विद्यालय संगठन / SCHOOL ORGANISATION

कक्षा प्रगति से आप क्या समझते हैं ? What do you understand by class Promotion?

कक्षा प्रगति से आप क्या समझते हैं ? What do you understand by class Promotion?
कक्षा प्रगति से आप क्या समझते हैं ? What do you understand by class Promotion?

कक्षा प्रगति से आप क्या समझते हैं ? स्पष्ट कीजिए। 

श्री ए० आर० शर्मा के अनुसार, “किसी बालक विशेष का उस निश्चित समय में निर्धारित पाठ्यक्रम पर आधारित परीक्षा उत्तीर्ण कर लेने के पश्चात् उस कक्षा से उच्चतर कक्षा में जाना है। “

माध्यमिक शिक्षा आयोग के विचार इस सम्बन्ध में निम्न प्रकार हैं-

“मूल्यांकन ही वह मुख्य साधन है, जिसके द्वारा समाज को आश्वासन मिलता है कि विद्यालयों को सौंपा गया कार्य सन्तोषपूर्वक चल रहा है, पढ़ रहे बच्चे सही शिक्षा प्राप्त कर रहे हैं एवं वांछित स्तर की प्राप्ति कर रहे हैं।” (“Evaluation is the chief instrument by which the society assures itself that the work entrusted to its schools is being carried out satisfactorily and that the children studying there are receiving the right type of education and attaining the expecting standards.”)

वास्तविकता यह है कि छात्रों की प्रगति प्रतिवर्ष उनकी योग्यता के आधार पर होनी चाहिए।

भारतवर्ष में सामान्य कक्षोन्नति के लिए एक वर्ष का पाठ्यक्रम और एक ही वर्ष का समय होता है। परीक्षा में उत्तीर्ण छात्रों को आगामी कक्षा में भेज दिया जाता है और असफल को रोक लिया जाता है।

प्रगति के सिद्धान्त (Principles of Promotion)

शिक्षाशास्त्रियों ने प्रगति देने के लिए अनेक सिद्धान्त बनाए हैं। वे इस प्रकार हैं-

1. वर्ष भर का कार्य – पूरे वर्ष में बालक की प्रगति तथा प्रवीणता किस प्रकार की रही है, इसका आंकलन करके प्रगति दी जाती है।

2. निश्चित आधार – प्रगति देते समय कतिपय आधार अवश्य बना लेने चाहिएँ

3. कार्य-कुशलता – जो बालक कार्य-कुशल हो, उसे कम समय में भी प्रगति दी जा सकती है।

4. विभिन्न परीक्षाफल – प्रगति देते समय मासिक, त्रैमासिक, छमाही परीक्षाओं के परिणाम भी देख लेने चाहिएँ।

5. निष्पक्षता – अध्यापक को प्रगति देते समय निष्पक्ष एवं तटस्थ रहना चाहिए, पक्षपात नहीं होना चाहिए।

6. अनुत्तीर्ण छात्रों को अवसर – अनुत्तीर्ण छात्रों को पुनः अवसर प्रदान करना चाहिए।

प्रगति के प्रकार (Types of Promotion)

प्रगति कई प्रकार की होती हैं, जिसका विवरण निम्न प्रकार है-

1. वार्षिक प्रगति – भारतीय विद्यालयों में प्रगति एक वर्ष के पाठ्यक्रम के पश्चात् परीक्षा के माध्यम से दी जानी है।

2. सत्रीय प्रगति – छात्र को एक सत्र के पश्चात् जो प्रगति दी जाती है, उसे सत्रीय प्रगति कहते हैं। मेधावी छात्र इसका लाभ उठाते हैं।

3. विषय-प्रगति— किसी विशेष विषय में प्रगति देने को विषय प्रगति कहते हैं।

4. शत-प्रतिशत प्रगति- इस मत के अनुसार प्रत्येक आयु के छात्र को अपनी योग्यता के अनुसार प्रगति दी जाती हैं।

 5. डबल प्रगति- कुछ छात्रों को एक साथ दो कक्षाओं की प्रगति दी जाती है, यह डबल प्रगति है।

कोठारी कमीशन ने प्रगति देने के लिए आन्तरिक अनुमान (Internal Assessment) पर बल दिया है—”यह आन्तरिक अनुमान या मूल्यांकन जो विद्यालयों में किया जाता है, उसका महत्व है और उसे वह महत्व मिलना ही चाहिए। यह सघन हो और छात्र के विकास की सभी सम्भावनाओं पर विचार करता हो। इसके परिणाम अलग से रखे जाएँ। “

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About the author

Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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