भारत में स्त्रियों में शिक्षा के लिए क्या किया जा रहा है ?
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स्त्रियों में शिक्षा (Education Among Women)
भारत सरकार द्वारा स्वतन्त्रता प्राप्ति के समय से ही विभिन्न कार्यक्रमों और योजनाओं के माध्यम से शिक्षा के क्षेत्र में लिंग सम्बन्धी असमानताएँ दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। 1986 की राष्ट्रीय नीति और 1992 की संशोधित नई शिक्षा नीति स्वीकार करने के बाद से इन प्रयासों को विशेष बल मिला है। नई शिक्षा नीति में महिलाओं के हित संरक्षण का संकल्प व्यक्त किया गया है। इसमें कहा गया है कि विकास प्रक्रिया में लड़कियों तथा महिलाओं की भागीदारी के लिए उनकी शिक्षा सबसे महत्त्वपूर्ण शर्त है।
महिलाओं की शिक्षा में सुधार के लिए चलाए गए प्रमुख कार्यक्रम/योजनाएँ इस प्रकार हैं-
(1) महिला समाख्या महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने का सम्बन्ध उनकी शिक्षा से जोड़ने की दिशा में सर्वाधिक सफल प्रयास है। इस कार्यक्रम का विस्तार 46 जिलों में किया गया है।
(2) पूर्ण साक्षरता अभियान, जो शिक्षा की मांग, विशेषकर महिलाओं में शिक्षा की माँग बढ़ाने में सफल रहा है। इस कार्यक्रम के अन्तर्गत सभी 450 जिलों में दाखिला लेने वाले प्रौढ़ों में 60 प्रतिशत महिलाएँ ।
(3) महिलाओं की कम साक्षरता वाले 163 जिलों में जिला प्राथमिक शिक्षा कार्यक्रम चलाया जा रहा है।
(4) प्रतिभाशाली विद्यार्थियों के लिए नवोदय विद्यालय खोले गए, जहाँ एक तिहाई सीटें लड़कियों के लिए हैं। नवोदय विद्यालयों और केन्द्रीय विद्यालयों में लड़कियों की शिक्षा 12वीं कक्षा तक निःशुल्क है।
(5) विश्वविद्यालय अनुदान आयोग महिलाओं से सम्बद्ध विषयों में अनुसंधान परियोजनाएँ चलाने वाले संस्थानों को आवश्यक धन उपलब्ध कराकर प्रोत्साहित कर रहा है। आयोग ने महिला अध्ययन केन्द्र स्थापित करने में 22 विश्वविद्यालयों और 11 कॉलेजों को सहायता प्रदान की है। इसके अतिरिक्त आयोग ने महिला उम्मीदवारों के लिए अंशकालिक अनुसंधान एसोशिएटशिप के 40 पद बनाए हैं।
(6) ऑपरेशन ब्लैक बोर्ड कार्यक्रम के अन्तर्गत 1.47 लाख शिक्षकों की नियुक्ति की गई, जिनमें 47 प्रतिशत महिलाएं हैं।
(7) कई राज्यों में शिक्षा में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के प्रयास के रूप में लड़कियों के लिए निःशुल्क शिक्षा की पहले से ही व्यवस्था है।
(8) शिक्षा के विभिन्न क्षेत्रों में महिलाओं की अधिक भागीदारी सुनिश्चित करने के लिए राष्ट्रीय नीति तैयार की जा रही है।
(9) व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण व्यावसायिक शिक्षा +2 स्तर, सामुदायिक पोलिटेक्निक, श्रमिक विद्यापीठ आदि।
(10) महिला अनौपचारिक शिक्षा केन्द्रों को 90 प्रतिशत केन्द्रीय सहायता दी जा रही है। ऐसे केन्द्रों की हिस्सेदारी 25 प्रतिशत से बढ़ाकर 40 प्रतिशत कर दी गई है।
महिलाओं में साक्षरता
