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हिन्दी गद्य शिक्षण के उद्देश्य एवं महत्त्व | Objectives and Importance of Hindi Prose Teaching in Hindi

हिन्दी गद्य शिक्षण के उद्देश्य एवं महत्त्व | Objectives and Importance of Hindi Prose Teaching in Hindi
हिन्दी गद्य शिक्षण के उद्देश्य एवं महत्त्व | Objectives and Importance of Hindi Prose Teaching in Hindi

हिन्दी गद्य शिक्षण का उद्देश्य एवं महत्त्व स्पष्ट कीजिए। अथवा हिन्दी गद्य शिक्षण के उद्देश्यों का उल्लेख कीजिए। हाईस्कूल स्तर पर हिन्दी गद्य शिक्षण की महत्ता पर भी प्रकाश डालिए।

हिन्दी गद्य शिक्षण के उद्देश्य

भाषा शिक्षण के प्रमुख उद्देश्यों में एक उद्देश्य यह भी है कि विद्यार्थियों की विचारशक्ति में वृद्धि हो तथा वे अपने विचारों को प्रभावशाली ढंग से प्रकट कर सकें। इस उद्देश्य की पूर्ति के लिए गद्य-शिक्षण सर्वाधिक प्रभावशाली साधन है। गद्य शिक्षण के सामान्य उद्देश्य निम्नांकित हैं-

  1. छात्रों के विचारों, शब्दों, लोकोक्तियों, सूक्तियों, रूढ़ोक्तियों एवं कथाओं के कोष में निरन्तर वृद्धि करना।
  2. विद्यार्थियों के वर्णों, शब्दों तथा वाक्यों के उच्चारण में शुद्धता का स्तर बढ़ाना।
  3. उनके चिन्तन में निरन्तर स्पष्टता, संगतता और क्रमबद्धता पैदा करना।
  4. वाक्यों में प्रयोग किये गये शब्द-रूपों और अशुद्धता को समझने की स्तरोचित क्षमता उत्पन्न करना।
  5. विद्यार्थियों के मन में भाषा विषयक शुद्धता के प्रति गम्भीर सावधान व अनुराग उत्पन्न करना ।
  6. बालकों को सुन्दर गधात्मक उद्धरणों के संकलन के लिए प्रेरित करना।
  7. विवेक एवं ज्ञान क्षेत्र का विकास करके उनका चारित्रिक विकास करना।
  8. उन्हें विभिन्न लेखन-शैलियों से परिचित करवाना एवं उनकी लेखन-शैली के विकास में सहयोग प्रदान करना।
  9. साहित्य अध्ययन के प्रति रुचि उत्पन्न करना।
  10. चित्तवृत्तियों का परिमार्जन कर उनमें उच्च सामाजिक आदर्शानुकूल आचरण करने की अभिवृत्ति विकसित करना।
  11. लिखित एवं मौलिक अभिवृत्ति का विकास करना।
  12. सृजनात्मक शक्तियों का सचेष्ट और साहित्य सृजन की रूचि विकसित करना ।

विशिष्ट उद्देश्य- प्रत्येक पाठ के विशिष्ट उद्देश्यों का उल्लेख आवश्यक है। विशिष्ट उद्देश्यों के निर्धारण में प्रस्तुत पाठ के सभी शिक्षण बिन्दुओं का ध्यान रखना भी आवश्यक होता है। ये उद्देश्य निम्नांकित क्रम से लिखे जा सकते हैं-

(i) भाषिक तत्त्वों का ज्ञान इसके अन्तर्गत उच्चारण, शब्दार्थ, शब्द प्रयोग, शब्द-रचना, सन्धि, समाज, उपसर्ग, प्रत्यय आदि का उल्लेख ।

(ii) विषय-सामग्री का बोध- पाठान्तर्गत प्रमुख तथ्यों, भावों एवं विचारों का उल्लेख

(iii) विचार विश्लेषण अथवा अर्थ ग्रहण- समीक्षात्मक एवं सराहना की दृष्टि से आवश्यक उद्देश्यों का उल्लेख ।

(iv) अभिव्यक्ति- प्रमुख भावों, विचारों की अभिव्यक्ति सम्बन्धी उद्देश्यों का उल्लेख।

हिन्दी गद्य शिक्षण का महत्त्व

हिन्दी गद्य शिक्षण का महत्त्व निम्नलिखित है-

  1. इसमें भावों, क्रियाओं-प्रतिक्रियाओं को सुन्दर, स्पष्ट और सरल रूप से अभिव्यंजना करने की कला आती है।
  2. इससे बालक की मानसिक, संवेगात्मक शक्ति तथा नैतिकता का विकास होता है।
  3. इसके द्वारा मस्तिष्क की शक्तियाँ अनुशासित हो जाती हैं जिससे बालक में उचित निर्णय, तर्क, विवेक तथा धारणा की गति में तीव्रता आ जाती है।
  4. इसके माध्यम से उच्चकोटि के साहित्यिक भाव, काव्यानुभूति एवं रसानुभूति चमत्कार आदि के समझने में दक्षता आ जाती है।
  5. इससे बालकों में अपने विचारों को धाराप्रवाह और प्रभावशाली रीति से प्रकट करने की शक्ति उत्पन्न होती है।
  6. यह शब्द और ज्ञान के भण्डार को बढ़ाती है।

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Anjali Yadav

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