिक्षा की उचित व्यवस्था नहीं की जाती। आवश्यकता इस बात की है कि परिवार, पड़ोस और समुदाय का सम्बन्ध स्वस्थ वातावरण के आधार पर निर्मित किया जाय और बालकों को इस वातावरण के अनुसार ही शिक्षा प्रदान की जाये।
3. मानसिक वातावरणीय प्रभाव- भारत में अधिकांशतः परिवारों में माता-पिता निरक्षर, अन्धविश्वासी और निर्धन होते हैं। अधिकांश घरों का मानसिक वातावरण बालक की बुद्धि के विकास के लिए उपयुक्त नहीं होता। हमारे घरों में पुस्तकों, समाचार पत्रों और साप्ताहिक पत्रिकाओं का अभाव रहता है जिसके फलस्वरूप बालक के मस्तिष्क को उचित आहार नहीं मिल पाता और उसका मानसिक विकास रुक जाता है। आवश्यकता इस बात की है कि स्थान-स्थान पर विभिन्न प्रकार के पुस्तकालयों और वाचनालयों की स्थापना की जाय। इससे बालक के घर का मानसिक वातावरण अच्छा होगा और उससे बालक पर भी अच्छा प्रभाव पड़ेगा।
4. भौतिक वातावरणीय प्रभाव- अधिकतर भारतीय घरों का भौतिक वातावरण अच्छा नहीं होता। उसमें रोशनी, स्वच्छता, फर्नीचर आदि की व्यवस्था नहीं होती। साथ ही इन घरों में पर्याप्त स्थान भी नहीं होता। इस दोषपूर्ण भौतिक वातावरण का प्रभाव बालक की शिक्षा, स्वास्थ्य एवं विकास पर पड़ता है। ऐसी स्थिति में यह आवश्यक है कि भारतीय घरों के भौतिक वातावरण में परिवर्तन लाया जाय। यदि किसी घर में अवांछनीय वस्तुओं को फेंक दिया जाता है और आवश्यक वस्तुओं को ही रखा जाता है तो उस घर में बालकों पर अच्छा प्रभाव पड़ता उनका शारीरिक, मानसिक और नैतिक सभी क्षेत्रों में विकास होता है।
5. सौन्दर्यात्मक वातावरणीय प्रभाव- प्लेटो का विचार है कि, “यदि आप चाहते हैं कि बालक सुन्दर वस्तुओं की प्रशंसा और निर्माण करे तो उसके चारों ओर सुन्दर वस्तुएँ प्रस्तुत की जायें। अतः बालक के सौन्दर्यात्मक विकास के लिए घर में सुन्दर वस्तुओं का वातावरण प्रस्तुत किया जाना चाहिए। जिन घरों में सुन्दर वस्तुयें विद्यमान होती हैं वहाँ के बालकों का सौन्दर्यात्मक विकास अवश्य ही अधिक होता है।”
शिक्षार्थियों पर समुदाय का प्रभाव (Effect of Community on Learners)
बालक यदि समुदाय के अन्दर एक सक्रिय सदस्य के रूप में रहता है तो प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से वह समुदाय से प्रभावित होता है। समुदाय बालक पर अपना प्रभाव निम्न प्रकार से डालता है-
(1) सामाजिक प्रभाव (Social Influence)- यदि हम समुदाय का बालक पर प्रभाव देखें तो हम यह पायेंगे कि बालक के व्यक्तित्व का सामाजिक पक्ष उस समुदाय के अनुकूल ही होता है जिसमें वह जीवनयापन करता है या जिसका वह अभिन्न सदस्य होता है। समाज में होने वाले उत्सव, सम्मेलन, मेले आदि बालक के अन्दर सामाजिक गुणों को उत्पन्न करते हैं। सामाजिक मूल्यों के प्रति आस्था भी सामाजिक वातावरण में ही उसमें उत्पन्न की जाती है। समुदाय ही बालक को सामाजिक दक्षता (Social Efficiency) देता है एवं उसके अन्दर त्याग, सहानुभूति, दया, ममता आदि गुणों को विकसित करता है। समुदाय में ही बालक अनुशासन को सीखता है एवं अपने अधिकार एवं कर्त्तव्यों के प्रति जागरूक होता है।
(2) राजनैतिक प्रभाव (Political Influence) समुदाय में विद्यमान राजनैतिक विचारधारा भी बालकों पर अपना राजनैतिक प्रभाव डालती है। समुदाय द्वारा आयोजित राजनैतिक भाषा व सम्मेलन छात्रों की राजनैतिक विचारधारा को प्रभावित करते हैं और उनमें राजनैतिक जागरूकता लाते हैं। क्रो एवं क्रो के अनुसार, “समुदाय की राजनीतिक विचारधारा उस सीमा तक प्रतिबिम्बित होती है जहाँ तक उसके सदस्यों को शैक्षिक अवसर प्रदान किये जाते हैं और उसके राजनीतिक नेता उसके नागरिकों की शैक्षिक प्रगति के लिए उत्तरदायित्व ग्रहण करते हैं।”
(3) आर्थिक प्रभाव (Economic Influence)— आर्थिक दृष्टि से भी समुदाय का प्रभाव हमें बालक के ऊपर स्पष्ट रूप से दृष्टिगोचर होता है। समुदाय विभिन्न उद्योगों एवं व्यवसायों को स्थापित करता है और उसके लिए मनुष्य को प्रशिक्षित करता है। प्राचीनकाल में तो समुदाय परम्परागत रूप में बालक को उस व्यवसाय के लिए प्रशिक्षित करता था जो उसका पारिवारिक व्यवसाय होता था परन्तु आज बालक अपनी रुचि एवं योग्यता के आधार पर प्रशिक्षित किया जाता है। वैसे यदि देखा जाये तो समुदाय की आर्थिक स्थिति प्रायः उस समुदाय के सदस्यों की आर्थिक स्थिति का भी निर्धारण करती है।
(4) सांस्कृतिक प्रभाव ( Cultural Influence) – प्रत्येक समुदाय की अपनी संस्कृति होती है और बालक के ऊपर उस संस्कृति का अमिट प्रभाव होता है। यदि बालक के समुदाय सदस्य संस्कृति का आदर एवं अनुपालन करते हैं तो बालक भी स्वतः ही उस संस्कृति का अनुपालन करने लगता है। वैसे बालक का व्यवहार, बोलचाल का तरीका एवं भाषा सभी संस्कृति के द्वारा ही निर्धारित होती है।
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