शिक्षाशास्त्र / Education

पॉल फ्रेरा की शिक्षण विधि | Paul Frerera’s Teaching Method in Hindi

पॉल फ्रेरा की शिक्षण विधि | Paul Frerera's Teaching Method in Hindi
पॉल फ्रेरा की शिक्षण विधि | Paul Frerera’s Teaching Method in Hindi
पॉल फ्रेरा की शिक्षण विधि का वर्णन कीजिए।

फ्रेरा के अनुसार, “साक्षरता का कोई अर्थ तभी है जब निरक्षर व्यक्ति दुनिया में अपनी स्थिति, अपने काम और इस दुनिया में बदलाव लाने की अपनी क्षमता को लेकर सोचने लगे। यही चेतना है। उन्हें पता चले कि दुनिया उनकी है, प्रभुत्वसम्पन्न वर्ग की नहीं।”

साक्षर करने की शिक्षण विधि जो फ्रेरा ने अपनायी वह आश्चर्यजनक थी। उनके अनुसार कुछ शब्द ऐसे होते हैं जिन्हें प्रजनक या उत्पादक शब्द कहना चाहिए। झोंपड़-पट्टी, वर्षा, जमीन, साइकिल आदि ऐसे ही शब्द हैं। ये उत्पादक शब्द भाव तथा अर्थ से स्पन्दित होते हैं। ये शब्द सीखने वाले व्यक्तियों के समूह की इच्छा, आकांक्षा, माँग, चिन्ता, स्वप्न, कुण्ठा को व्यक्त करते हैं। पुर्तगाली भाषा के मूल स्वनिम सिखाने के लिए फ्रेरा के अनुसार पन्द्रह या अठारह शब्द पर्याप्त प्रतीत होते हैं।

इस सन्दर्भ में फ्रेरा का कथन ध्यान देने योग्य है। यहाँ पर फ्रेरा के कथन से उद्धरण दिया जा रहा है।

“काफी प्रतीत होते हैं। उदाहरण के लिए ईंट शब्द को लीजिए। ईंट के सभी पहलुओं की चर्चा करने के बाद हम उनके सामने शब्द रखते हैं-तिजोको फिर इसे अक्षरों में बाँटते हैं-ति जो-को। इसके बाद हम स्वनिम-परिवार को लाते हैं-त-ते-ति-तो-तू, ज-जे-जि-जो-जू, ल-ले-लि लो-लू।

उच्चारण— ध्वनियों को समझते ही पूरा ग्रुप शब्द बनाने लगता है तातू, लूता (संघर्ष), लोजा (भण्डार), जैक्टो (जैट) इत्यादि। कुछ सहभागी किसी अक्षर से कोई स्वर ले लेते हैं, उसे किसी अन्य अक्षर के साथ लगाते हैं, फिर उसमें कोई तीसरा अक्षर जोड़कर शब्द निर्माण करते हैं। एक निरक्षर ने पहली ही रात कहा- तू जा ले (तुम पहले से ही पढ़ते हो) । एक संस्कृति मण्डल में एक सहभागी ने पाँचवें दिन ब्लैक बोर्ड पर लिखा- ओ पावो रिजाल्वरोस प्रोब्लेम्स दो ब्राजील वोतांदो कंसीन्ते (जनता ब्राजील की समस्याओं को कुशल मतदान द्वारा हल कर लेगी।) आप इस तथ्य की व्याख्या कैसे करेंगे कि एक आदमी जो अभी कुछ ही दिन पहले निरक्षर था, इतने जटिल स्वनिमों वाले शब्द लिखने लगा?

मैं आपको एक उदाहरण और दूंगा। मछुआरों के एक छोटे-से समुदाय मान्ते माजों के सामने उत्पादक शब्द था-बोनितो (सुन्दर), जो एक मछली का नाम भी है। संकेत के तौर पर उन्होंने एक शहर का चित्र बनाया जिसमें मकान थे, मछली का शिकार करने की नावें थीं और एक आदमी एक बोनितो (मछली) पकड़े हुए था। एकाएक उनमें से चार लोग उठे और धीरे धीरे चलकर उस दीवार तक गये जहाँ वह तस्वीर टँगी हुई थी। वे उसे कुछ देर तक ध्यान से देखते रहे, फिर खिड़की के पास जाकर कहा – “यह मान्ते मानो है और हमें इसकी जानकारी नहीं थी।” उस समय ऐसा लगा मानो वे इस दुनिया को पहली बार समझने के लिए अपनी दुनिया से उबर रहे हैं। छात्र जो ज्ञान प्राप्त करते हैं उससे वे शक्ति-सम्पन्न बनते हैं। साक्षरता कौशल अर्जित करने वे शक्ति सम्पन्न नहीं बनते। कुछ साक्षरता पाठों के बाद एक किसान उठकर बोला—” इसके पहले हमें पता नहीं था कि हम जानते थे। अब हमें पता है कि हम जानते हैं। चूंकि आज हमें पता है कि हम जानते थे, अतः आज हम और ज्यादा जान सकते हैं। “

इस प्रकार फ्रेरा बच्चों की जिज्ञासा को शान्त करते हुए अपनी बात को मनोवैज्ञानिक संग से समझाते चलते हैं। किसानों को शिक्षित करने की फ्रेरा की विधि को आज सारा संसार प्रशंसा की दृष्टि से देखता है।

शिक्षण विधि ऐसी होनी चाहिए जिससे सीखने वाला अपनी जिन्दगी के अनुभव से दूर न हो। उसे ऐसा न लगे कि उसकी भाषा, संस्कृति और परम्परा का शिक्षा निषेध करती है।

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Anjali Yadav

इस वेब साईट में हम College Subjective Notes सामग्री को रोचक रूप में प्रकट करने की कोशिश कर रहे हैं | हमारा लक्ष्य उन छात्रों को प्रतियोगी परीक्षाओं की सभी किताबें उपलब्ध कराना है जो पैसे ना होने की वजह से इन पुस्तकों को खरीद नहीं पाते हैं और इस वजह से वे परीक्षा में असफल हो जाते हैं और अपने सपनों को पूरे नही कर पाते है, हम चाहते है कि वे सभी छात्र हमारे माध्यम से अपने सपनों को पूरा कर सकें। धन्यवाद..

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