समूह निर्देशन से आप क्या समझते हैं ? इसके उद्देश्य तथा महत्व का उल्लेख कीजिये।
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समूह निर्देशन(Group Guidance)
निर्देशन की प्रक्रिया मूल से व्यक्तिगत होती है, परन्तु इसे व्यक्तिगत रूप से सदैव आयोजित करना सम्भव नहीं है। अतएव समूह निर्देशन विधि का प्रयास किया जाता है। पिछले लगभग 35 वर्षो से समूह निर्देशन का प्रयोग किया जा रहा है। डिकमायर ने इसे विकासात्मक समूह ‘उपबोधन’ माना है। डिकमायर के अनुसार इसे छात्रों के स्वाभाविक विकास की प्रक्रिया का प्रभावपूर्ण तथा तीव्र बनाने का साधन मानना चाहिये न कि परामर्श डिकमायर तथा काल्डवेल्ड के अनुसार यह प्रत्येक विद्यार्थी को एक ऐसी अन्त-वैयक्तिक प्रक्रिया में सम्मिलित होन का अवसर देता है, जिसके द्वारा वह अपने समसमूह के साथ कार्य करते हुये अपनी अभिवृत्तियों, मूल्यों, भावनाओं तथा उद्देश्य, लक्ष्यों को ज्ञात करता है। समूह उपबोधन के अन्तर्गत सभी विद्यार्थियों को सक्रिया सहभागिता के आधार पर परस्पर अन्तःक्रियात्मक सम्बन्ध स्थापित करना होता है, जबकि समूह निर्देशन में अधिकांश विद्यार्थी निष्क्रिय रूप में सम्मिलित हो सकते हैं।
समूह निर्देशन के प्रकार तथा क्षेत्र (Kinds and Scope of Group Guidance)
समूह निर्देशन की व्यवस्था विद्यालय अथवा शैक्षिक संस्थान में उपलब्ध अनेक प्रकार के समूहों साथ की जा सकती है। समूह निर्देशन का आयोजन निम्नलिखित परिस्थितियों में किया जा सकता है-
- शिक्षालयों की सामान्य सभाओं के अन्तर्गत
- राष्ट्रीय प्रौढ़ शिक्षा और अन्य सामुदायिक सेवा के कार्यक्रमों के आयोजित कैम्पों तथा गोष्ठियों के अन्तर्गत
- सम्मेलनों अथवा व्यावसायिक सम्मेलनों के माध्यम से।
- कोर पाठ्यक्रमों की कक्षाओं के अन्तर्गत।
- सामान्य कक्षाओं में विषय शिक्षक-शिक्षण अधिगम की व्यवस्था को गठित करते समय ।
- हॉबी क्लबों तथा अन्य छोटे समूहों के द्वारा।
इसलिए समूह निर्देशन पद्धति को अनेक प्रकार से उपलब्ध समूहों के माध्यम से लागू करने की व्यवस्था है। इसका क्षेत्र असीमित है। घर तथा विद्यालय में समंजन, व्यवसाय ढूंढने, व्यावसायिक, आर्थिक तथा व्यक्तित्व से सम्बद्ध समस्यायें, विद्यार्थियों की शैक्षिक योजनायें, सामाजिक परिस्थितियाँ आदि ।
समूह निर्देशन की प्रविधियाँ (Techniques of Group Guidance)
समूह निर्देशन के लिए निम्नलिखित प्रविधियों का प्रयोग किया जाता है-
1. व्याख्यान प्रविधि – इस प्रविधि में कुछ प्रमुख व्यक्तियों अथवा विद्वानों द्वारा कतिपय चयनित विषयों पर व्याख्यान कराये जाते हैं।
2. फिल्म प्रयोग प्रविधि – कतिपय विशिष्ट समस्याओं के प्रति विद्यार्थियों के चिन्तन के प्रक्षेपण को दृष्टिगत रखकर ‘समूह उपबोधन’ की एक सम्पूर्ण बैठक को फिल्म के द्वारा प्रस्तुत किया जाता है। प्रारम्भ में, फिल्म के कुछ भाग को दिखाकर, उस पर समस्याओं के सम्बन्ध में विचार-विमर्श किया जाता है। उसको बोलने का पर्याप्त समय नहीं दिया जायेगा तो साक्षात्कार उपयोगी सिद्ध नहीं होगा
3. प्रश्न पेटी – इसमें समूह के प्रत्येक विद्यार्थी को अपनी रुचि तथा आवश्यकतानुसार प्रश्न पूछने के लिए कहा जाता है, जिससे संकोच तथा शर्म करने वाले विद्यार्थियों को प्रश्न पूछने से सम्बन्धित कुशलता के अभ्यास का अवसर प्राप्त होता है। जोन्स महोदय ने इसे विद्यार्थियों की अभिप्रेरणा और स्वाभाविक अन्तर्भाविकता लाने के लिए वांछनीय प्रविधि बताया है।
4. छोटे समूह प्रतिवेदन- इसमें विद्यार्थियों को लघु वर्गों में विभाजित करके उन्हें विशिष्ट विषय पर प्रतिवेदन प्रस्तुत करने के लिए कहा जाता है और ऐसे समूहों को समितियों के रूप में प्रायः गठित कर दिया जाता है
