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गिजु भाई बधेका (GIJU BHAI BADHEKA)
जीवन परिचय (Life Sketch)
गिजु भाई एक महान दार्शनिक, शिक्षाशास्त्री एवं महान चिन्तक थे। इनका जन्म 15 नवम्बर, सन् 1885 ई. को गुजरात के चित्तल गाँव में हुआ था। इनका पूरा नाम गिरिजा शंकर भगवान जी बघेका था। इनके पिता का नाम श्री भगवान जी बघेका था। ये एक शिक्षक थे। वे बड़े धार्मिक थे। कुछ समय पश्चात् भगवान जी बघेका वकालत करने लगे। गिजू भाई की माता श्रीमती काशी बा एक धार्मिक प्रकृति की महिला थीं। धार्मिक परिवेश में पलने के फलस्वरूप उनका भी धार्मिक प्रवृत्ति का होना स्वाभाविक था। गिजु भाई ईश्वर में आस्था एवं विश्वास रखते थे। इनका विश्वास था कि ईश्वर ही इस सृष्टि का निर्माणकर्ता एवं संहारकर्ता है। हम सबकी डोर उसके हाथों में है। गिजु भाई मनुष्य को ईश्वर की एक पवित्र, एवं श्रेष्ठतम् कृति मानते हैं और उनका मानना था कि मनुष्य के जीवन का अन्तिम उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति है। ये भौतिक और आध्यात्मिक दोनों प्रकार के ज्ञान की प्राप्ति पर बल देते हैं। इनके अनुसार भौतिक ज्ञान बाह्य इन्द्रियों के माध्यम से और आध्यात्मिक ज्ञान अन्तःकरण के माध्यम से प्राप्त किया जा सकता है। उनका मानना है कि प्रत्येक मनुष्य को एक दूसरे के प्रति प्रेम, दया, करुणा, स्नेह, परोपकार का भाव अवश्य रखना चाहिए।
गिजु भाई का जीवन दर्शन (Giju Bhai’s Philosophy of Life)
गिजु भाई ने किसी नए दर्शन को न तो जन्म दिया है और न किसी दर्शन की व्याख्या ही दी किन्तु एक महान चिन्तक के समान इनका अपना एक जीवन दर्शन था। इनके इसी जीवन दर्शन की झांकी को हम प्रस्तुत कर रहे हैं।
1) गिजु भाई की स्वीकृत तत्व मीमांसा-शिव-भक्त गिजु भाई का विश्वास था कि, “ईश्वर ही इस सम्पूर्ण सृष्टि का निर्माण करता है एवं वही इस सृष्टि का विनाश भी करता है। ये ईश्वर की श्रेष्ठतम् कृति मनुष्य को मानते थे तथा मनुष्य के जीवन का अन्तिम उद्देश्य ईश्वर की प्राप्ति बताते थे। इसके अनुसार मनुष्य ईश्वर की प्राप्ति धर्म, नैतिकता का पालन करके एवं ईश्वर भक्ति के द्वारा कर सकता है।
2) गिजु भाई की स्वीकृत ज्ञान एवं तर्क मीमांसा-भारत के पुनर्जागरण काल में गिजु भाई का जन्म हुआ था। यह एक ऐसा युग था। जिसमें अन्धविश्वासों का अन्त हो रहा था तथा मनुष्य को वस्तु जगत का वास्तविक ज्ञान हो रहा था। गिजु भाई पर जहाँ एक ओर अपने घर के संस्कारों का प्रभाव था वही दूसरी ओर अंग्रेजी शिक्षा का प्रभाव भी था। भौतिक तथा आध्यात्मिक दोनों प्रकार के ज्ञान को यह आवश्यक मानते थे। इसके अनुसार वाह्य इन्द्रियों के द्वारा भौतिक जगत का ज्ञान एवं अन्तःकरण के द्वारा आध्यात्मिकता का ज्ञान प्राप्त किया जा सकता है।
3) गिजु भाई की स्वीकृत मूल्य एवं आचार मीमांसा-गिजु भाई नैतिकता तथा धर्म को मानव जीवन का आधार मानते थे इनका मानना था कि प्रत्येक मानव को सत्य, अहिंसा तथा ईमानदारी का पालन करना चाहिए और प्राणी मात्र के प्रति स्नेह, प्रेम करूणा, दया तथा परोपकार का भाव रखना चाहिए। इनके अनुसार नैतिकता विहीन मनुष्य, मनुष्य कहलाने के लायक नहीं है। गिजू भाई प्रत्येक मानव को अपने देश से प्रेम करने एवं सदैव देश के प्रति समर्पित रहने की शिक्षा देते थे।
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