मानसिक रूप स्वस्थ विद्यार्थियों की विशेषताओं का वर्णन कीजिए ।
मानसिक स्वास्थ्य की विशेषताएँ (Characteristics of Mental Health)
शिक्षा प्रक्रिया की सफलता मानसिक स्वास्थ्य में निहित है। शिक्षा प्रक्रिया में शिक्षक और छात्र दोनों ही संलग्न रहते हैं अतएव इसकी सफलता इन दोनों के उत्तम मानसिक स्वास्थ्य का परिणाम होती है। मानसिक स्वास्थ्य की विशेषताओं का ज्ञान किसी मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति की विशेषताओं को समझकर प्राप्त किया जा सकता है। प्रायः उत्तम मानसिक स्वास्थ्य वाले व्यक्ति में निम्नलिखित लक्षण दिखलाई पड़ते हैं-
1. नियमित जीवन (Regular Life)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जीवन का प्रत्येक कार्य एक निश्चित समय एवं स्वाभाविक ढंग से करता है। उसके रहन-सहन, खान-पान, सोने-जागने की निश्चित आदतें बन जाती हैं। वह अपने शारीरिक स्वास्थ्य पर पूर्ण ध्यान देता है तथा उसका शरीर स्वस्थ एवं निरोग रहता है।
2. सामंजस्य की योग्यता (Ability to Adjust)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति सामाजिक जीवन की विभिन्न परिस्थितियों में शीघ्र समायोजन स्थापित कर लेता है। वह दूसरों के विचारों एवं समस्याओं को ठीक प्रकार से समझकर उनसे यथोचित व्यवहार करता है।
3. संवेगात्मक परिपक्वता (Emotional Maturity)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति के व्यवहार में बौद्धिक एवं संवेगात्मक परिपक्वता दिखलाई पड़ती है। इसका तात्पर्य यह है कि मानसिक दृष्टि से स्वस्थ व्यक्ति में भय, क्रोध, प्रेम, घृणा, ईर्ष्या आदि संवेगों को नियन्त्रण में रखने तथा उचित ढंग से प्रकट करने की योग्यता होती है। उसे अपने संवेगों पर नियन्त्रण करने में किसी तरह का मानसिक कष्ट नहीं होता और वह समस्त कार्यों को प्रसन्नतापूर्वक एवं सफलतापूर्वक सम्पन्न करता है।
4. आत्मविश्वास (Self-Confidence)– मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति में आत्मविश्वास की भावना होती है। वह अपना समस्त कार्य पूर्ण आत्मविश्वास से करता है और उसमें सफल होता है।
5. आत्म-मूल्यांकन की क्षमता (Self Evaluation)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति गुण एवं दोषों को जानता है। वह अपने द्वारा किये गये उचित एवं अनुचित कार्यों का अपने निष्पक्ष रूप से विश्लेषण कर सकता है तथा अपने दोषों को सहज रूप से स्वीकार कर लेता है । वह स्वयं अपने व्यवहार को सुधारने का प्रयास करता है।
6. सहनशीलता एवं सन्तुलन (Tolerance and Balance)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति को जीवन की निराशाओं, विपरीत परिस्थितियों आदि का सामना करने में कष्ट का अनुभव नहीं होता। वह इन परिस्थितियों में अपना मानसिक सन्तुलन बनाये रखता है और अत्यन्त धैर्य एवं सहनशीलता के साथ उनका सामना करते हैं।
7. संतोषजनक सामाजिक समायोजन (Satisfactory Social Adjustment)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति समाज में स्वयं को भली-भाँति समायोजित कर लेता और उसके सामाजिक सम्बन्ध अत्यन्त सन्तुलित होते हैं। वह सामाजिक कार्यों में प्रसन्नतापूर्वक भाग लेता है।
8. कार्य क्षमता एवं कार्य में संतोष (Efficiency and Satisfaction)- मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति अपने कार्य को अत्यन्त रुचिपूर्वक एवं ध्यानपूर्वक करता है। उसे कार्य को सम्पन्न करने में आनन्द और संतोष प्राप्त होता है और उसकी कार्यक्षमता बढ़ती है। उदाहरण के लिए मानसिक रूप से स्वस्थ विद्यार्थी जब अध्ययन में रुचि लेता है तो उसे आनन्द प्राप्त होता है और सफलता प्राप्त करने पर उसे प्रोत्साहन मिलता है। इससे उसकी कार्य क्षमता में वृद्धि होती है। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति जिस व्यवसाय में लगा रहता है उसमें उसकी रुचि होती है और उसे अपने कार्य से सन्तुष्टि भी होती है। इस तरह उसमें व्यवसाय सम्बन्धी कार्यशीलता बढ़ती जाती है।
उपर्युक्त विशेषताओं का अध्ययन करने से जीवन में मानसिक स्वास्थ्य का महत्त्व एवं आवश्यकता स्पष्ट है।
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