5. अनौपचारिक वार्तायें- अनौपचारिक वार्ताओं को शिक्षक अथवा परामर्शदाता स्वयं के निरीक्षण में विद्यार्थियों के द्वारा करवाता है। इसमें विद्यार्थियों को यह पूरी स्वतन्त्रता प्राप्त होती है कि वे किस प्रकार तथा किन विषयों पर अपनी बात कहें।
समूह निर्देशन का उद्देश्य (Aims of Group Guidance)
डिकमायर तथा काल्डवेन के अनुसार समूह निर्देशन के निम्नलिखित उद्देश्य हैं-
1. योग्य व्यक्तियों की आवश्यकता को समझने के लिए संवेदनशीलता का विकास करना, जिससे विद्यार्थी अपने सहपाठियों के विषय में अपनी भूमिका समझ सके। इस प्रकार वह अन्य व्यक्तियों पर होने वाले अपने प्रभावों का सही ढंग से मूल्यांकन कर सकता है।
2. आत्म-स्वीकृति तथा अपने आप में उपयोगी बनने की भावना का विकास करना।
3. अधिक से अधिक आत्म-निर्देशन, उच्च कोटि की समस्या के समाधान हेतु निर्णय लेने की क्षमता का विकास करना ।
4. समूह में प्रत्येक सदस्य को स्वयं को जानने तथा समझने में सहायता करना ।
5. जीवन के विकासात्मक कार्यों से निपटने के लिए अपेक्षित प्रणालियों को विकसित करना ।
समूह निर्देशन का महत्व (Importance of Group Guidance)
विद्यार्थियों की बुद्धि, अधिगत अनुभवों और परामर्श की गहनता की दृष्टि से दोनों ही युक्तियाँ बहुत ही महत्वपूर्ण हैं। समूह निर्देशन के निम्नलिखित महत्व हैं-
1. सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों पर ध्यान देने की दृष्टि से भी समूह निर्देशन पद्धति का बहुत ही महत्व है। निर्देशन की प्रक्रिया में प्रायः सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों पर ध्यान देने के लिए समय नहीं मिल पाता है। इसलिए सामूहिक निर्देशन के द्वारा सामान्य वर्ग के विद्यार्थियों के लिए विशिष्ट सुविधायें उपलब्ध कराई जानी सम्भव हैं।
2. मितव्ययता तथा कुशलता की दृष्टि से भी इसका महत्व अधिक है। समूह निर्देशन के द्वारा आवश्यक सूचनाओं तथा निर्देशन की सूचनाओं को कम समय में अधिक से अधिक विद्यार्थियों तक सम्प्रेषित किया जा सकता है। इससे समय की बचत होती है और परामर्शदाता को भी अन्य महत्वपूर्ण बातों पर ध्यान देने के लिए समय प्राप्त हो जाता है।
3. समूह निर्देशन प्रणाली के द्वारा विद्यार्थी अपनी समस्याओं को सामूहिक रूप में विश्लेषित करने, उन्हें समझने एवं मूल्यांकन करने की योग्यताओं को विकसित कर लेते हैं। इससे उनमें सहयोग की भावना उत्पन्न होती है। यह सहयोग की भावना उनके सामूहिक जीवन के लिए अपेक्षित समायोजन की क्षमता को विकसित करने में सहायक होती है।
4. विद्यार्थियों को परस्पर विचारों तथा सम्मतियों के आदान-प्रदान में सहायता देने की दृष्टि से भी समूह निर्देशन बहुत महत्वपूर्ण है। समूह निर्देशन प्रणाली के द्वारा विद्यार्थी परस्पर विचार-विमर्श करने के लिए प्रोत्साहित होते हैं, जिसके कारण उनमें परस्पर सहयोग और सद्भावना की भावना विकसित होती है।
5. सामूहिक निर्देशन अधिक से अधिक विद्यार्थियों से सम्पर्क स्थापित करने की दृष्टि से भी अधिक महत्वपूर्ण है। ऐसी परिस्थितियों में परामर्शदाता अधिकाधिक विद्यार्थियों से एक साथ मिल सकते हैं और कठिनाइयों को जान सकते हैं।
6. विद्यार्थियों को व्यक्तित्व से सम्बन्धित अनेक विशिष्टतायें अपने समसमूहों में अन्तःक्रिया में सामने आती हैं। समूह निर्देशन की प्रक्रिया के अन्तर्गत शिक्षक और परामर्श व्यक्तित्व से सम्बन्धित विशिष्ट गुणों का प्रक्षेपण सहजता से कर सकते हैं।
7. समूह निर्देशन के माध्यम से विद्यार्थी अपनी अज्ञात आवश्यकताओं और समस्याओं को जान लेते हैं, जिससे वैयक्तिक परामर्श का कार्य बहुत ही सहज बन सकता हैं।
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