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एक समन्वित ढाँचा के रूप में संगठन

एक समन्वित ढाँचा के रूप में संगठन
एक समन्वित ढाँचा के रूप में संगठन

एक समन्वित ढाँचा के रूप में संगठन की विवेचना कीजिए।

इस संदर्भ में, संगठन विभिन्न पदों एवं कार्यों के परस्पर सम्बन्धों का एक ढाँचा है जिसे कुछ पूर्व निर्धारित सामूहिक उद्देश्यों के लिए बनाया गया है। संगठन प्रक्रिया का परिमाम एक ढाँचे का निर्माण होता है। कास्ट और रोजेन्जेविग के शब्दों में, ‘प्रतिष्ठान के विभिन्न संघटकों में स्थापित सम्वन्धों का ढाँचा संगठन होता है। संगठन ढाँचा इस संदर्भ में व्यक्तियों और पदों में स्थापित सम्बन्धों के जाल को बताता है। जिस प्रकार मनुष्यों के शरीरिक ढाँचे के विभिन्न अंग होते हैं जो उनकी सीमाएं बताते हैं उसी प्रकार संगठन ढाँचे के भी विभिन्न अंग होते हैं जो उसकी सीमाएं निर्धारित करते हैं। यह एक भवन निर्माण की योजना की भांति होता है।’ और जिस प्रकार भवन निर्माणकर्ता को बहुत सी बातों पर विचार करना पड़ता है, जैसे लागत, स्थान, क्रियात्मक आवश्यकताएं और भवन नियोजन के दूसरे घटक, उसी प्रकार प्रबन्धक को भी संगठन के ढांचे के निर्माण करते समय विभिन्न घटकों, जैसे विभागीकरण, क्रियाओं का आवंटन, अधिकार-सम्बन्ध, विशिष्टीकरण नियंत्रण का क्षेत्र, संचार-व्यवस्था लागत एवं कुशलता पर विचार करना पड़ता है। ढाँचे के रूप में संगठन की निम्नलिखित विशेषताएं होती हैं।

1. उद्देश्यपूर्ण रचना- सँगठन का निर्माण किसी पूर्वनिर्धारित उद्देश्य के लिए किया जाता है जिसमें विभिन्न मानवीय एवं भौतिक साधनों का एकीकरण होता है।

2. पिरामिड का रूप- संगठन का स्वरूप एक पिरामिड की भाति होता है जिसमें ऊपर केवल एक या दो पद होते हैं और नीचे अनेकों पद एवं कर्मचारी होते हैं। अन्य पदों को इन सीमाओं के बीच अधिकार-सम्बन्ध की कड़ी में उनके अधिकार एवं दायित्वों के अनुसार बाँध दिया जाता है।

3. सापेक्ष रूप से स्थायी- संगठन ढाँचे का एक बार निर्माण कर दिया तो यह सापेक्षरूप से एक स्थाई ढाँचा बन जाता है। यद्यपि उसमें परिवर्तन होते रहते हैं किन्तु वे धीरे- धीरे एवं बहुत कम होते हैं।

4. उद्देश्यों एवं नीतियों के क्रियान्वयन का एक प्रभावी माध्यम- संगठन ढाँचा प्रतिष्ठान के उद्देश्यों की प्राप्ति एवं नीतियों के क्रियान्वयन के लिए बनाया गया एक सुविचारित साधन होता है। यह उसी प्रकार है जैसे इंजीनियर एक मशीन का ढांचा इसके विशिष्ट उद्देश्यों एवं कार्यों की सम्पन्नता के लिए निरूपित करता है। यही कारण है कि संगठन में सुपरिभाषित क्रियाएं सुनिश्चित नीतियां एवं नियम सुनिर्धारित मानवीय कार्यों की सीमाएं औपचारिक अधिकार सम्बन्ध सुनिश्चित दायित्व, नियंत्रण की क्रमानुगत श्रृंखला तथा पिरामिड का रूप, इसके अभिन्न अंग होते

5. संगठन चार्ट – संगठन में विभिन्न सम्बन्धों एवं स्तरों के प्रदर्शन के लिए प्रायः एक संगठन चार्ट बनाया जाता है जो एक समय में उस समय विद्यमान सम्बन्धों का रेखाचित्रीय प्रदर्शन होता है।

6. संगठन ढाँचे की दो दिशाएँ – संगठन ढाँचे की लम्बवत एवं क्षैतिज, दो दिशाएं होती हैं। लम्बवत सम्बन्ध आदेश श्रृंखला या अधिकारी एवं अधीनस्थ के सम्बन्ध को प्रदर्शित करते हैं, जब कि क्षैतिज सम्बन्ध संगठन में अधिकार के विकेन्द्रीकरण की सीमा को प्रदर्शित करते हैं।

इस रूप में संगठन ढाँचा एक स्थिर औपचारिक एवं भौतिक ढाँचे के रूप में समझा जाता था और यह रूढ़िवादी प्रबन्धशास्त्रियों की विचारधारा थी।

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Anjali Yadav

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