विद्यालय संगठन / SCHOOL ORGANISATION

विद्यालय में अनुशासन स्थापित करने के सुझाव | Suggestions to Maintain Proper Discipline in School in Hindi

विद्यालय में अनुशासन स्थापित करने के सुझाव | Suggestions to Maintain Proper Discipline in School in Hindi
विद्यालय में अनुशासन स्थापित करने के सुझाव | Suggestions to Maintain Proper Discipline in School in Hindi

विद्यालयों में उचित अनुशासन उत्पन्न करने के लिए सुधारों के लिए सुझाव दीजिए।

विद्यालयों में उचित अनुशासन स्थापित करने के लिए सुझाव (Suggestions to Maintain Proper Discipline in School)

विद्यालयों में उचित अनुशासन स्थापित करने के लिए सुझाव निम्नलिखित हैं-

1. अध्यापकों और विद्यार्थियों के निकटतम सम्बन्ध स्थापित करना (Teachers Students Close Contact be Maintained) – अध्यापकों को विद्यार्थियों के पिछड़ेपन को समझकर उसके अनुसार उनका नेतृत्व करना चाहिए। अध्यापक का व्यक्तित्व भय तथा दबाव वाला नहीं, अपितु एक मित्र और पथ-प्रदर्शक वाला होना चाहिए।

2. शिक्षा राजनीतिक प्रभाव से स्वतन्त्र हो (Education should be Free from Cheap Party Politics) – राजनीतिक पार्टियों द्वारा विद्यार्थियों को प्रचार करने के लिए नहीं लगाना चाहिए। उन्हें राष्ट्रीय राजनीति को अच्छी प्रकार समझने तथा सराहने योग्य बनाना चाहिए।

3. शिक्षण विधियों को सुधारना (Methods of Teaching should be Improved) – शिक्षा के ढंग ऐसे होने चाहिएँ, जिनमें बालक स्वयं कार्य करके वास्तविक रूप में शिक्षा प्राप्त करें। इस प्रकार वास्तविक रूप में कार्य करते हुए उनका ध्यान शरारतों की ओर नहीं लगता।

4. विद्यार्थियों की निराशा को दूर करना (To Overcome Frustration of Students) – विद्यार्थियों की निराशा को दूर करने के लिए अवश्य ही कोई प्रयत्न करना चाहिए। इनकी धन सम्बन्धी कठिनाइयों को दूर करना चाहिए। उन्हें कुछ समय के लिए ऐसा कार्य देना चाहिए, जिससे उन पर शारीरिक तथा मानसिक बोझ न पड़े। निर्धन बालकों को नाम मात्र मूल्य पर खाना दिया जाना चाहिए।

5. स्कूल के प्रबन्ध को प्रजातन्त्रीय बनाना (School Administration on Democratic Lines) – विद्यालय का प्रत्येक कार्य प्रजातन्त्रीय आधार पर किया जाना चाहिए। अध्यापकों तथा विद्यार्थियों को विद्यालय का कार्य सहयोग से ही करना चाहिए। ऐसे विद्यार्थियों के हाथ में यह प्रबन्ध नहीं देना चाहिए, जो अपना उत्तरदायित्व न समझते हों।

6. सहगामी क्रियाओं का प्रबन्ध करना (Co-curricular Activities should be Provided)- सहगामी क्रियाओं की पूरी व्यवस्था होनी चाहिए ताकि विद्यार्थियों के विचारों को सही मार्ग पर लाया जा सके। इन क्रियाओं को लाभकारी समझा जाना चाहिए। यह क्रियाएँ बालक को अच्छी शिक्षा के अवसर प्रदान करती हैं। इसलिए मौलाना आजाद ने कहा है, “अनुशासन तो नौजवानों की शक्ति को उचित मार्ग दिखाने से प्राप्त हो सकता है, दबाव से नहीं।” (Discipline may be achieved by giving proper direction to the energy of the youth and not by suppression) 3 प्रकार संगठित सहगामी क्रियाएँ बालकों में उत्तरदायित्व और अनुशासन की भावना उत्पन्न करती हैं।

7. अध्यापकों के मान को पुनः स्थापित करना (Teacher’s Prestige must be Restored)- अध्यापकों को मान और सम्मान देकर उनकी पदवी महत्वपूर्ण बनाई जाए, जिससे कि अपने धन्धे में रुचि लेकर कार्य करें। इसलिए उनका वेतन बढ़ाया जाए और उनका सामाजिक स्तर ऊँचा किया जाए। एक मन्त्री ने यहाँ तक कह दिया है कि अध्यापकों से चपरासियों का वेतन अच्छा है, इसलिए अध्यापक विद्यार्थियों की ओर ध्यान नहीं देंगे और अपने धन्धे को सुधारने के लिए ही प्रयास करेंगे।

8. सदाचारिक विषयों की शिक्षा प्रदान करना (Education of Moral Values)- बालकों को सदाचार की मान्यताओं का महत्व वास्तविक रूप में दिखाना चाहिए। धार्मिक शिक्षा द्वारा ही ऐसी मान्यताओं की शिक्षा देनी चाहिए।

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Anjali Yadav

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