स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद महिलाओं की साक्षरता दर में उल्लेखनीय बढ़ोत्तरी हुई है। 1951 में महिला साक्षरता मात्र 7.3 प्रतिशत थी। 1991 में यह बढ़कर 39-29 प्रतिशत हो गई तथा राष्ट्रीय नमूना सर्वेक्षण के 53वें दौर के अनुसार महिलाओं में साक्षरता दिसम्बर 1997 के अन्त तक बढ़कर 50 प्रतिशत पर पहुँच गई है, जबकि पुरुषों में यह दर 73 प्रतिशत है।
महिला समाख्या
महिला समाख्या कार्यक्रम (महिलाओं के लिए गुणवत्ता वाली शिक्षा) महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने की परियोजना है, जिसका उद्देश्य यह है कि महिलाएँ सूचना तथा ज्ञान प्राप्त करें, जिससे कि स्वयं के अन्दर और समाज में बदलाव ला सकें। महिला समाख्या कार्यक्रम 1989 में शुरू किया गया था और इसे उत्तर प्रदेश, कर्नाटक, आंध्र प्रदेश, बिहार, असम, मध्य प्रदेश और केरल के 51 जिलों के करीब 6,877 गाँवों में चलाया जा रहा है। महिला समाख्या कार्यक्रम को बुनियादी शिक्षा परियोजना के जरिए भी काफी ग्राह्य माना जा रहा है। यह कार्यक्रम निचले स्तर पर महिलाओं को अधिकार सम्पन्न बनाने की आधारशिला साबित हुआ है तथा नवयुवतियों एवं महिलाओं में शिक्षा के प्रसार में सहायक रहा है।
छात्राओं के लिए होस्टल सुविधाओं का विकास
सन् 1992 की कार्य योजना में माध्यमिक शिक्षा के स्तर पर वालिकाओं का दाखिला बढ़ाने के लिए विशेष योजना तैयार करने की सिफारिश की गई थी। राष्ट्रीय शिक्षा नीति में शिक्षा के क्षेत्र में गैर-सरकारी संगठनों की भागीदारी को बढ़ावा देने के दिशा-निर्देश दिए गए थे। इन दिशा-निर्देशों तथा सिफारिशों को लागू करने के लिए आठवीं योजना में माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में छात्राओं के लिए बोर्डिंग और होस्टल सुविधाएँ बढ़ाने की योजना शुरू की गई। इसके अन्तर्गत आवश्यक शर्तें पूरी करने वाले स्वयंसेवी संगठनों को वित्तीय सहायता उपलब्ध कराई जा रही है, जिससे कि माध्यमिक और उच्चतर माध्यमिक स्कूलों में ग्रामीण क्षेत्रों तथा कमजोर वर्गों की बालिकाओं का दाखिला बढ़े। इसके अन्तर्गत-
(1) छात्रावास में रहने वाली बालिकाओं के भोजन तथा रसोइए व वार्डन के वेतन के लिए 5,000 रुपये प्रति वर्ष प्रति बालिका की दर से सहायता दी जाती है, बशर्ते उस छात्रावास में मान्यता प्राप्त स्कूलों की नौवीं से बारहवीं कक्षा तक की कम से कम 25 छात्राएँ रहती हों, लेकिन अधिकतम 50 छात्राओं तक ही यह सहायता उपलब्ध होगी। सहायता प्राप्त करने के लिए स्वयंसेवी संगठन को सम्बद्ध राज्य/केन्द्रशासित प्रदेश सरकार के समक्ष आवेदन करना होगा, जो संगठन की पात्रता और उपयुक्तता का अनुमोदन करने से पहले उस स्कूल के मुख्याध्यापक/प्रधानाचार्य से प्राप्त प्रमाणपत्र की जाँच करेगी, जहाँ बालिकाएँ पढ़ रही हैं ।
(2) फर्नीचर (इसमें बिस्तर भी शामिल हैं) और बर्तनों की खरीद तथा मनोरंजन की सुविधाएँ, विशेष रूप से खेल-कूद, वाचनालय सामग्री तथा पुस्तकें उपलब्ध कराने के लिए 1,500 रुपये प्रति बालिका की दर से एकमुश्त अनुदान दिया जाता है।
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